चीन से डील, पॉलिसी में चेंज… ट्रंप ने क्‍या मान ली हार? अचानक बदले इन सुरों से समझिए

ई दिल्‍ली:

चीन के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। वह चीन के साथ व्यापार समझौते की बात करने लगे हैं। उन्होंने चीन पर लगाए गए टैरिफ को कम करने के संकेत दिए हैं। ट्रंप प्रशासन ने हाल में चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर चीन पर दबाव बनाया है। चीन पर 245% तक टैरिफ लगा दिए गए हैं। कई देशों ने ट्रंप के टैरिफ का जवाब अमेरिका के साथ समझौते करके दिया है। लेकिन, चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर अपने शुल्क बढ़ा दिए। बातचीत भी नहीं की। टैरिफ को तर्कहीन बताया। कहा कि वह टैरिफ के खेल को नजरअंदाज करेगा। उसने यह भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिका चीन के अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचाता है तो चीन अंत तक लड़ेगा। अब ट्रंप ने चीन के साथ टैरिफ युद्ध को खत्म करने के संकेत दिए हैं। चीन भी बातचीत के लिए तैयार दिख रहा है। चीन ने अमेरिका से कहा है कि वह उस पर दबाव डालना बंद करे और व्यापार वार्ता में सम्मान की मांग की है। चीन ने एक नया व्यापार वार्ताकार भी नियुक्त किया है।

अपनी पॉलिसी से पीछे हटते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध खत्म हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि TikTok के भाग्य पर समझौता अभी इंतजार कर सकता है। अचानक बदले इस रुख से साफ है कि अमेरिका को एहसास हो गया है कि इस लड़ाई में उसका जबरदस्‍त नुकसान होगा।

ट्रंप कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि वे और बढ़ें, क्योंकि एक समय ऐसा आता है जब लोग खरीदते नहीं हैं।’ उन्होंने टैरिफ के बारे में व्हाइट हाउस में यह बात कही। उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए, मैं नहीं चाहूंगा कि वे बढ़ें या मैं उस स्तर तक भी नहीं जाना चाहूंगा। मैं कम पर जाना चाहूंगा क्योंकि आप जानते हैं कि आप चाहते हैं कि लोग खरीदें और एक समय ऐसा आता है जब लोग नहीं खरीदेंगे।’ ट्रंप ने कहा कि टैरिफ लगाने के बाद से चीन संपर्क में है और उसने उम्मीद जताई कि वे एक समझौते पर पहुंच सकते हैं।

हालांकि, सूत्रों ने रायटर को बताया कि मुक्त-प्रवाह, उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान जो एक समझौते की ओर ले जा सकते हैं, वे काफी हद तक अनुपस्थित रहे हैं। पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने बार-बार देशों के बीच बातचीत की प्रकृति या क्या उनमें सीधे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल थे, यह बताने से इनकार कर दिया।

टैर‍िफ बढ़ाकर चीन पर दबाव बनाया
ट्रंंप प्रशासन हाल के महीनों में चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर चीन पर दबाव बढ़ा रहा है। मंगलवार को व्हाइट हाउस ने एक फैक्ट शीट प्रकाशित की जिसमें कहा गया कि चीन को अब 245% तक टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। बीजिंग ने अपने जवाबी उपायों से पलटवार किया।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को अमेरिका से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर दबाव डालना बंद करने का आग्रह किया। किसी भी व्यापार वार्ता में सम्मान की मांग की। लेकिन, दोनों पक्ष इस बात पर अड़े रहे कि उन वार्ताओं को कौन शुरू करेगा।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने टैरिफ को तर्कहीन बताया। कहा कि बीजिंग ‘अर्थहीन’ टैरिफ नंबरों के खेल को नजरअंदाज करेगा। उसने यह भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिका चीन के अधिकारों और हितों को भारी नुकसान पहुंचाता है तो वह अंत तक लड़ेगा। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता हे योंगकियान ने एक साप्ताहिक समाचार सम्मेलन में कहा, ‘एकतरफा टैरिफ बढ़ोतरी पूरी तरह से अमेरिका की ओर से शुरू की गई थी।’

कई देशों के उलट जिन्होंने ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का जवाब वाशिंगटन के साथ समझौते करके दिया। बीजिंग ने जवाब में अमेरिकी सामानों पर अपने लेवी बढ़ा दिए। बातचीत नहीं की। ट्रंप के सुलह के बयान बताते हैं कि वह चीन के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि चीन के साथ एक अच्छा समझौता हो सकता है। चीन की ओर से भी बातचीत की इच्छा दिखाई गई है।दोनों पक्ष इस बात पर अड़े हुए हैं कि बातचीत कौन शुरू करेगा। चीन ने कहा कि जिसने घंटी बांधी है, उसे ही उसे खोलना चाहिए। ट्रंप ने कहा था, ‘गेंद चीन के पाले में है और चीन को हमारे साथ एक समझौता करना होगा।’

चीन भी बातचीत के ल‍िए इच्‍छुक
चीन ने व्यापार वार्ता के लिए नया वार्ताकार नियुक्त किया है। ली चेंगगांग को नया व्यापार वार्ताकार बनाया गया है। वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीन के पूर्व प्रतिनिधि हैं। वह वांग शोवेन की जगह लेंगे। वांग शोवेन 2022 से वाणिज्य मंत्रालय के एक अनुभवी अधिकारी और शीर्ष व्यापार वार्ताकार थे।विशेषज्ञों का मानना है कि ली चेंगगांग की नियुक्ति से चीन की व्यापार नीति में बदलाव आ सकता है। ली चेंगगांग को मुक्त व्यापार का समर्थक माना जाता है।

चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। संपत्ति संकट और कमजोर घरेलू मांग के कारण ऐसा हो रहा है। इससे उपभोक्ता कीमतें और व्यावसायिक लाभ कम हो गए हैं। श्रमिकों की आय और नौकरी की सुरक्षा भी कम हो गई है।चीन की इकनॉमिक ग्रोथ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा निर्यात पर निर्भर करता है। अमेरिका की ओर से लगाए गए ऊंचे टैरिफ ने चीन की निर्यात क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया ह

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