किसी का घर टूटा तो किसी की दुकान… जानें मुआवजा लेकर भी क्यों ठगा सा महसूस कर रहे अयोध्या के लोग?

अयोध्या,

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही शहर की कायाकल्प होने का काम भी हुआ, जिसमें रामपथ के साथ-साथ भक्तिपथ नया घाट, एयरपोर्ट जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट के जमीन की जरूरत थी. इसके लिए मकान और दुकानों को तोड़कर मुआवजा दिया गया. सड़कों के चौड़ीकरण और एयरपोर्ट के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण के लिए 2000 से ज्यादा घरों और दुकानों को भी तोड़ा गया, जिसके बदले में सरकार ने मुआवजा देने की बात कही है. यह मुआवजा सर्किल रेट के मुताबिक दिया गया, जिसमें खासतौर पर एयरपोर्ट के इलाके में 12 लाख प्रति बीघा के हिसाब से मुआवजा दिया गया है. वहीं, शहरी क्षेत्र में आने वाली जमीन का मुआवजा 75 लाख प्रति बीघा के हिसाब से दिया गया.

वहीं, योगी सरकार के आंकड़ों की बात करें तो अयोध्या के लोगों को मुआवजे के रूप में 1,733 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं. चाहे राम पथ हो, भक्ति पथ हो, जन्मभूमि पथ हो या एयरपोर्ट, जिनकी जमीन, दुकान या मकान प्रभावित हुए, उन्हें मुआवजा दिया गया है. सरकार का दावा है कि उन लोगों के लिए दुकानें बनाई हैं, जिनके पास जगह थी और जिनके पास नहीं थी, उनके लिए हमने बहु-स्तरीय परिसरों का निर्माण किया है.

किस काम के लिए दिया गया कितना मुआवजा
राज्य सरकार के मुताबिक अयोध्या एयरपोर्ट के निर्माण से प्रभावित लोगों को 952.39 करोड़ रुपये, अयोध्या बाईपास (रिंग रोड) के लिए 295 करोड़ रुपये, राम जन्मभूमि पथ के लिए 14.12 करोड़ रुपये, भक्ति पथ के लिए 23.66 करोड़ रुपये, 114.69 रुपये का मुआवजा दिया गया. रामपथu के लिए करोड़, 29 करोड़ रुपये पंचकोसी परिक्रमा मार्ग, चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग के लिए 119.20 करोड़ रुपये, रुदौली और रोजागांव रेलवे स्टेशनों के बीच रेलवे दोहरीकरण के लिए 35.03 लाख रुपये, एनएच 330 ए के निर्माण के लिए 163.90 करोड़ रुपये, एनएच 227 बी के पैकेज 3 के तहत 21.09 करोड़ रुपये दिए गए.

मुआवजे को लेकर हुई तगड़ी सियासत
एक तरफ राज्य सरकार ने मुआवजे को लेकर अपना आंकड़ा पेश किया तो वहीं मुआवजे को लेकर सियासत भी तेज हुई जिसमें अयोध्या के लोगों को मुआवजा न दिए जाने की बात सामने आई. आजतक की टीम अयोध्या के उन इलाकों में पहुंची जहां पर अलग-अलग परियोजनाओं के लिए दुकानों और घरों को तोड़ा गया और उसका मुआवजा किस हिसाब से दिया गया. अयोध्या के लोग मुआवजा मिलने की बात तो मानते हैं, लेकिन साथ में यह भी कहते हैं कि मुआवजा इतना पूरा नहीं था जिससे नुकसान की भरपाई हो सके.

घर चलाने के लिए पूरा नहीं मुआवजा
सबसे पहले बात करें धर्मपुर गांव से एयरपोर्ट के विस्तार के लिए विस्थापित इन परिवारों की जिन्हे 12 लाख प्रति बीघा के मुताबिक मुआवजा दिया गया. ज्यादातर लोग इसमें मुआवजा मिलने की बात तो स्वीकारते हैं, लेकिन इसे पूरा नहीं बताते. रामकुमार 50 कहते हैं कि उनकी पांच बीघा जमीन एयरपोर्ट के काम के लिए गई, जिसके लिए उन्हें लगभग 60 लाख रुपए मिले हैं, लेकिन यह पैसा पूरा घर बनाने चलाने और आमदनी के साधन के लिए पूरा नहीं है. अभी भी रहने वाले इलाके में सड़क और नाली का काम पूरा नहीं हुआ है और दिक्कतें मौजूद है.

बाकियों की तुलना में कम मिला मुआवजा
शांति देवी (65) कहती हैं कि उनका 12 लोगों का परिवार है और लगभग 6 बीघा जमीन एयरपोर्ट के काम में गई और उन्हें लगभग 75 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर मिले, लेकिन इतने पैसे में पूरे परिवार को चलाना और मकान बनाने में पूरा नहीं पड़ रहा. जो खेत खाने और आय के साधन थे, वह खत्म हो गए और अब जो मुआवजा दिया गया है वह बाकियों की तुलना में काम है. वह कहती है इस इलाके दूसरी तरफ 75 लाख प्रति बीघा के मुताबिक भी मुआवजा दिया गया, जिससे वह वंचित रहे और अब इतने पैसे में ही घर से लेकर काम सब कुछ संभालना पड़ रहा है जो पूरा नहीं है.

