Bhopal ROB Construction: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल स्थित ऐशबाग रोड ओवरब्रिज (ROB) के निर्माण में पाई गई लापरवाही पर सख़्त रुख अपनाया है. पहले दिए गए जाँच के आदेशों के बाद, अब जाँच रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग (PWD) के आठ इंजीनियरों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की गई है. दो चीफ़ इंजीनियर सहित कुल सात इंजीनियरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक सेवानिवृत्त अधीक्षण इंजीनियर के ख़िलाफ़ विभागीय जाँच शुरू की जा रही है.
निर्माण एजेंसी और डिज़ाइन फ़र्म ब्लैकलिस्ट
मुख्यमंत्री यादव ने जानकारी दी कि ऐशबाग ROB परियोजना में ग़लत डिज़ाइन जमा करने के लिए निर्माण एजेंसी और डिज़ाइन कंसल्टेंट दोनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही न सिर्फ़ निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा को भी ख़तरे में डालती है. इसलिए इस मामले में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. यह दर्शाता है कि सरकार गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी.
इन इंजीनियरों के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई
कार्यवाही के दायरे में आए इंजीनियरों के नाम इस प्रकार हैं:
- जीपी वर्मा, चीफ़ इंजीनियर
- संजय खांडे, चीफ़ इंजीनियर
- जावेद शकील, एग्ज़िक्यूटिव इंजीनियर
- शबाना रज़ाक, एग्ज़िक्यूटिव इंजीनियर (डिज़ाइन)
- सोनल सक्सेना, असिस्टेंट इंजीनियर (डिज़ाइन)
- उमाशंकर मिश्रा, सब-इंजीनियर2
- रवि शुक्ला, सब-इंजीनियर
- एमपी सिंह, सेवानिवृत्त अधीक्षण इंजीनियर (इनके ख़िलाफ़ विभागीय जाँच)
सुधार कार्य के लिए विशेष समिति गठित: जब तक काम पूरा नहीं, उद्घाटन नहीं
सरकार ने परियोजना में पायी गई ख़ामियों को दूर करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है. यह समिति ओवरब्रिज की संरचना में आवश्यक तकनीकी सुधारों की निगरानी करेगी. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जब तक सुधार कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक इस ओवरब्रिज का उद्घाटन नहीं किया जाएगा. उन्होंने दोहराया कि नागरिकों की सुरक्षा और बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताएँ हैं. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पुल पूरी तरह से सुरक्षित हो तभी उसे जनता के लिए खोला जाएगा.
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क्या है ऐशबाग ROB विवाद? डिज़ाइन में 90 डिग्री का मोड़
भोपाल शहर के ऐशबाग इलाक़े में रेलवे लाइन पर बने इस ओवरब्रिज को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब इसके डिज़ाइन में एक अजीब 90 डिग्री का मोड़ पाया गया. यह डिज़ाइन न सिर्फ़ तकनीकी रूप से असुविधाजनक था बल्कि यात्रियों के लिए ख़तरनाक भी माना गया. यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया, जिससे सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा.