नोएडा:
उत्तर प्रदेश के नोएडा से रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अजय राज शर्मा के निधन की खबर सामने आई है। इसके साथ ही अजय राज शर्मा एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। यूपी में जब भी अपराध और पुलिस की सख्ती की बात होती है तो एक नाम जरूर याद किया जाता है और वह नाम अजय राज शर्मा का है। यह वही अधिकारी हैं, जिनके खून में अपराधियों के खिलाफ गुस्सा और न्याय की ललक बचपन से थी। यूपी में एनकाउंटर की शुरुआत करने वाले और राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के संस्थापक रहे अजय राज शर्मा का करियर साहसिक और प्रेरणादायक रहा है।
जमींदार परिवार से था नाता
पूर्वांचल के मिर्जापुर में जन्मे अजय राज शर्मा एक जमींदार परिवार से आते थे। उनके घर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था। अजय राज शर्मा ने बचपन में ही उनके पुलिस सेवा में जाने का मन बना लिया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के सेंट जोसेफ एकेडमी से शुरू हुई। इसके बाद वे इलाहाबाद आ गए। वहां उन्होंने क्रिश्चियन पब्लिक स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और फिर 1965 में एमए पास किया।
पहले ही अटेंप्ट में बने आईपीएस
अजय राज शर्मा ने पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। वे विषयों को गंभीरता से समझते थे। एमए की पढ़ाई पूरी होते ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में भालग लिया और पहले प्रयास में ही इस महत्वपूर्ण परीक्षा को पास करने में सफल रहे। उनका चयन आईपीएस के रमप में हुआ। वर्ष 1966 में अजय राज शर्मा यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी बन गए। इसके बाद उनके नाम का डंका पुलिस विभाग में ऐसा बजा, जिसने हर किसी को प्रभावित किया। वे अपराधियों के लिए काल साबित हुए।
चंबल के डाकुओं से पहली मुठभेड़
1970 के दशक में चंबल के बीहड़ में डाकुओं की दहशत थी। उनकी पहली पोस्टिंग यहीं हुई। वहां महिला डाकू गुल्लो ने एक सब इंस्पेक्टर की हत्या कर दी थी। इस घटना ने अजय राज शर्मा को झकझोर दिया। उन्होंने अपराधियों के सफाए का मन बनाया। अजय राज शर्मा को चार साल बाद फिर से चंबल भेजा गया।
अजय राज शर्मा इस बार कुछ अलग इरादे से चंबल आए थे। उन्होंने लज्जाराम पंडित और कुंवरजी गडरिया जैसे कुख्यात डकैतों को उन्होंने 22 घंटे की लंबी मुठभेड़ में ढेर कर दिया। यह उत्तर प्रदेश का पहला बड़ा पुलिस एनकाउंटर था, जिसने अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ बैठा दिया।
यूपी STF की नींव, श्रीप्रकाश शुक्ला का अंत
उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला ने जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ली, तो सरकार ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) बनाने का फैसला किया। इस STF की कमान अजय राज शर्मा को सौंपी गई। उन्होंने ऑपरेशन चंबल की सफलता के बाद अपराधियों के खात्मे की नई रणनीति बनाई। उनकी अगुवाई में STF ने श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया, जिससे यूपी पुलिस में उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया।
दिल्ली पुलिस और BSF में डीजी
अजय राज शर्मा अपने साहस और नेतृत्व क्षमता के कारण दिल्ली पुलिस कमिश्नर भी बनाए गए। तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें यूपी कैडर से लाकर इस पद पर बैठाया। इसके लिए नियम में संशोधन किया गया। इसके अलावा उन्हें सीमा सुरक्षा बल में डीजी रैंक तक पहुंचने का अवसर मिला। उनका करियर सिर्फ अपराधियों के सफाए तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने मैच फिक्सिंग जैसे बड़े मामलों का भी खुलाा किया। मैच फिक्सिंग प्रकरण के कारण भारतीय क्रिकेट पर गंभीर दाग लगे थे।