‘रूस नहीं देता सस्ता तेल, आप दोगे अच्छी डील?’ ‘पक्के दोस्त’ से क्रूड ऑयल लेने को लेकर मचे बवाल पर एस जयशंकर का जवाब

नई दिल्ली

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने पूरी तरीके से यूक्रेन का साथ दिया है। इस पूरे तनाव में भारत ने बैलेंस बनाकर रखा और पश्चिमी देशों के अलावा रूस से भी दोस्ती बरकरार रखी। भारत की आलोचना इसलिए होती रही क्योंकि वहा रूस से तेल खरीद रहा है। पश्चिमी देशों का आरोप रहा कि भारत, रूस से तेल खरीद कर उसे युद्ध में फंड कर रहा है। इसको लेकर अब जब एक बार फिर सवाल उठे तो भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर आक्रामक रुख अपनाया।

दरअसल, शनिवार को एस जयशंकर से जब रूस से भारत के कच्चा तेल खरीदने को लेकर सवाल किया गया तो एस जयशंकर ने कहा कि क्या विश्व के पास भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोई बेहतर विकल्प हैं? अगर हो तो प्रस्ताव दिया जाए। एस जयशंकर ने यह बयान 22वें दोहा फोरम के पैनल ‘नए युग में संघर्ष समाधान’ पर चर्चा के दौरान दिया है।

रूस से सस्ता तेल नहीं खरीदता भारत
भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने दोहा में कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना कोई बहुत सस्ता सौदा नहीं है बल्कि यह देश की ऊर्जा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मैं तेल खरीदना हूं, यह सच है लेकिन यह सस्ता नहीं है।

रूस बना भारत का प्रमुख क्रूड ऑयल सप्लायर देश
गौरतलब है कि भारत में हाल के वर्षों में रूस से कच्चे तेल की आयात में जबरदस्त बढ़ोतरी की है। अब रूस भारत का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर देश बन चुका है। भारत अपने कुल क्रूड ऑयल आयात का 35% केवल रूस से ही मंगवाता है। एस जयशंकर ने कहा कि भारत का हमेशा मानना रहा है कि रूस यूक्रेन युद्ध, युद्ध भूमि पर नहीं सुलझाया जा सकता है।

एस जयशंकर बोले- हम चाहते हैं कि खत्म हो युद्ध
एस जयशंकर ने कहा कि हम मास्को जाते हैं तो राष्ट्रपति पुतिन से बात करते हैं। जब यूक्रेन जाते हैं तो राष्ट्रपति जेलेंस्की से युद्ध को खत्म करने पर चर्चा करते हैं और यह प्रस्ताव देते हैं कि दोनों देश मिलकर बातचीत की टेबल पर आकर युद्ध कैसे खत्म करें।

एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत, रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कोई शांति योजना नहीं बना रहा है। उन्होंने कहा कि हम रूस और यूक्रेन के बीच किसी भी तरह की कोई मध्यस्थता नहीं कर रहे हैं, हां लेकिन बातचीत जरूर कर रहे हैं जिससे दोनों देशों के बीच पारदर्शिता से सहमति बने। रूस यूक्रेन युद्ध से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

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