भेल भोपाल ।
दो माह पहले थ्रिफ़्ट सोसायटी में अध्यक्ष की कुर्सी पर उपाध्यक्ष बैठे इसके पूर्व अध्यक्ष के कमरे में तालाबंदी के किस्से सुनने को मिले और अब संचिव पद से इस्तीफा दे चुकी एक महिला संचालक के पति को सचिव की कुर्सी पर बैठे देख लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली । दरअसल थ्रिफ़्ट सोसायटी में रिश्तों की हुकूमत पद किसी का फैसले किसी और का थ्रिफ़्ट सोसायटी की राजनीति अब नियमों से नहीं रिश्तों के दबदबे और परोक्ष हुकूमत से चलती नज़र आ रही है। सचिव पद से इस्तीफ़ा दे चुकी संचालिका के बाद भी फैसले उन्हीं के घर से तय हो रहे हैं ।
संस्था सोसायटी चलाएगी संचालिका या संचालिका-पति सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार ऐसा दृश्य देखने को मिल रहा है, जहाँ कुर्सी एक महिला के नाम पर आवंटित है तो कंट्रोल रिमोट पति के हाथ में है। यह सब संस्था के कर्मचारी ही नहीं बल्कि यहां आने वाले आम सदस्य भी देख रहे हैं । कर्मचारी तो असमंजस में हैं की आदेश दो जगह से आते हैं एक नाम से और एक रिश्ते से मगर माने किसकी ।
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अब यह मामला और गंभीर इसलिए हो गया है क्योंकि यह सीट महिला आरक्षित है। सदस्यों का तर्क तीखा है जब महिला सीट रिज़र्व है तो शासन पति क्यों करें । थ्रिफ़्ट के इतिहास में पहली बार अनौपचारिक व्यक्ति औपचारिक कुर्सी से ऊपर बैठा दिखाई दे रहा है तो संस्था नियमों से चलेगी या पारिवारिक दखल से?

