मैनपुरी में परिवार से हारी ‘सरकार’, उपचुनाव के बहाने एकजुट हुआ मुलायम कुनबा

मैनपुरी,

बीजेपी ने मैनपुरी के चुनावी इतिहास में इतना जबरदस्त तरीके से प्रचार कभी नहीं किया था. सीएम योगी आदित्यनाथ को दो बार मैनपुरी में रैली करने के लिए आना पड़ा. केशव प्रसाद मौर्य तो बकायदा डेरा जमाए हुए थे और रघुराज के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. बीजेपी के तमाम नेता और योगी सरकार के दर्जनों मंत्री रघुराज शाक्य को जिताने में जुटे थे. सूबे में सरकार होने के चलते प्रशासन भी अपने घोड़े खोल रखे थे, आरोप लगे कि प्रशासन कई लोगों को वोट देने से रोक रहा, किसी मामले में आरोपी रहे लोगों को पुलिस घर में रहने को या जिले के बाहर जाने को कह रही है. कई लोग उठा लिए गए हैं. इसकी शिकायत करने सपा चुनाव आयोग तक पहुंची थी. इससे समझा जा सकता है कि मैनपुरी सीट जीतने के लिए बीजेपी कितनी बेताब थी.

दरअसल, सपा का गढ़ माने जाने वाले ज्यादातर लोकसभा क्षेत्रों पर बीजेपी अपनी जीत का परचम लहरा चुकी है. कन्नौज, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, बदायूं, इटावा, आजमगढ़ और रामपुर जैसे इलाके में बीजेपी के सांसद हैं. मैनपुरी सैफई परिवार की सीट मानी जाती है. मुलायम सिंह से लेकर धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव तक सांसद रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी यह सीट जीतकर पूरे देश में नया राजनीतिक संदेश देना चाहती थी और 2024 के लिए सूबे में एक मजबूत सियासी आधार खड़ा करना चाहती थी.

बीजेपी के सामने गढ़ बचाने में सफल रही
मैनपुरी सीट को बचाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किसी तरह की कोई भी गुंजाइश नहीं छोड़ी. नामांकन के बाद से अखिलेश मैनपुरी में डेरा डाले रखा था तो चाचा शिवपाल यादव के साथ भी अपने सारे गिले-शिकवे दूर कर लिए थे. बीते चुनाव में एक-दो सभाएं करने वाले सैफई परिवार ने घर-घर जाकर वोट मांगे. डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित के करने के बाद से ही अखिलेश यादव ने पूरे उपचुनाव की कमान खुद संभाल ली. ऐसा प्रचार अखिलेश ने करहल विधानसभा सीट पर अपने खुद के चुनाव में भी नहीं किया था.

मुलायम की कर्मभूमि से डिंपल सांसद
सपा के घर की सीट बचाकर अपना दबदबा कायम रखा. मुलायम सिंह यहां से खुद पांच बार सांसद रहे. मैनपुरी सीट के बहाने प्रत्यक्ष रूप से सैफई परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. ऐसे में मैनपुरी सीट खोने का सीधा असर अखिलेश यादव के सियासी भविष्य पर भी पड़ता. इसीलिए लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक तल्खी को भुलाते हुए अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव को भी साथ लिया. चाचा-भतीजे की एकता ही बीजेपी के लिए मैनपुरी सीट पर हार की वजह बनी और डिंपल यादव एक बार फिर से सांसद बनने में सफल रहीं. डिंपल के सियासी इतिहास में यह सबसे बड़ी जीत है.

डिंपल यादव रिकॉर्ड वोटों से जीतीं
मैनपुरी सीट पर बसपा और कांग्रेस के मैदान में न होने से सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला था. डिंपल यादव को 618120 वोट मिले तो बीजेपी प्रत्याशी रघुराज शाक्य को 329659 वोट मिले. इस तरह से सपा ने 288461 मतों से बीजेपी को शिकस्त दी है.

चाचा-भतीजे की एकता बनी बड़ी ताकत
अखिलेश को इस बात का अंदाजा था कि सियासी रणनीतिकार के रूप में शिवपाल ही उन्हें बड़ी जीत का रास्ता दिखा सकते हैं. इसीलिए शिवपाल यादव के साथ अपने सारे गिले-शिकवे दूर किए. परिवार के एकजुट होने के बाद मतदाताओं के बीच स्पष्ट संदेश गया कि अब किसी तरह का कोई मतभेद और मनभेद नहीं है. शिवपाल यादव और उनके बेटे आदित्य यादव ने जसवंतनगर, करहल और मैनपुरी क्षेत्र में गांव-गांव डिंपल के लिए वोट मांगते नजर आए.

शिवपाल यादव के साथ आने का जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में बड़ा असर हुआ और लोगों ने डिंपल यादव के जमकर वोट दिए. जसवंतनगर सीट से सिर्फ डिंपल यादव को 1,64,659 वोट मिले हैं जबकि बीजेपी प्रत्याशी रघुराज शाक्य को 58,211 वोट मिले. इस तरह से डिंपल ने केवल जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से 1,06,448 मतों से बीजेपी हराया. इसके अलावा बाकी क्षेत्र में सपा के पक्ष में इस तरह से वोट नहीं मिले. ऐसे में अगर अखिलेश चाचा शिवपाल को मनाने में सफल नहीं हो पाते तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता था.

अखिलेश की सोशल इंजीनियरिंग काम आई
मैनपुरी उपचुनाव के बहाने अखिलेश यादव ने अपनी नई सोशल इंजीनियरिंग को भी मजबूत किया है. अखिलेश सिर्फ यादव और मुस्लिम वोटों पर ही अपना फोकस नहीं रखा बल्कि ब्राह्मण, गैर-यादव ओबीसी और दलित समुदाय के वोटों को साधने की कवायद की. सपा ने डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाने से पहले आलोक शाक्य को मैनपुरी का जिलाध्यक्ष बनाया ताकि गैर यादव ओबीसी वर्ग को साधा जा सके, क्योंकि यादवों के बाद शाक्य मतदाता ही सबसे ज्यादा हैं. शाक्य बहुल इलाके में अखिलेश यादव का सम्मान गौतम बुद्ध की प्रतिमा देकर किया गया.

About bheldn

Check Also

2000 करोड़ रुपये के घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, कवासी लखमा गिरफ्तार, पिछली सरकार में थे आबकारी मंत्री

रायपुर: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। बुधवार को टीम ने …