नई दिल्ली
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के गठबंधन कर लेने के बाद भी दिल्ली में बीजेपी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। बीजेपी ने लगातार तीसरी बार दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटें जीत लीं। इस करारी हार के बाद दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन लगभग टूट चुका है। दोनों ही पार्टियां विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का हिस्सा हैं। कांग्रेस ने चांदनी चौक, उत्तर पश्चिम दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि आप ने पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पश्चिम दिल्ली सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। सीट बंटवारे के समझौते के हिसाब से कांग्रेस ने तीन और आप ने चार सीटों पर चुनाव लड़े थे।
आप पर चुनाव में मदद नहीं करने का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि तीनों पार्टी उम्मीदवारों चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल, उत्तर पश्चिम दिल्ली से उदित राज और उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार ने अपनी हार के लिए आप को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की दो सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमिटी को बताया कि उन्हें चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी की तरफ से पर्याप्त मदद नहीं मिली।
दिल्ली में अलग, देश में साथ-साथ?
हालांकि कांग्रेस और आप, दोनों राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे लेकिन दोनों दलों के नेताओं ने खुले तौर पर संकेत दिया है कि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए उनके बीच किसी भी सीट बंटवारे के समझौते की उम्मीद नहीं की जा सकती है। दिल्ली कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘वरिष्ठ नेताओं, पूर्व विधायकों, ब्लॉक और जिला अध्यक्षों सहित हमारे सभी नेताओं ने दिल्ली में हमारी हार के कारणों पर चर्चा की है। हमारे उम्मीदवारों ने लगातार यही कहा है कि आप ने चुनाव के दौरान सहयोग नहीं किया।’
कांग्रेस की समीक्षा समिति में हो रहे खुलासे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन राज्यों के लिए समीक्षा समितियां गठित की हैं जहां पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा चुनावों में निराशाजनक या औसत से कम रहा है। दिल्ली पर गठित समिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया और रजनी पाटिल शामिल हैं। पुनिया ने कहा, ‘पैनल की रिपोर्ट अब कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को सौंप दी गई है।’ समिति की समीक्षा बैठक में दिल्ली कांग्रेस के लगभग 90 नेताओं ने अपने विचार रखे। जो नेता दिल्ली में नहीं थे, उन्होंने फोन से अपनी राय दी।
अपनी पार्टी पर भी बरसे कांग्रेस उम्मीदवार
तीन उम्मीदवारों में से एक ने दिल्ली कांग्रेस के एक वर्ग पर ‘निष्क्रिय रहने’, ‘हेकड़ी दिखाने’ और उनके खिलाफ ‘झूठ फैलाने’ के गंभीर आरोप लगाए। हालांकि, उन्होंने आप पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘आप नेता चिंतित थे कि अगर उनके समर्थकों ने एक बार कांग्रेस को वोट दे दिया, तो उनके लिए नौ महीने में विधानसभा चुनावों में आप में वापसी करना मुश्किल हो जाएगा। दोनों पक्षों के उत्साही कार्यकर्ताओं को नेताओं की अंदरूनी कलह और आप की नौ महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर असुरक्षा ने निराश किया।’
आप की आपदा में अवसर देख रही है कांग्रेस
लोकसभा में बीजेपी की एकतरफा जीत हो रही है तो विधानसभा में आप 2015 से ही जीत रही है और दिल्ली में तब से शासन कर रही है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली में अपना खाता खोलने में विफल रही कांग्रेस अब राष्ट्रीय राजधानी में वापसी करने की कोशिश कर रही है। उसे आप की आपदा में अवसर दिखाई दे रहा है, जिसका शीर्ष नेतृत्व कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की फांस में जकड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री केजरीवाल इस मामले में पिछले कुछ महीनों से जेल में हैं तो उनके पूर्व डिप्टी मनीष सिसोदिया पिछले साल की शुरुआत से ही तिहाड़ में बंद हैं। जाहिर है, कांग्रेस के पतन से दिल्ली में आप का उदय हुआ था और 2013 में सत्ता से बेदखल होने के कुछ ही वर्षों बाद पार्टी का जनाधार सामूहिक रूप से आप में ट्रांसफर हो गया।
