खरगोन
मौका खुशी का हो या गम का, लेकिन आपदा में अवसर तलाशने वाले हर जगह होते हैं। इस साल रामनवमी पर 10 अप्रैल को खरगोन में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद प्रदेश सरकार ने दंगा पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए क्लेम ट्रिब्यूनल गठित किया तो लाभ लेने वालों की कतार में वे भी खड़े हो गए जिनका कोई नुकसान ही नही हुआ।
ट्रिब्यूनल ने पीड़ितों से आवेदन मांगे तो लोगों ने फार्म के साथ पासबुक और चेक की प्रति इस लालच में लगा दी कि बिना किसी जांच पड़ताल के क्षतिपूर्ति राशि सीधे खाते में आएगी। जबकि ऐसे लोगों का न तो नुकसान का केस दर्ज करवाया और न ही प्रशासन का पंचनामा पेश किया।
ट्रिब्यूनल को कुल 342 आवेदन मिले। इनमें से सिर्फ 34 अर्थात 10 प्रतिशत पीड़ित ही निर्धारित तीनों चीजें (एफआईआर, नुकसानी पंचनामा व नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान) बता पाए। इसके चलते 309 अर्थात 90 प्रतिशत आवेदन अमान्य कर दिए गए।
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन पर देश का पहला क्लेम ट्रिब्यूनल बनाया। ट्रिब्यूनल ने काम की शुरूआत की और प्रभावितों से नुकसानी की क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए आवेदन मांगे। लोगों ने पूरा मामला समझा भी नहीं और आनन-फानन में अपने आवेदन ट्रिब्यूनल में पेश कर दिए।
कई लोगों को लगा कि ट्रिब्यूनल सीधे नगद क्षतिपूर्ति खातों में देगा। इसके चलते कई लोगों ने निर्धारित आवेदन फार्मेट के साथ सिर्फ अपने पहचान पत्र व बैंक पासबुक की फोटोकॉपी संलग्न कर आवेदन प्रस्तुत कर दिए। जबकि, ट्रिब्यूनल का गठन दंगाइयों से ही राशि वसूल कर पीड़ितों को दिलवाने के लिए किया गया है।
ट्रिब्यूनल ने घटना के बाद की गई एफआईआर, जिला प्रशासन द्वारा किए गए नुकसान के आंकलन व पीड़ित द्वारा नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान बताने को आधार माना है। आनन-फानन में आवेदन करने वालों में से कई ने ना तो एफआईआर करवाई है, ना ही प्रशासनिक अधिकारियों को अपने नुकसान के बारे में बता कर उसका आंकलन करवाया और ना ही वे यह बता पाए कि उनकी संपत्ति को किसने नुकसान पहुंचाया है।
बड़ा सवाल- नुकसान हुआ तो क्यों नहीं करवाई एफआईआर
ट्रिब्यूनल ने इस बात का भी पता किया कि बचे हुए 309 में से कितने मामलों में एफआईआर हुई है। इनमें से सिर्फ 40 लोग ऐसे पाए गए, जिन्होंने एफआईआर करवाई थी। 269 आवेदक ऐसे पाए गए, जिनका कहना है कि दंगे में उनका नुकसान हुआ है लेकिन उन्होंने इसकी सूचना तक पुलिस को नहीं दी। वे आवेदन के साथ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाए और ना ही नुकसान पहुंचाने वालों की ही पहचान बताई।
6 मामलों में आ चुका फैसला
ट्रिब्यूनल द्वारा मान्य कुल 34 प्रकरणों में गत दिनों 6 प्रकरण में फैसला दिया जा चुका है। इनमें कुल 50 दंगाइयों से 7.37 लाख रुपए वसूल कर पीड़ितों को दिए जाने का फैसला सुनाया गया है। 4 आवेदकों ने अपने आवेदन वापस ले लिए।