नई दिल्ली
दिल्ली के मकान मालिकों को ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स चुकाना पड़ सकता है। पांचवीं म्युनिसिपल वैल्यूएशन कमेटी (MVC) ने प्रॉपर्टी की सालाना वैल्यू कैल्कुलेट करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले छह फैक्टर्स में बढ़ोतरी की सिफारिश की है। कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट एमसीडी (MCD) को सौंप दी है। अगर इन सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे पूरे शहर में प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ सकता है। इनमें रेजिडेंशियल कॉलोनीज भी शामिल हैं। कमेटी का कहना है कि राजधानी में प्रॉपर्टी की सालाना वैल्यू निकालने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले छह फैक्टर्स में पिछले 18 साल से कोई बदलाव नहीं किया गया है। महंगाई को देखते हुए इनमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है।
एमसीडी ने कमेटी की रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है और लोगों से इस पर सुझाव मांगे हैं। प्रॉपर्टी की सालाना वैल्यू की गणना करते समय छह फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है। इनमें बेस यूनिट एरिया वैल्यू, टोटल कवर एरिया, एज ऑफ प्रॉपर्टी, ऑकुपेंसी (मकान मालिक खुद रह रहा है या किराए पर है), स्ट्रक्चरल फैक्टर (मकान कच्चा है या पक्का) और यूज फैक्टर (रेजिडेंशियल है या कमर्शियल)। प्रॉपर्टी टैक्स की राशि इस वैल्यू की कुछ प्रतिशत होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रॉपर्टी की बेस यूनिट वैल्यू में 37 फीसदी बढ़ोतरी का सुझाव है। बेस यूनिट एरिया वैल्यू की सिफारिश 2004 में पहली कमेटी ने की थी और उसके बाद से अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
कितना बढ़ जाएगा टैक्स
अभी ए कैटगरी की कॉलोनियों के लिए बेस यूनिट एरिया वैल्यू 630 रुपये है। इसी तरह बी कैटगरी की बस्तियों के लिए यह 500 रुपये, सी कैटगरी के लिए 400 रुपये, डी कैटगरी के लिए 320 रुपये, ई कैटगरी के लिए 270 रुपये, एफ कैटगरी के लिए 230 रुपये, जी कैटगरी के लिए 200 रुपये और एच कैटगरी के लिए 100 रुपये है। कमेटी ने ए कैटगरी के लिए इसे बढ़ाकर 800 रुपये करने का सुझाव दिया है। इसी तरह बी कैटगरी के लिए इसे 680 रुपये, सी कैटगरी के लिए 550 रुपये, डी कैटगरी के लिए 440 रुपये और ई कैटगरी के लिए 370 रुपये करने का प्रस्ताव है। कमेटी ने 2009 से 2019 तक बने मकानों के लिए 1.1 और 2020 से 2029 तक बनने वाले मकानों के लिए 1.2 एज फैक्टर की सिफारिश की है। 1950 के दशक में बने मकानों के लिए एज फैक्टर 0.5 और 1960 के दशक में बने मकानों के लिए इसे 0.6 करने की सिफारिश की गई है। इसी तरह 2000 से 2010 के बीच बने मकानों के लिए एज फैक्टर 1 रखने का सुझाव है।
एमसीडी के एक अधिकारी ने कहा कि बाद में बने मकानों के लिए फैक्टर्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए कमेटी ने इन्हें बढ़ाने की सिफारिश की है। हाल के वर्षों में एयरपोर्ट के इर्दगिर्द काफी विकास हुआ है। इसलिए कमेटी ने एयरोसिटी को जी से बदलकर डी कैटगरी में डालने की सिफारिश की है। एमसीडी की इनकम का प्रमुख स्रोत प्रॉपर्टी टैक्स है। एमसीडी दिल्ली में वर्ष 2004 के यूनिट एरिया वेल्यू के हिसाब से टैक्स ले रहा है। वर्तमान में जो टैक्स की दरें हैं वह 18 वर्ष पुरानी हैं। इसके बाद चार रिपोर्ट आई, लेकिन एमसीडी इन्हें लागू नहीं कर पाया।