नई दिल्ली:
विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद बीजेपी की नजर अब दिल्ली की मेयर सीट पर है। पार्टी की कोशिश यही है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को फिर से जोर का झटका दिया जाए। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आगामी मेयर चुनाव से पहले AAP की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। एमसीडी के मौजूदा समीकरण बीजेपी के पक्ष में दिख रहे। इसी महीने यानी अप्रैल में होने वाले मेयर चुनाव को लेकर बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। केंद्र के साथ दिल्ली राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पार्टी की निगाह अब ट्रिपल इंजन सरकार बनाने पर है। इसके लिए मौजूदा समीकरण कैसे हैं जानिए।
बीजेपी के पास 131 वोट, जानिए बहुमत का आंकड़ा
बीजेपी के पास इस समय 131 वोट हैं जबकि बहुमत का आंकड़ा 132-133 है। दूसरी ओर, आप के पास 122 वोट हैं और वह तभी बहुमत तक पहुंच सकती है अगर कांग्रेस और एक निर्दलीय पार्षद उसका समर्थन करें। 2022 के नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के 15 साल लंबे शासन को खत्म करते हुए बहुमत हासिल किया था।
अभी AAP का है MCD पर कब्जा
इसके बाद फरवरी 2023 में शैली ओबेरॉय AAP की पहली मेयर बनीं और नवंबर 2024 में महेश खीची दूसरे मेयर बने। हालांकि, पार्टी अपने चुनावी वादों पर खरा नहीं उतर पाई है। लैंडफिल हटाने, ठेके के कर्मचारियों को नियमित करने और पार्किंग समस्या के समाधान जैसे प्रमुख वादे अब तक अधूरे हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में आप को करारी हार मिली और उसकी सीटें 62 से घटकर 22 रह गईं। इससे उसकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है। बीजेपी अब एमसीडी में फिर से वापसी के लिए आश्वस्त नजर आ रही है।
अभी कैसे हैं एमसीडी के समीकरण
फिलहाल एमसीडी में 250 वार्ड हैं, जिनमें से 12 सीटें खाली हैं। इनमें 11 पार्षद विधायक बन चुके हैं (बीजेपी 7, आप 4) और एक पार्षद कमलजीत सेहरावत ने लोकसभा चुनाव जीत लिया है। इन सीटों पर इलेक्शन मेयर चुनाव के बाद होंगे। मौजूदा समय में एमसीडी में कुल 238 पार्षद हैं। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नामित 14 विधायक और 10 सांसद (7 लोकसभा, 3 राज्यसभा) मेयर चुनाव में मतदान करेंगे।
AAP पास 116 तो बीजेपी खेमे में 113 पार्षद
वर्तमान संख्या के अनुसार, आप के पास 116 पार्षद हैं, जबकि बीजेपी के पास 113 हैं। कांग्रेस के पास 8 और एक निर्दलीय पार्षद हैं। 2022 के चुनाव के बाद आप के पास 134 पार्षद थे, जो अब घटकर 116 रह गए हैं। यह गिरावट, आंतरिक कलह (जैसे स्वाति मालीवाल का विरोध) और कांग्रेस के साथ मतभेदों के चलते हुई है। इसके चलते बीजेपी के लिए मेयर की कुर्सी तक पहुंच आसान हो सकती है।