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Tuesday, July 1, 2025
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तब नहीं था समय… ‘लाडली बहन योजना’ पर अजित पवार ने गलती मानते हुए किया बड़ा ऐलान, संजय राउत भड़के

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मुंबई:

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने लाडली बहन योजना को लेकर बड़ा बयान दिया है। जिस पर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी हमलावर हो गई है। पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि डिप्टी सीएम ने गलती मानी है। ऐसे में उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। अजित पार ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा ‘लाडकी बहन योजना’ का लाभ लेने के मामले में अजीत पवार ने कहा कि जब यह योजना लागू की गई थी, तब हमारे पास ज्यादा समय नहीं था। चुनाव की घोषणा हो गई थी, जिससे पात्रता की गहन जांच नहीं हो सकी। हमने पहले ही अपील की थी कि जरूरतमंद ही इसका लाभ लें। उन्होंने स्वीकार किया कि इसमें चूक हुई है और कहा कि अब जो पैसे दिए गए हैं। वो वापस नहीं लिए जा सकते, लेकिन इस पर उपाय जरूर निकाला जाएगा।

राउत ने मांगा इस्तीफा
महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल अगस्त 2024 में शुरू की गई लाडली बहन योजना शुरू की थी। इसमें 21 से 65 वर्ष की आयु की पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति महीने मिलते हैं। सरकार ने इस योजना के लिए सालाना आया की सीमा 2.5 लाख रुपये तय की थी लेकिन जांच में 2,200 से अधिक सरकारी कर्मचारी भी लाभार्थी मिले हैं। जब इस योजना का अनावरण किया गया था, तो सरकार ने अपील की थी कि केवल पात्र महिलाएं ही आवेदन करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जांच की जा रही है। केवल जरूरतमंद महिलाओं को ही मासिक भुगतान मिलेगा। अजित पवार के इस बयान पर शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने पवार के इस्तीफे की मांग करते हुए उन पर चुनावी लाभ हासिल करने के लिए सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को सक्षम करने का आरोप लगाया है।

वोटों के लिए लुटाया सरकारी धन
राउत ने कहा कि वित्त विभाग ने वोटों की खातिर सरकारी धन की लूट की है। इससे पहले महाराष्ट्र की मंत्री अदिति तटकरे ने पुष्टि की थी कि सरकार ने लगभग दो लाख आवेदनों की जांच के बाद 2,289 अयोग्य सरकारी कर्मचारियों को अयोग्य घोषित कर दिया है। एक्स पर हाल ही में एक पोस्ट में उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि इस तरह की जांच नियमित रूप से जारी रहेगी। उन्होंने लिखा कि यह महसूस करने के बाद, ऐसे लाभार्थियों को योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। गौरतलब हो कि नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन की जीत का श्रेय लाडली बहन योजना को दिया गया था। हालांकि, इससे बजटीय तनाव भी हुआ है। सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने माना कि सरकार दबाव में थी। उन्होंने कहा था कि यह एक वास्तविकता है कि 1,500 रुपये की मासिक राशि को 2,100 रुपये तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।

सरकार को हो रही है मुश्किल
संजय शिरसाट ने कहा था कि यह योजना तब भी जारी रहेगी, जब राज्य को धन उधार लेना पड़े। शिरसाट ने बिना किसी सूचना के अपने मंत्रालय से धन निकालने के लिए वित्त विभाग की भी आलोचना की थी। मार्च में उन्होंने आरोप लगाया कि सामाजिक न्याय विभाग के बजट से 7,000 करोड़ रुपये की कटौती की गई थी। उन्होंने ऐसे विभागों को मनमाने कटौती से बचाने के लिए एक कानून बनाने का आह्वान किया। आधिकारिक दिशा-निर्देशों के अनुसार, लाभार्थियों को आय और निवास मानदंड को पूरा करना चाहिए और आधार से जुड़े बैंक खाते उपलब्ध कराने चाहिए। नवविवाहित महिलाएं विवाह प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सकती हैं यदि उनका नाम राशन कार्ड में नहीं है। जबकि इस योजना का उद्देश्य महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता का समर्थन करना है, सरकार अब इसके क्रियान्वयन को लेकर बढ़ती जांच का सामना कर रही है।

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