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लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी-योगी के साथ दिख सकती है शिवपाल की जुगलबंदी!

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कानपुर

यूपी की राजनीति में लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े फेरबदल होने के संकेत मिल रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले एसपी संरक्षक मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी का दामन थामा था। सूत्रों के मुताबिक, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का हिस्सा बनने वाले हैं। चाचा भतीजे का साथ छोड़कर एनडीए गठबंधन में शामिल होने की तैयारी बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव की योगी-मोदी के साथ एक मंच पर जुगलबंदी देखने को मिल सकती है। फिलहाल इसकी भनक भतीजे के खेमे को लग चुकी है।

पीएसपी चीफ शिवपाल सिंह यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भतीजे अखिलेश यादव को एक और मौका दिया था। चाचा शिवपाल सिंह यादव ने भतीजे के लिए अपनी पूरी पार्टी को कुर्बान कर दिया था। इसके बाद भी उन्हे समाजवादी पार्टी में सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे। पीएसपी के शीर्ष नेता पार्टी छोड़कर चले गए। समाजवादी पार्टी की होने वाली महत्वपूर्ण बैठकों में शिवपाल सिंह यादव को नहीं बुलाया गया।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद राजनीतिक जानकार अटकलें लगा रहे थे कि शिवपाल सिंह यादव बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। बहू अपर्णा यादव ने भी चाचा शिवपाल सिंह को बीजेपी में शामिल कराने का खूब प्रयास किया, लेकिन किसी को नहीं पता था कि पीएसपी चीफ शिवपाल सिंह यादव के मन में क्या चला रहा है। शिवपाल सिंह को ऐसे ही नहीं कुशल राजनीतिज्ञ कहा जाता है। पीएसपी मुखिया शिवपाल सिंह यादव हमेशा अंतिम समय में अपने पत्ते खोलने के लिए जाने जाते हैं।

शिवपाल सिंह यादव के हनुमान हैं आशीष चौबे
पीएसपी के प्रदेश सचिव और महानगर अध्यक्ष आशीष चौबे ने बताया कि हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। प्रसपा राष्ट्रवाद पर काम करते हुए आगे बढ़ रही है। आगामी चुनावों में हम एसपी के साथ नहीं होंगे। आशीष चौबे ने इशारों में संकेत भी दे दिए हैं कि पीएसपी किस पार्टी का हिस्सा बनेगी। लोकसभा चुनाव में पीएसपी मुखिया किसके साथ मंच साझा करेंगे। शिवपाल सिंह यादव की बातचीत बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ चल रही है। कानपुर और बुंदेलखंड में आशीष चौबे को शिवपाल सिंह यादव का हनुमान कहा जाता है। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजे के परिवारिक मतभेद हुए थे। उससे पहले आशीष चौबे ने शिवपाल सिंह यादव फैंस एसोसिएशन का गठन किया था।

लोकसभा की बची सीटें बचाना मुश्किल
पीएसपी मुखिया शिवपाल सिंह यादव यदि एनडीए के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा नुकसान एसपी को उठाना पड़ेगा। लोकसभा उपचुनाव में एसपी अपना गढ़ भी नहीं बचा पाई। बीजेपी ने रामपुर और आजमगढ़ में भी कमल खिला दिया। बीजेपी का विजय रथ रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बीजेपी ने एक-एक कर एसपी के गढ़ कहे जाने वाले इटावा, कन्नौज, रामपुर, आजमगढ़ पर कब्जा कर लिया है। इन हालातों में यदि शिवपाल सिंह यादव लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बनते हैं तो एसपी के पास जितनी सीटे हैं, उन्हे भी बचाना मुश्किल हो जाएगा।

विधानसभा चुनाव में दिखी थी ताकत
यदि बात कानपुर कि की जाए तो यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में एसपी ने कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से तीन सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। आर्यनगर, सीसामऊ और कैंट विधानसभा सीटों पर एसपी कार्यकर्ताओं के साथ ही पीएसपी के नेताओं और पदाधिकारियों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। पीएसपी के हजारों कार्यकर्ता एसपी प्रत्याशियों के समर्थन में दिन-रात काम करते हुए देखे गए थे। यदि पीएसपी और एनडीए का गठबंधन होता है तो आगामी सभी चुनावों में एसपी की मुश्किलें और भी बढ़ने वाली हैं।

बेहतर मैनेजमेंट की क्षमता है
समाजवादी पार्टी की कमान जब मुलायम सिंह के हाथ में थी। उस दौरान पार्टी मैनेजमेंट का काम शिवपाल के हाथों में था। शिवपाल सिंह को पता था कि पार्टी का कौन सा काम किस नेता या फिर कार्यकर्ता से कराना है। जब एसपी सत्ता में थी तो किस अधिकारी की तैनाती संगठन को मजबूत करने के लिए किसे कमान सौंपनी है, उन्हे भलीभांति पता था। यूपी में जितनी बार भी एसपी की सरकार बनी है। उसके पीछे शिवपाल सिंह यादव का ही मैनेमेंट था।

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