रावलपिंडी,
बांग्लादेश टेस्ट टीम ने पाकिस्तान को उसी के घर में हराकर इतिहास रच दिया है. दोनों टीमों के बीच 2 टेस्ट की सीरीज का पहला मुकाबला 21 से 25 अगस्त तक खेला गया, जिसके आखिरी दिन बांग्लादेश ने 10 विकेट से जीत दर्ज की. इस हार के बाद पाकिस्तानी कप्तान शान मसूद ने बचकाना बयान देते हुए पिच पर ही हार का ठीकरा फोड़ दिया.
मैच में पाकिस्तान ने पहली पारी 6 विकेट पर 448 रन बनाकर घोषित की थी. इसके बावजूद उसे हार झेलनी पड़ी. बांग्लादेश ने पहली पारी में 565 रन बनाए थे. इसके बदौलत पहली पारी में 117 रनों की लीड मिली थी. पाकिस्तान टीम ने दूसरी पारी में 146 रनों पर ढेर हुई और सिर्फ 30 रनों का टारगेट सेट किया. इसके बाद बांग्लादेश ने बगैर विकेट गंवाए यह मैच जीतकर इतिहास रच दिया.
हार के बाद शान मसूद ने कहा कि पिच वैसा नहीं खेली जैसा हमने सोचा था. यह बचकाना सा बयान लगता है. शायद उन्हें यह कहना चाहिए कि उनसे पिच को पढ़ने में गलती हो गई. इस टेस्ट में पाकिस्तानी टीम 4 तेज गेंदबाजों के साथ उतरी थी. जबकि बांग्लादेश टीम में 6 स्पिनर थे और उन्होंने ही मैच पलटा. इस रणनीति पर भी मसूद ने जवाब दिया.
कप्तान ने पिच पर फोड़ा हार का ठीकरा
मसूद ने कहा, ‘कोई बहाना बनाने वाली बात नहीं है, लेकिन हां, पिच वैसा नहीं खेली जैसा हमने सोचा था. साथ ही गेम में अलग फ़ैक्टर्स भी थे. जैसे- पहले ही दिन बारिश ने आधे दिन का खेल धुल दिया. तो अगर चार या साढ़े चार दिन का ही खेल होना हो, तो आप सोचते हैं कि ये तेजी से चलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘आप ज्यादा से ज्यादा ओवर्स फेंकना चाहते हैं. पिच भी देखनी होती है. और साथ ही मौसम की भी बात है. पहले इस्लामाबाद और फिर रावलपिंडी. हम यहां नौ दिन से थे और लगभग हर दिन बारिश हुई है. और फिर पहले दिन के बाद आपने एक टेस्ट खेला जिसमें एक भी बूंद नहीं बरसी.’
4 पेसर्स खिलाने पर कप्तान ने कही ये बात
चार तेज गेंदबाज खिलाने को लेकर मसूद ने कहा, ‘बहुत सारी बातें हैं, लेकिन आखिर में हमें देखना होगा कि हमने कितनी गलतियां कीं. और उन्हें सुधारना होगा. सोच यही थी कि पिच से थोड़ी और मदद मिलेगी. साथ ही मैंने सोचा था कि अगर तीन पेस बोलर्स के साथ गए तो उन्हें बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी.’
कप्तान ने कहा, ‘उन पर बहुत लोड होगा. साथ ही इसका मतलब ये भी होता कि स्पिनर को भी हर दिन 25-30 ओवर फेंकने पड़ते. हम यही अवॉइड करना चाहते थे. पांचवें दिन स्पिनर्स की जरूरत पड़ सकती थी, लेकिन हमने सोचा था कि इस मौसम में शायद ये पूरे पांच दिन चले ही ना.’