नई दिल्ली:
कश्मीर के कुछ मुख्य अखबारों ने बुधवार को अपने पहले पन्ने को काला रखा। यह पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ एक विरोध था। इस हमले में 28 लोग मारे गए हैं जबकि कई घायल हैं। इस विरोध में सभी अखबारों ने मिलकर काम कदम उठाया है। अंग्रेजी और उर्दू के अखबार जैसे ‘ग्रेटर कश्मीर’, ‘राइजिंग कश्मीर’, ‘कश्मीर उज़मा’, ‘आफताब’ और ‘तामील इरशाद’ ने अपने सामान्य डिजाइन को बदल दिया। उन्होंने काले रंग की पृष्ठभूमि का इस्तेमाल किया। खबरों के शीर्षक और संपादकीय सफेद और लाल रंग में छापे गए थे।
ग्रेटर कश्मीर के कवर पर बड़े सफेद अक्षरों में लिखा था, ‘Gruesome: Kashmir Gutted, Kashmiris Grieving,’। यानी ‘भयानक: कश्मीर तबाह, कश्मीरी दुखी।’ इसके नीचे लाल रंग में लिखा था, ’26 killed in deadly terror attack in Pahalgam.’। इसका मतलब है, “पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए।
जम्मू और कश्मीर पर एक बुरा साया पड़ा
अखबार के पहले पन्ने पर संपादकीय था, जिसका शीर्षक था ‘The massacre in the meadow – Protect Kashmir’s soul,’। मतलब, ‘मैदान में नरसंहार – कश्मीर की आत्मा की रक्षा करें।’ इसमें निर्दोष लोगों की मौत पर दुख जताया गया है। यह भी कहा गया था कि इस घटना से जम्मू और कश्मीर पर एक बुरा साया पड़ गया है। यह क्षेत्र अभी भी अपनी छवि को धरती पर स्वर्ग के रूप में वापस पाने की कोशिश कर रहा है।
संपादकीय में लिखा था, ‘यह घृणित कार्य केवल निर्दोष लोगों के जीवन पर हमला नहीं है, बल्कि कश्मीर की पहचान और मूल्यों – इसकी आतिथ्य, इसकी अर्थव्यवस्था और इसकी नाजुक शांति पर एक जानबूझकर किया गया प्रहार है। कश्मीर की आत्मा इस क्रूरता की स्पष्ट रूप से निंदा करती है और पीड़ितों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है, जो कश्मीर की सुंदरता देखने के लिए घाटी आए लेकिन उन्हें मौत मिली।’
आतंकवाद पर सख्ती से कार्रवाई की मांग
संपादकीय में यह भी कहा गया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मिलकर काम करना होगा। इसके लिए सतर्कता बढ़ानी होगी, लोगों को साथ लाना होगा और आतंकवाद पर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी।
संपादकीय में लिखा है, कश्मीर के लोगों ने बहुत लंबे समय से हिंसा सही है, फिर भी उनकी भावना अटूट है। यह हमला विभाजन नहीं बोना चाहिए बल्कि हमें आतंक के खिलाफ एकजुट करना चाहिए। हम सभी, सरकार, सुरक्षा बलों, नागरिक समाज और नागरिकों से एक सामूहिक मोर्चा बनाने का आग्रह करते हैं। केवल अटूट संकल्प के माध्यम से हम अपनी भूमि के भविष्य की रक्षा कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि पहलगाम के घास के मैदानों में हंसी गूंजती है, न कि गोलियों की आवाज, और कश्मीर शांति और समृद्धि का प्रतीक बना रहे।
कश्मीर के लोगों में गुस्सा और दुख
इस घटना के बाद, कश्मीर के लोगों में गुस्सा और दुख है। वे चाहते हैं कि सरकार आतंकवादियों को पकड़े और उन्हें सजा दे। वे यह भी चाहते हैं कि सरकार कश्मीर में शांति और सुरक्षा बहाल करे। यह हमला कश्मीर के पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है। बहुत से पर्यटक अब कश्मीर जाने से डर रहे हैं। इससे कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।
अखबारों ने लिखा कि सरकार को कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए। सरकार को पर्यटकों को सुरक्षा का आश्वासन देना चाहिए। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कश्मीर में शांति और सुरक्षा बनी रहे। कश्मीर के लोगों को एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करना होगा। उन्हें सरकार और सुरक्षा बलों का समर्थन करना होगा। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कश्मीर में शांति और सद्भाव बना रहे। यह हमला एक दुखद घटना है। हमें इस घटना से सबक लेना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। हमें कश्मीर को शांति और समृद्धि का प्रतीक बनाना होगा।
जम्मू और कश्मीर पर एक बुरा साया
अखबार के पहले पन्ने पर संपादकीय है, जिसका शीर्षक है ‘The massacre in the meadow – Protect Kashmir’s soul,’। मतलब, ‘मैदान में नरसंहार – कश्मीर की आत्मा की रक्षा करें।’ इसमें निर्दोष लोगों की मौत पर दुख जताया गया है। यह भी कहा गया था कि इस घटना से जम्मू और कश्मीर पर एक बुरा साया पड़ गया है। यह क्षेत्र अभी भी अपनी छवि को धरती पर स्वर्ग के रूप में वापस पाने की कोशिश कर रहा है।