रेलवे के फार्मूले को भेल ने पहनाया अमली-जामा
भोपाल
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(भेल) ने रेलवे के लिये रिजनरेटिव प्रणाली पर काम करने वाला 5000 एचपी डब्ल्यूएजी इलेक्ट्रिक रेल इंजन बनाया है, इसका निर्माण झांसी कारखाने में और उपकरण भोपाल यूनिट में बनाये गये हैं। शुक्रवार को रेलवे के मेम्बर और भेल के सीएमडी ने इस इंजन को हरि झंडी दिखाई। इस मौके पर भेल के ईडी द्वय डीके ठाकुर और डीके दीक्षित सहित बड़ी संख्या में भेल के अधिकारी मौजूद थे।
जानकारों के मुताबिक रिजनरेटिव प्रौद्योगिकी से ब्रेक के उपयोग के समय हीट एनर्जी नुकसान नहीं होता और वह ऊर्जा ऊपरी बिजली लाइन में वापस चली जाती है यानी इस प्रौद्योगिकी में ब्रेक लगने के समय उत्पादित ऊर्जा का उपयोग हो सकेगा। खास बात यह है कि भेल ने रेलवे के लिये अत्याधुनिक रिजनरेटिव प्रणाली का विकास देश में शोध एवं अनुसंधान के जरिये किया है। इसका उपयोग रेलवे की परंपरागत इलेक्ट्रिक इंजन की जगह किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक देश का पहला रिजनरेटिव 5000 एचपी डब्ल्यूएजी-7 इलेक्ट्रिक इंजन को यहां के कार्यपालक निदेशक डीके दीक्षित के मार्ग दर्शन झांसी यूनिट में तैयार किया गया। रिजनरेटिव प्रणाली वाली ऊर्जा दक्ष इंजन विकास का फार्मूला रेलवे का था जिसे भेल ने सफ लतापूर्वक अमली-जामा पहनाया। फि लहाल भारतीय रेलवे में जो इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग होता है, उसमें ब्रेक के समय उत्पादित ऊर्जा हीट के रूप में बर्बाद होती है।
भेल को मिले 97 करोड़ के आर्डर
भेल ने न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड से प्राइमरी साइड हीट एक्स्चेंजर के लिए 2 महत्वपूर्ण आदेश प्राप्त किए हैं। 97 करोड़ के इस आदेश के तहत हरियाणा के फ तेहाबाद में गोरखपुर परमाणु विद्युत परियोजना हेतु 4 मोडरेटर हीट एक्स्चेंजर व 18 हैवी वॉटर हीट एक्स्चेंजर का उत्पादन व आपूर्ति करना है। इन हीट एक्स्चेंजर्स का उत्पादन भेल की भोपाल इकाई में होगा।
गौरतलब है कि एनपीसीआईएल के परमाणु बिजलीघरों के लिए प्राइमरी साइड उत्पाद तथा न्यूक्लियर स्टीम जेनरेटर जैसे उत्पादों के अभिकल्पन, डिज़ाइन एवं उन्नयन के क्षेत्र में भेल अग्रणी है। भेल विभिन्न परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं हेतु 40 स्टीम जेनरेटर आपूर्ति कर चुका है। चालीस दशकों से भी अधिक समय से भेल स्वदेशी नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के विकास में योगदान दे रहा है।