आप सरकार के खिलाफ होगा कांग्रेस का प्रदर्शन
विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी (DPCC) आने वाले दिनों में आप सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रही है। डीपीसीसी के संचार विभाग के अध्यक्ष अनिल भारद्वाज ने कहा, ‘हम जनहित और कल्याण के मामलों पर अपनी आवाज उठाएंगे। मानसून के मौसम में बाढ़ और दिल्ली में नालों का पानी न निकलना एक ऐसा मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। हम एक योग्य विपक्ष के रूप में कार्य करना चाहते हैं।’
संसदीय चुनावों के बाद दिल्ली कांग्रेस ने लंबी गर्मी के बीच पानी के संकट से लेकर शहर के ढहते नागरिक बुनियादी ढांचे तक, विभिन्न मुद्दों पर आप पर निशाना साधा है। दिल्ली कांग्रेस के कई नेताओं ने केजरीवाल पर ‘भ्रष्ट’ होने का आरोप लगाया है, साथ ही नियमित रूप से आप सरकार के मंत्रियों, जिनमें आतिशी और सौरभ भारद्वाज शामिल हैं, पर कटाक्ष किया है।
दिल्ली नगर निगम में साथ रहेंगी दोनों पार्टियां
हालांकि, नगर निगम स्तर पर, कांग्रेस पार्टी आप के लिए अपना समर्थन जारी रखने पर विचार कर रही है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि दिल्ली के मेयर पद के लंबे समय से लंबित चुनाव में कांग्रेस के पार्षद बीजेपी उम्मीदवार की हार सुनिश्चित करने के लिए आप के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। अपनी चुनावी तैयारियों के तहत, दिल्ली कांग्रेस ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बैठकें आयोजित करना शुरू कर दिया है।
दिल्ली में मजबूत होने को छटपटा रही कांग्रेस
कांग्रेस सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘सात से आठ जिला सम्मेलन पहले ही हो चुके हैं, कुछ सम्मेलन अभी बाकी हैं। हम विशेष रूप से उन विधानसभा क्षेत्रों में बैठकें कर रहे हैं, जो उन लोकसभा सीटों में आते हैं जहां आप ने अपने कैंडिडेट उतारे थे। इसका मकसद आगामी चुनावों के लिए हमारे कार्यकर्ताओं को एकजुट किया जाना है। दक्षिण दिल्ली में आप ने कैंडिडेट उतारे थे। वहां हमने महरौली में एक कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया जबकि एक अन्य सम्मेलन 14 जुलाई को बदरपुर में आयोजित किया जाएगा।’
डीपीसीसी प्रमुख देवेंद्र यादव ने कहा, ‘कई ब्लॉक और जिला कांग्रेस समितियों का कामकाज बहुत संतोषजनक नहीं था। पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए बूथ स्तर पर 10-10 कार्यकर्ताओं की एक टीम बनाकर उन्हें सक्रिय और मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठा रही है। एमसीडी वार्ड के आधार पर 280 प्रखंड कांग्रेस समितियों को विभाजित करने का प्रारूप तैयार कर लिया गया है, जो 68 विधानसभा क्षेत्रों में फैला होगा, जबकि नई दिल्ली और दिल्ली कैंट सीटों पर 4-4 प्रखंड बनेंगे। अंततः डीपीसीसी में 258 ब्लॉक कमीटियां होंगी।’
खोई जमीन वापस पाने को बन रहीं रणनीतियां
देवेंद्र यादव ने लोकसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर पूर्व डीपीसीसी प्रमुख अरविंदर सिंह लवली के बीजेपी में शामिल होने के बाद दिल्ली कांग्रेस की कमान संभाली थी। उन्होंने बुधवार को पार्टी के जिला अध्यक्षों और जिला पर्यवेक्षकों की बैठक की। ऐसी बैठकों में आप और बीजेपी दोनों को टक्कर देने के लिए रणनीतियां बनाने पर काम हो रहा है। पार्टी ने कहा, ‘हमें बीजेपी और आप सरकारों के खिलाफ आक्रामक अभियानों की आवश्यकता है और प्रमुख मुद्दों से निपटने में उनके झूठ, झूठेपन, निष्क्रियता और अक्षमता का पर्दाफाश करना होगा।’
28 जून को डीपीसीसी की कार्यकारिणी समिति की बैठक के दौरान, देवेंद्र ने कहा, ‘लोग अब दिल्ली को कुशासन और नागरिक मामलों की अशांत स्थिति से बचाने के लिए कांग्रेस की ओर देख रहे हैं क्योंकि आप सरकार ने पिछले 10 वर्षों में दिल्ली की पूरी तरह से उपेक्षा की है।’ कांग्रेस में संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने हाल ही में न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि दिल्ली और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की बहुत गुंजाइश नहीं दिखती है।