नई दिल्ली,
सऊदी अरब के जेद्दा में इस्लामी खलीफा युग से संबंधित बड़ी खोज की गई है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से शुरू किए गए ऐतिहासिक जेद्दा पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत यह खोज हुई है जिसमें विभिन्न कलाकृतियों के लगभग 25,000 टुकड़े मिले हैं.
सऊदी अरब की सरकारी प्रेस एजेंसी, सऊदी प्रेस एजेंसी ने बताया कि जेद्दा ऐतिहासिक जिला कार्यक्रम ने सऊदी अरब के विरासत आयोग के साथ मिलकर इस्लामी हिजरी कैलेंडर की पहली दो शताब्दियों- सातवीं से आठवीं शताब्दी के समय की इस खोज की घोषणा की है.
जेद्दा पुनरुद्धार कार्यक्रम जनवरी 2020 में शुरू किया गया था जिसका लक्ष्य जेद्दा के चार अहम क्षेत्रों का भौगोलिक सर्वेक्षण कर उनके ऐतिहासिक महत्व को सामने लाना है. ये चार साइट्स हैं- ओतमान बिन अफ्फान मस्जिद, अल शोना, जेद्दा के उत्तरी दीवार का एक हिस्सा और अल किदवा.
नई खोज इन सभी साइटों पर हुई है जिसमें सातवीं और आठवीं शताब्दी की कलाकृतियों के हजारों टुकड़े मिले हैं. ये कलाकृतियां अलग-अलग समय की बताई जा रही है.ओतमान बिन अफ्फान मस्जिद के एक हिस्से में आबनूस की लकड़ी से बने खंभे मिले हैं जिनका संबंध सिलोन (अब श्रीलंका) से है. इस खोज से पता चला है कि उस दौर में जेद्दा शहर का व्यापार काफी फैला हुआ था.
खोज में क्या-क्या मिला?
खोजकर्ताओं को जेद्दा शहर की ओतमान बिन अफ्फान मस्जिद में मिट्टी के बर्तनों के 11,405 टुकड़े मिले हैं जिनका वजन 293 किलो है. जानवरों की 11,360 हड्डियां मिली है जिनका वजन 107 किलो बताया जा रहा है, 1,730 जानवरों के शरीर के बाहरी खोल मिला है जिनका वजन 32 किलो है, 87 किलो वजन की इमारत बनाने वाली 685 सामग्री मिली है, कांच की 187 कलाकृतियां मिली हैं जिनका वजन 5 किलो है, धातु से बनी 71 कलाकृतियां मिली हैं जिनका वजन 7 किलो है.
खोजकर्ताओं को उसी मस्जिद के स्थान से चीनी मिट्टी के प्यालों का विशाल कलेक्शन और उच्च क्वालिटी पोर्सिलेन से बने महंगे बर्तन भी मिले हैं. इनमें से कुछ बर्तन 16वीं और 19वीं सदी के हैं जिन्हें चीन के प्रांत जियांजी से लाया गया था. ज्यादा पुराने बर्तनों के टुकड़े इस्लामिक युग अब्बासी युग के हैं.अल शोना के पुरातत्विक साइट से 19वीं सदी के बर्तन के बहुत से टुकड़े मिले हैं जिसमें यूरोप, जापान और चीन से मंगाए गए 19वीं और 20वीं सदी के पोर्सिलेन और चीनी मिट्टी के बर्तन शामिल हैं.
अल किदवा (मक्का गेट) के पास भी खुदाई की गई है जहां 18वीं सदी में पूर्वी भाग में खुदी खाइयां हैं. जेद्दा के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों से मंगाबी पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरों से बने मकबरों के स्तंभ भी मिले हैं. इनपर लोगों के नाम, कुरान की आयतें लिखी हैं जिन्हें लेकर अनुमान है कि वो दूसरी और तीसरी शताब्दी की हैं.