श्योपुर ,
भारत में 70 साल बाद पहली बार किसी चीते को खुले तौर पर दौड़ते भागते देखा गया. रविवार को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से निकलकर एक नामीबियाई चीता ओबान किसानों के खेतों में जा पहुंचा था. चौंकाने वाली बात यह रही कि जंगली जानवर को लाठी डंडों से भगाने वाले गांववाले और किसान भी सख्ती न दिखाकर चीते से एहतराम से पेश आए. हालांकि, तब तक वन अमला भी ओबान को लेने पहुंच गया था और विदेश से आए जानवर को अंग्रेजी भाषा में समझाते दिखा.
दरअसल, कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़ा गया एक नामीबियाई चीता ओबान अचानक ही जिले के विजयपुर इलाके में जा पहुंचा था. खेतों में गेहूं की फसल काटने पहुंचे किसानों ने जब पहली बार खुले में चीते को देखा तो वो सहम गए.
खबर फैलते ही आसपास के गांवों से भी सैकड़ों लोग लाठी डंडे लेकर खेतों की ओर भागे. लेकिन चीते का हिंसक व्यवहार न देख लोग उसे बड़े प्यार से कूनो के जंगल की ओर भगाने लगे. सूचना मिलने पर वन विभाग का अमला भी मौके पर पहुंच गया. सामने आए एक वीडियो में वनकर्मी हिंदी की बजाए भाषा के शब्दों का उच्चारण कर चीते को बड़े ही प्यार और दुलार से भगाते नजर आए. वनकर्मियों को चीते के सामने ‘गो…गो…ओबान…गो’ कहते सुना जा सकता है.
बता दें कि बीते 11 मार्च को ही कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े से बाहर निकालकर नर चीते ओबान को खुले जंगल में छोड़ा गया था. लेकिन उसने ऐसी रफ्तार भरी कि आज पार्क के सामान्य वन मंडल को भी पीछे छोड़ वह विजयपुर इलाके के झार बड़ौदा और इकलौद गांव में जा पहुंचा.
नामीबियाई 8 चीतों को पहले क्वारंटाइन बाड़े में रखा गया था और फिर चरणबद्ध तरीके से उनको बड़े बाड़े के अलग-अलग कंपार्टमेंट में शिफ्ट किया. उसके बाद अब उन्हें पार्क के खुले जंगलों में छोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ है. इसी कड़ी में अब तक 3 नर और एक मादा नामीबियाई चीतों को खुले जंगल में छोड़ दिया गया है.
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर माह में नामीबिया से लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए 8 चीतों को अब करीब 7 माह का समय बीतने को है. इनमें से एक मादा चीता साशा की किडनी संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है. जबकि एक और मादा सयाया ने बीते दिनों ही 4 चीतों को जन्म दिया है. वहीं, 18 फरवरी को साउथ अफ्रीका से भी 12 नए चीते लाकर पार्क में बसाए गए हैं. पार्क में कुल चीतों का कुनबा 23 हो गया है. सभी चीतों को अपना नया घर रास आने लगा है. लेकिन वन विभाग की मुश्किलें भी बढ़ने लगी हैं. साथ ही आसपास के गांवों में भी नागरिक खौफजदा हैं.
यूपी में भी पुलिस ने निकाली थी ‘ठांय ठांय’ की आवाज
पता हो कि उत्तर प्रदेश के सम्भल में एक मुठभेड़ के दौरान हथियार से फायर न हो पाने के कारण पुलिस ने मुंह से ‘ठांय-ठांय’ की आवाज निकालकर छिपे हुए बदमाशों से सरेंडर करने को कहा था. साल 2018 का यह मामला है. इस मामले से यूपी पुलिस की किरकिरी हुई थी. सोशल मीडिया पर घटना के वीडियो वायरल होने पर तत्कालीन एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार ने इसे बेवकूफी भरा उत्साह करार दिया था.