दिल्ली/श्रीनगर:
पहलगाम टेरर अटैक से कुछ दिन पहले ही खुफिया एजेंसियों ने पर्यटकों को निशाना बनाए जाने की आशंका जताई थी। खुफिया एजेंसी ने खासकर श्रीनगर के बाहरी इलाके के तहत जबरवान रेंज की तलहटी में स्थित होटलों में ठहरे पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर आशंका जताई थी। मामले से अवगत अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। इससे इन क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई और दाचीगाम, निशात और आस-पास के क्षेत्रों में तलाशी अभियान की निगरानी के लिए श्रीनगर में शीर्ष पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया। पिछले साल अक्टूबर में सोनमर्ग के गंगनगीर में एक निर्माण स्थल पर हुए आतंकवादी हमले (जिसमें एक डॉक्टर सहित सात लोग मारे गए थे) के कारण इन क्षेत्रों पर ध्यान गया और सुरक्षा बलों ने गश्त बढ़ा दी।
सुरक्षा बलों से कहां हुई चूक?
चूंकि यह इलाका श्रीनगर शहर के ऊपर जबरवान रेंज के दूसरी तरफ स्थित है। दो सप्ताह के अभियान के अलावा सुरक्षा बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर श्रीनगर के बाहरी इलाके में व्यापक तलाशी अभियान चलाया, लेकिन इन प्रयासों से कोई सफलता नहीं मिली और 22 अप्रैल को अभियान बंद कर दिया गया। लेकिन 22 अप्रैल को ही आतंकवादियों ने पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों को निशाना बनाया और 26 लोगों की हत्या कर दी।
कटरा टू श्रीनगर रेल लिंक से नाखुश पाकिस्तान
ऐसी सूचनाएं थीं कि आतंकवादी पिछले महीने की शुरुआत में कटरा से श्रीनगर के लिए पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान इस तरह के नापाक मंसूबों को अंजाम देना चाहते थे। निश्चित रूप से पाकिस्तान इस रेलवे लिंक से खुश नहीं है। जिसका मकसद कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ना है, जैसा कि अधिकारियों ने कहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की यात्रा (जो पहले 19 अप्रैल को निर्धारित थी) प्रतिकूल मौसम पूर्वानुमान के कारण स्थगित कर दी गई थी। अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि जल्द ही उद्घाटन के लिए नई तारीखों की घोषणा किये जाने की उम्मीद है।
पहलगाम अटैक को कैसे दिया अंजाम?
अधिकारियों ने कहा कि सीमा पार बैठे सरकारी और गैर-सरकारी तत्व कभी नहीं चाहते कि पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाने की शक्तिशाली छविओं पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान जाए और इसलिए उन्होंने इस तरह की बर्बर हत्याओं के साथ इस कार्यक्रम को फीका करने की योजना बनाई होगी। पहलगाम हमले के बारे में अधिकारियों ने कहा कि जो बात सामने आ रही है वह यह है कि दो स्थानीय आतंकवादी पहले से ही पर्यटकों के साथ घुलमिल गए थे और जैसे ही पहली गोली चली। उन्होंने पर्यटकों को एक ‘भोजन करने के लिए बने परिसर’ में जमा किया। जहां कथित तौर पर पाकिस्तान मूल के दो अन्य आतंकवादियों ने गोलीबारी करके उनमें से 26 को मार डाला।
पहलगाम हमले से आतंकियों का खास मकसद
सूत्रों ने बताया कि हमले का मकसद लोगों में भय पैदा करना था और संभवतः देश के अन्य भागों में कश्मीरियों के विरुद्ध प्रतिशोधात्मक हमले हो बढ़ावा देना हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नई दिल्ली में बैठे शीर्ष अधिकारियों से बात करने के बाद त्वरित कार्रवाई की गई। इसके बाद राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए कि वे अपने-अपने राज्यों में कश्मीरी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
आतंकियों के पास एडवांस हथियार मिलना चिंताजनक
अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के तौर-तरीके में दिख रही चिंताजनक प्रवृत्ति की भी जानकारी दी है। इसके तहत मुठभेड़ स्थलों से एम-सीरीज राइफल, स्नाइपर राइफल और कवच-भेदी गोलियां जैसे एडवांस हथियारों की बरामदगी और बढ़ गई है। इन एडवांस हथियारों के बारे में संदेह है कि ये अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों के छोड़े गए हथियार और गोला-बारूद का हिस्सा हैं।
2006 में गुजरात के पर्यटकों पर हुआ था हमला
अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में शांति के प्रतीक के रूप में केवल पर्यटकों के आगमन पर निर्भर रहने के खिलाफ आगाह करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के मामले का जिक्र किया। जिन्होंने अतीत में पर्यटकों के आगमन को सामान्य स्थिति के संकेत के रूप में पेश किया था। इस बयान के कुछ ही समय बाद साल 2006 के मई में श्रीनगर में गुजरात से पर्यटकों को लेकर मुगल गार्डन पहुंच रही एक बस पर आतंकवादियों की ओर से किये गए हमले में चार पर्यटक मारे गए और छह अन्य घायल हो गए।
आतंकियों के मददगारों का घर उड़ाए जाने पर क्यों लगी रोक?
हाल ही में आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान घरों को बम से उड़ाए जाने के चलन पर अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की चुनी गई सरकार के अनुरोध पर इस पर रोक लगा दी गई है।