जजमेंट 24 जून को, 25 को केस, अभी तक चार्जशीट क्यों नहीं?, तीस्ता केस में गुजरात सरकार से सुप्रीम सवाल

नई दिल्ली

तीस्ता सितलवाड केस में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार के सामने कई सवाल किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि तीस्ता दो महीने से कस्टडी में हैं। लेकिन अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। यह मामला आईपीसी के गंभीर अपराध जैसे मर्डर आदि का नहीं है जिसमें किसी को शारीरिक हानि हुई हो। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद FIR हुआ है जबकि FIR में जजमेंट के अलावा कुछ खास कंटेंट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये तमाम सवाल गुजरात सरकार के सामने उठाया और सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी है।

अंतरिम जमानत पर अर्जी 6 हफ्ते के लिए क्यों टाल दी गई?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि तीस्ता सितलवाड के खिलाफ FIR जाकिया जाफरी की अर्जी सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद दर्ज की गई। एफआईआर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के एक दिन बाद दर्ज हुई है लेकिन एफआईआर में जजमेंट के अलावा कोई खास मैटेरियल नहीं है। गुजरात हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी गई? यह आश्चर्य की बात है।

क्या गिरफ्तारी के 2 महीने के दौरान चार्जशीट दाखिल की गई?
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के सामने कुछ सवाल खड़े किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीस्ता दो महीने से जेल में बंद है। जजमेंट 24 जून को हुआ और 25 जून को मामले में केस दर्ज कर लिया गया। अभी तक मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। जाकिया जाफरी की अर्जी जिस दिन सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है उसके अगले दिन ही केस दर्ज किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजमेंट के अलावा एफआईआर में ज्यादा कुछ नहीं है। जो आरोप लगे हैं उसमें मर्डर और शारीरिक नुकसान वाले ऑफेंस नहीं है बल्कि आरोप के मुताबिक दस्तावेज की हेराफेरी है। यह मामला ऐसा नहीं है कि उसमें बेल देने पर रोक है। चीफ जस्टिस ललित ने कहा कि ऑफेंस नॉर्मल आईपीसी का है। क्या महिला की गिरफ्तारी के दो महीने के दौरान चार्जशीट दाखिल की गई है?

क्या एक दिन में हो गई छानबीन और हो गईं गिरफ्तार?- कपिल सिब्बल
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को नहीं सुनना चाहिए बल्कि हाई कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। क्या यह नॉर्मल मुवक्किल का होता तो सुप्रीम कोर्ट सुनता? ऐसे हजारों केस हैं जिनमें तारीखें लग रही है। वहीं कपिल सिब्बल तीस्ता की ओर से पेश हुए और कहा कि 24 जून को जाकिया जाफरी की अर्जी सुप्रीम कोर्ट के खारिज हुई और अगले दिन केस दर्ज कर लिया गया। क्या एक दिन में छानबीन हो गई थी और फिर 26 जून को तीस्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप गलत है। दस्तावेजों को क्रिएट करने का आरोप निराधार है। तमाम दस्तावेज कोर्ट में है और वहां कुछ गलत हुआ है तो कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश करने का केस चल सकता है।

नेताओं के साथ मिलकर तीस्ता ने रची साजिश- गुजरात सरकार
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया गया है और कहा गया है कि छानबीन से पता चला है कि पहली नजर में तीस्ता के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं और उन्होंने फर्जी दस्तावेज और सबूत गुजरात दंगे के दौरान जुटाए। छानबीन से पता चला है कि एफआईआर में कंटेंट और जो मैटेरियल है वह ठोस है। याचिकाकर्ता ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कई क्रिमिनल एक्ट किए हैं और अपराध में संलिप्त रही हैं। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के साथ मिलकर सीतलवाड़ ने साजिश रची है और यह बात गवाहों के बयान से साबित होता है। गवाहों के बयान से साफ है कि नेताओं के साथ मिलकर तीस्ता ने साजिश की है।

तीस्ता को लेकर क्या केस चल रहा है
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई है। 2002 में गुजरात दंगो में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत क्रिएट करने के आरोप में तीस्ता को गिरफ्तार किया गया है। तीस्ता की अर्जी पर जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इससे पहले तीस्ता ने गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।

हाई कोर्ट ने तीन अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और 19 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए केस लिस्ट किया है। 30 जुलाई को अहमदाबाद की निचली अदालत ने तीस्ता और पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद मामला हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इन दोनों को जून में गिरफ्तार किया गया। गुजरात दंगे के बाद निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए साक्ष्य क्रिएट करने के आरोप उन पर लगे हैं। एक अन्य आरोपी पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट जेल में हैं।

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