मुआवजे से नहीं हो सकता दुकान का नवीनीकरण
अब बात राम पथ पर बनी दुकानों की करते हैं, जहां बड़ी संख्या में दुकानों और मकानों को सड़क के चौड़ीकरण के लिए तोड़ा गया. सोहनलाल (51) की दुकान 18 फीट तोड़ी गई थी, वह कहते हैं इसके लिए उन्हें मुआवजा तो मिला, लेकिन वह लगभग डेढ़ लाख ही है. इतने में दुकान का नवीनीकरण नहीं हो सकता और अपनी जमा पूंजी से काम करना पड़ा. हालांकि, वह मानते हैं कि मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ी है और इससे काम और आय दोनों बढ़ी हैं और उम्मीद करते हैं कि आगे भी आमदनी अच्छी रहे.

दुकान की किस्त चुकाने की हालत नहीं
अशोक कुमार (50) की पूरी दुकान राम पथके लिए चली गई. उन्हें मुआवजे के तौर पर सवा लाख रुपए मिले. इन पैसों से किराए पर दुकान नहीं ले पा रहे हैं और जो दुकान बदले में आवंटित हुई उसकी किस्त चुकाने के हालत में नहीं हैं. अशोक अब एक टेबल पर चाय लगाकर फुटपाथ पर बेचते हैं. वो कहते है कि मुआवजा तो मिला, लेकिन उतना नहीं है जिससे आगे की भरपाई की जा सके. चाय का काम मंदिर खुलने के बाद से शुरू किया है और अब इससे घर परिवार चल रहा है.

रामपथ में चली दुकान, मिला बेहद कम मुआवजा
ऐसे ही एक और दुकानदार नंद कुमार गुप्ता कहते हैं कि उनकी भी पूरी दुकान राम पथ में गई. हालांकि, बदले में उन्हें दुकान मिली. लेकिन उसका किराया भर पाना उनकी क्षमता के बाहर है. अब वह अपने घर से ही लड्डू बनाकर दूसरी दुकान पर सप्लाई करके काम चला रहे हैं. वह कहते हैं कि मुआवजे की रकम महज 1 लाख थी, जिसमें दुकान तो क्या छोटा व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जा सकता. मुआवजा नहीं मिला यह कहना ठीक नहीं है लेकिन इतना भी नहीं है कि जिंदगी बसर हो पाए.

15 फीट टूटा मकान, पास में नहीं है पैसे
रामपथ के आसपास बने मकानों को भी सड़क के चौड़ीकरण के लिए तोड़ा गया, जिसमें कई मकान ऐसे हैं जो आज तक नहीं बन पाए. अपना घर दिखाते हुए सीमा और अनूप निषाद कहते हैं कि सड़क से 15 फीट मकान टूट चुका है और उसके हालात यह है कि अब उसकी मरम्मत करने के पैसे उनके पास नहीं है. जब मकान तोड़ा गया तो उसके कंपन से अंदर की दीवारें और छत भी क्षतिग्रस्त हुई हैं, जो मकान को कमजोर कर चुकी है. मुआवजे के तौर पर 1,40,000 रुपए मिले. लेकिन इसमें कैसे घर की मरम्मत की जा सकती है.

घर की मरम्मत करा पाने की हालात में नहीं
एक और परिवार अभी तक अपना मकान ठीक नहीं करवा सका है. किशन कुमार अपनी पत्नी और पूरे परिवार के साथ इस मकान में रहते हैं, जो सामने से पूरी तरह क्षतिग्रस्त है. क्योंकि उनका मकान भी राम पथ के निर्माण में तोड़ा गया. वह कहते हैं कि सवा लाख रुपए उन्हें भी मुआवजा मिला है, लेकिन अभी घर के हालात ऐसे नहीं है कि घर की मरम्मत कर पाए. उनका भी मानना है कि मुआवजा तो मिला है लेकिन वह इतना नहीं है जो नुकसान की भरपाई कर पाए और अब पैसों का इंतजाम होने पर ही घर बनवा पाएंगे.

उचित मुआवजा दिया गया: डीएम
वहीं, अयोध्या के डीएम नीतीश कुमार कहते हैं कि सभी इलाकों में जहां विकास का काम हुआ. भूमि अधिग्रहण हुआ. वो परिवारों की रजामंदी के साथ किया गया और उन्हें उचित मुआवजा दिया गया है. इसके अलावा एयरपोर्ट से विस्थापित परिवारों को जगह दी गई और वहां जो काम बचे हैं. उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा. यह जरूर है कि दो से चार प्रतिशत कुछ लोगों की समस्याएं हैं. लेकिन प्रशासन उन्हें भी सुनकर मदद कर रहा है. कुछ भ्रामक बातें कहीं जा रही हैं, लेकिन यह बिल्कुल निराधार है और सरकार 952 करोड़ से ज्यादा अब तक मुआवजा दे चुकी है. यह प्रक्रिया लगातार चल रही है और आगे आने वाले कामों के लिए भी मुआवजा दिया जा रहा है.

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