नई दिल्ली,
संसद में राम मंदिर के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आज एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया. ओवैसी ने कहा, ‘बाबरी मस्जिद जिंदाबाद, बाबरी मस्जिद जिंदाबाद… मस्जिद थी, है और रहेगी. केंद्र को निशाने पर लेते हुए ओवैसी ने कहा, ‘क्या मोदी सरकार सिर्फ एक मजहब की सरकार है ? क्या मोदी सरकार सिर्फ हिन्दुत्व की सरकार है ? क्या देश का कोई मजहब है ? देश का कोई मजहब नहीं है .. मुसलमानों को क्या पैगाम दे रहे हैं आप ?’
अयोध्या का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘मोदी सरकार सिर्फ एक मजहब की सरकार है? या पूरे देश के धर्मों को मानने वाली सरकार है? 22 जनवरी का जश्न मनाकर आप करोड़ों मुसलमानों को क्या मैसेज दे रहे हैं? क्या यह सरकार यह संदेश देना चाहती है कि एक धर्म ने दूसरे पर विजय प्राप्त की? आप देश के 17 करोड़ मुसलमानों को क्या संदेश देते हैं? 1992, 2019, 2022 में मुसलमानों को धोखा दिया, मैं बाबर, औरंगजेब , जिन्ना का प्रवक्ता नहीं हूं.’
राम की इज्जत करता हूं लेकिन नाथूराम से नफरत
6 दिसंबर 1992 के बाद देश में फसाद हुआ था. नौजवानों को जेल में डाला गया और वो बूढ़े होकर बाहर निकले. मैं राम की इज्जत करता हूं . लेकिन नाथूराम से नफरत करता हूं क्योंकि उसने उस व्यक्ति की हत्या की थी जिसके अंतिम शब्द ‘हे राम’ थे. ओवैसी से बाबर के बारे में क्यों पूछते हो ? बोस, नेहरू और हमारे देश के बारे में पूछते…’ओवैसी ने कहा, ‘मैं ताज्जुब कर रहा हूं कि लोकसभा मख्तलिफ आवाजों में कैसे बोल सकता है? 16 दिसंबर 1992 को इसी लोकसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें बाबरी मस्जिद विध्वंस की आलोचना की गई गई थी. मेरा मानना है कि इस देश का कोई मजहब नहीं है… ‘