नई दिल्ली,
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 अप्रैल को दुनिया के 75 देशों पर लगाए रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक तो लगा दी लेकिन चीन को इससे कोई राहत नहीं मिली. चीन पर टैरिफ 9 अप्रैल से ही लागू हो गया. अमेरिका ने चीन पर 125% टैरिफ लगाया और बाद में व्हाइट हाउस ने कहा कि फेंटानिल ड्रग्स पर लगे 20% टैरिफ को मिलाकर चीन पर कुल टैरिफ 145% होता है. यानी अब चीन के सामान अमेरिकी खरीददारों के लिए 145% ज्यादा महंगे हो गए हैं. ऐसे में अमेरिकी खरीददारों ने चीनी सामान खरीदना बेहद कम कर दिया है जिससे चीन को नए बाजार तलाशने पड़ रहे हैं.
अमेरिकी बाजार बंद होते ही चीन ने भारतीय बाजार में डंपिंग शुरू कर दी है यानी वो अपने सस्ते सामानों से भारतीय बाजार पाट रहा है. डंपिंग से घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान पहुंचता है. चीन ने अन्य सभी वस्तुओं की तरह ही अपने विस्कॉस रेयॉन धागों, जिनसे कपड़े बनाए जाते हैं, की कीमत भी काफी घटा दी है. चीन ने अपने धागों की कीमत भारतीय धागों की तुलना में 15 रुपये प्रति किलो कम कर दी है जिससे भारतीय बाजार में चीन के धागों की बाढ़ आ गई है.
तमिलनाडु की धागे बुनने वाली मीलों में काम धीमा पड़ गया है. एक मील मालिक ने बताया कि लोकल फैक्टीरियों से धागे के लिए जो ऑर्डर आता था, उसमें 40%की गिरावट आई है.चीन विस्कॉस रेयॉन का प्रमुख उत्पादक है और भारत में भी अच्छी मात्रा में इस धागे का उत्पादन किया जाता है. थिरुनावकारसु नाम के मील मालिक ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि चीन का धागा सस्ता है जो उनके लिए फिक्र की बात है. वो कहते हैं, ‘हम अपने धागों की कीमत चीन के धागों जितनी कम नहीं कर सकते. धागे के लिए जो कच्चा माल आता है, वो हमें सस्ता नहीं पड़ता.’
चीन के डंपिंग को लेकर चीनी राजदूत का आश्वासन
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कुछ समय पहले ही इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में भारत को आश्वासन दिया था कि उनका देश भारत में वस्तुओं की डंपिंग नहीं करेगा बल्कि चीन तो भारत से उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं को खरीदना चाहता है.उन्होंने लिखा था, ‘हम मार्केट डंपिंग या गला काट प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं बनेंगे और न ही हम दूसरे देशों की आर्थिक और औद्योगिक विकास को रोकने की कोशिश करेंगे.’लेकिन राजदूत के आश्वासन के बावजूद भारतीय बाजार में चीनी सामानों की डंपिंग शुरू हो गई है.
चीनी सामानों की डंपिंग रोकने के लिए क्या कर रही भारत सरकार?
जब ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगाया था तभी भारत की सरकार और यहां के उद्योग चीन की डंपिंग को लेकर सतर्क हो गए थे. भारत सरकार का कहना है कि वो स्थिति पर नजर बनाए हुए है.भारत सरकार के एक अधिकारी ने अप्रैल की शुरुआत में कहा था कि भारत चीनी सामानों की डंपिंग से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएगा.
उन्होंने कहा था, ‘हमारे कानूनी ढांचे में जितने भी उपाय होंगे, सरकार उन्हें अपनाएगी. अमेरिका का टैरिफ झेल रहे देश अगर भारत मे डंपिंग करते हैं तो उनके खिलाफ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के कदम उठाए जाएंगे.’इससे पहले भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि कोई देश अगर भारत में अपने सामानों की डंपिंग करता है तो भारत ने इसके लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा रखा है और यह डंपिंग रोकने के लिए कारगर उपाय है.
चीनी सामानों पर लगी एंटी डंपिंग ड्यूटी, फिर भी चीन से बढ़ रहा आयात
मार्च में ही भारत ने पांच चीनी उत्पादों- सॉफ्ट फेराइट कोर, एल्यूमीनियम फॉइल, वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क, ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड और पॉली विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेसिन पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाया है. इस कदम का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को बचाना है ताकि चीन सस्ते सामान भारत में डंप न कर पाए.
बावजूद इसके भारत में चीनी सामानों की आमद कम नहीं हुई है बल्कि बढ़ी ही है. चीन ने एंटी डंपिंग ड्यूटी का भी रास्ता निकाल लिया है और वो अपने प्रोडक्ट्स में छोटे-मोटे बदलाव कर एंटी-डंपिंग ड्यूटी से बच रहा है. वो ASEAN देशों के जरिए भी भारत में अपने सामानों को डंप कर रहा है और भारत में चीनी आयात बढ़ता जा रहा है.
भारत और चीन के व्यापार की बात करें तो चीन अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान अप्रैल से फरवरी के बीच भारत का चीन से आयात पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 10.4% बढ़कर 103.7 अरब डॉलर हो गया. वहीं, चीन को निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 15.7% गिरावट देखी गई और भारत ने चीन को कुल 12.7 अरब डॉलर का निर्यात किया है.