नई दिल्ली
अमेरिकी टैरिफ यानी टैक्स का असर दिखाई देना शुरू हो गया है। अमेरिकी टैरिफ के चलते भारत के झींगा उद्योग में भारी उथल-पुथल मच गई है। कुछ ही दिनों में झींगे की कीमतें 80 फीसदी गिर गई हैं। इससे किसानों के मुनाफे पर बड़ा संकट पैदा हो गया है। अब किसानों को इसकी लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक टैरिफ के चलते झींगा की कीमत 350 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 70 रुपये पर आ गई हैं। झींगा का अमेरिका में काफी निर्यात किया जाता है। सबसे ज्यादा डिमांड 50 काउंट वन्नामेई किस्म की होती है। इसके एक किलो में करीब 50 पीस होती है। इस झींगा की मांग में अचानक गिरावट आई है। व्यापारियों को डर है कि अमेरिकी ग्राहक अब दीर्घकालिक अनुबंधों से पीछे हट सकते हैं, जिससे भारत को करीब एक अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
कंपनियों ने रोकी खरीद
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रोसेसिंग करने वाली कंपनियों ने झींगा की खरीद रोक दी है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। झींगा की पैदावार का 70 फीसदी हिस्सा गर्मियों में होता है और प्रोडक्शन पहले ही शुरू हो चुका है।
कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए) के अध्यक्ष दिव्य कुमार गुलाटी के अनुसार, किसानों में पहले ही दहशत का माहौल है। अगर अमेरिकी शुल्क का पूरा भार यानी 26 फीसदी किसानों पर पड़ता है तो 50 काउंट झींगे पर उन्हें प्रति किलोग्राम 60 से 70 रुपये का घाटा झेलना पड़ेगा।
गुलाटी ने बताया कि अगर प्रोसेसिंग कंपनियां 10 फीसदी शुल्क वहन करें, तब भी किसानों को कम से कम 30-40 रुपये प्रति किलो का नुकसान उठाना पड़ सकता है। झींगा पालन में प्रति हेक्टेयर करीब एक लाख रुपये का निवेश होता है, और जब खरीद रुक जाती है, तो यह निवेश खतरे में पड़ जाता है।
आंध्र प्रदेश में ज्यादा प्रोडक्शन
भारत में झींगा प्रोडक्शन का मुख्य केंद्र आंध्र प्रदेश है, जहां हजारों किसान अब कीमतों में अचानक आई गिरावट से चिंतित हैं। विशेषज्ञों ने मांग की है कि सरकार इस संकट में हस्तक्षेप करे और निर्यातकों व किसानों को राहत प्रदान करे। टैरिफ संकट का असर अगर जल्द नहीं थमा तो यह भारत के समुद्री उत्पाद निर्यात क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।