भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित वन विहार अभ्यारण में अब गिर के शेरों की दहाड़ सुनाई देगी। एमपी और गुजरात के बीच 16 साल तक बातचीत होने के बाद आखिरकार सहमति बन गई है। हालांकि जूनागढ़ के गिर से लॉयन लाने के बदले में दो बाघों को भेजा जा रहा है। लेकिन, इस सहमति के चलते यहां आने वाले वाइल्ड लाइफ लवर को शेरों का दीदार हो सकेगा।
दरअसल, मध्य प्रदेश और गुजरात के बीच शेरों को लाने के लिए 16 सालों से बातचीत चल रही थी। वन विहार नेशनल पार्क की टीम गिर के शेरों को लाने के प्रयास में जुटी थी। इसके लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने निर्देश दिए थे। इसके बावजूद गुजरात वन विभाग और जू मैनेंजमेंट ने युवा बाघों के बजाय पुराने शेर देने की बात की थी। हालांकि इसे वन विहार प्रबंधन ने अस्वीकार कर दिया था।
16 साल बाद बनी बात
16 साल बाद बाघ और शेर के आदान-प्रदान पर बात बन गई। एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जूनागढ़ के गिन नेशनल पार्क ने मानी और युवा शेर के जोड़े को दिया है। वहीं, एमपी के बांधवगढ़ से टाइगर बी-2 और टाइग्रेस बंदनी को सक्करबाग चिड़ियाघर भेजा गया है। इनकी उम्र करीब 7 और 6 साल है।
1000किमी का सफर कर पहुंचा शेरों का जोड़ा
जूनागढ़ से एशियाटिक लॉयन का जोड़ा (नर और मादा) शनिवार की शाम लगभग 1000 किमी की दूरी तय कर सकुशल पहुंच गए हैं। इनके आने से पहले ही वन विहार में सारी तैयारियां पूरी कर ली गईं थी। जैसे ही शेरों का जोड़ा यहां पहुंचा उनको क्वरेन्टाइन में रखा गया है।
विलुप्त प्रजाति का कुनबा बढ़ाने में मिलेगी मदद
आपको बता दें कि वन विहार में फिलहाल तीन शेर हैं। इनमें एक मेल लॉयन सत्या और दो मादा शेरनी गंगा और नंदनी शामिल है। एमपी सरकार लगातार गिर के शेर लाने का प्रयास कर रही थी। इसकी वजह है कि गिर नेशनल पार्क दुनिया भर में एशियाटिक शेरों का घर है। ये लॉयन दुनिया भर की विलुप्त होने वाली प्रजातियों में से एक है। जूनागढ़ से आए शेरों के जोड़े से ब्रीडिंग प्रोग्राम को बढ़ावा मिलेगा। जूनागढ़ से पहले नंदी और सत्या को नंदन कानन जू से लाया गया था।