अमेरिका के विदेश विभाग ने मार्च 2025 के लिए वीजा बुलेटिन जारी कर दिया है। इसमें रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड के लिए ‘फाइनल एक्शन डेट’ में बदलाव देखने को मिला है। अमेरिका में नौकरी करने वाले भारतीय वर्कर्स को परमानेंट रेजिडेंसी भी दी जाती है। इसके लिए उन्हें एक कार्ड मिलता है, जो ग्रीन कार्ड के तौर पर जाना जाता है। रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड हासिल करने में भारतीय सबसे आगे रहते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए लंबा इंतजार भी करना पड़ता है।
रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड की कुछ कैटेगरी में ‘फाइनल एक्शन डेट’ आगे बढ़ी है। भारतीयों के लिए EB-2 और EB-3 कैटेगरी के लिए ‘फाइनल एक्शन डेट’ छह हफ्ते आगे बढ़ गया है। वहीं EB-1 और EB-5 कैटेगरी में किसी तरह का कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। वीजा बुलेटिन उन लोगों के लिए बेहद जरूरी होता है, जो ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे हैं। इसके जरिए उन्हें ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने और अपने वीजा स्टेटस को बदलने के समय में बारे में जानकारी मिलती है।
US वीजा बुलेटिन में क्या बदलाव दिखा?
भारतीय आवेदकों के लिए EB-2 कैटेगरी का ‘फाइनल एक्शन डेट’ 1 दिसंबर, 2012 हो गया है। इसी तरह से EB-3 प्रोफेशनल्स और स्किल वर्कर्स के लिए ‘फाइनल एक्शन डेट’ 1 फरवरी, 2013 हो गया है। EB-3 अन्य वर्कर्स कैटेगरी के लिए भी डेट छह हफ्ते आगे बढ़कर 1 फरवरी, 2013 हो गई है। USCIS ने कहा है कि मार्च में, वह उन लोगों के ‘एंप्लॉयमेंट-बेस्ड एडजस्टमेंट ऑफ स्टेटस एप्लिकेशन’ को स्वीकार करेगा, जिनकी ‘प्राइऑरिटी डेट’ ‘फाइनल एक्शन डेट’ से पहले की है।
EB-4 कैटेगरी के लिए ‘फाइनल एक्शन डेट’ लगभग डेढ़ साल पीछे जाकर 1 अगस्त, 2019 हो गई है। विदेश विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में यह कैटेगरी अनुपलब्ध हो सकती है। सबसे ज्यादा हैरानी EB-5 कैटेगरी को लेकर हुई है, जिसमें किसी तरह का कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। बता दें कि एंप्लॉयमेंट बेस्ड (EB) कैटेगरी पांच तरह की है, जिसमें स्किल वर्कर्स से लेकर अमेरिका में निवेश करने वाले लोग भी शामिल हैं।
वीजा बुलेटिन से जुड़ी जरूरी बातें
अमेरिका में ग्रीन कार्ड हासिल करने की सोच रहे लोगों के लिए वीजा बुलेटिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें दो मुख्य तरह की जानकारी होती है: ‘डेट्स ऑफ फाइलिंग’ और ‘फाइनल एक्शन डेट’। ‘डेट्स ऑफ फाइलिंग’ बताता है कि आवेदक अपने वीजा स्टेटस को बदलने के लिए कब आवेदन जमा कर सकता है। ये आवदेकों को उनकी वीजा कैटेगरी और देश के आधार पर आवदेन करने का सही समय निर्धारित करने में मदद करता है।
‘फाइनल एक्शन डेट’ ग्रीन कार्ड को लेकर किए गए आवेदन की मंजूरी और परमानेंट रेजिडेंसी हासिल करने के लिए अनुमानित वेटिंग टाइम बताता हैं। ये वीजा कैटेगरी और राष्ट्रीयता के आधार पर एक कतार प्रणाली की तरह काम करता है, जो दर्शाता है कि आवेदक अपने आवेदन की प्रक्रिया कब पूरी होने की उम्मीद कर सकते हैं। जिस किसी को भी ग्रीन कार्ड मिल जाता है, उसे अपना वीजा स्टेटस बदलना पड़ता है। जैसे अगर कोई H-1B वीजा पर है, तो उसे ग्रीन कार्ड मिलने के बाद सरकार को सूचित करना पड़ता है कि अब वह परमानेंट रेजिडेंट हो गया है।