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Friday, July 4, 2025
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पाकिस्‍तान और चीन बने हैं कांटा, अमेरिका का प्रेशर… भारत के लिए अब यह चेतावनी कैसी?

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नई दिल्‍ली

अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। इस बीच, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका भारत पर अपनी बात मनवाने में आगे रहा है। पूर्व ट्रेड ऑफिसर अजय श्रीवास्तव के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘उचित व्यापार’ सुनिश्चित करने के लिए टैरिफ में बराबरी की बात कही है। उन्होंने भारत को ‘टैरिफ किंग’ भी बताया है। अमेरिका चाहता है कि भारत उससे ज्‍यादा सामान खरीदे और अमेरिकी कंपनियों के लिए नियमों में ढील दे। अजय श्रीवास्तव का तर्क है कि वास्तविकता इससे अलग है। भारत अमेरिका को व्यापार से ज्‍यादा पैसे देता है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका भारत के साथ मौजूदा शर्तों पर व्यापक FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) करता है तो यह भारत के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। भारत की तरफ से रियायतें देने और चुप रहने की वजह से अमेरिका हावी हो रहा है। इससे उसे एफटीए की बातचीत में और रियायतें मांगने में मदद मिलेगी। दोनों देशों का लक्ष्य 2025 के अंत तक इस समझौते को पूरा करना है।

भारत के सामने एक और चुनौती यह है कि वह पाकिस्‍तान के साथ तनाव के साये में इस डील की दिशा में आगे बढ़ रहा है। चीन पाकिस्‍तान का हमदर्द है। ऐसे में अमेरिका इन हालातों का फायदा भी उठाने की कोशिश कर सकता है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाक‍िस्‍तान के साथ भारत के र‍िश्‍ते और ज्‍यादा खराब हो गए हैं। दोनों देशों के बीच काफी तनाव है।

ट्रंप का व्यापार घाटे का तर्क सही नहीं
अजय श्रीवास्तव का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का भारत के साथ व्यापार घाटे का तर्क सही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका हथियारों की बिक्री, अमेरिकी बैंकों और कंपनियों के मुनाफे, अमेरिकी टेक कंपनियों की भारत में मुफ्त पहुंच और भारतीय छात्रों की ओर से अमेरिका में पढ़ाई पर खर्च किए गए 15 अरब डॉलर से ज्‍यादा को भी शामिल किया जाए तो तस्वीर बदल जाती है।

श्रीवास्तव ने एक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में बिकने वाले ‘मेड इन इंडिया’ आईफोन से भारत के मुकाबले अमेरिका को ज्‍यादा फायदा होता है। अमेरिका में लगभग 1,000 डॉलर में बिकने वाले हर आईफोन पर ऐपल 450 डॉलर से ज्‍यादा कमाती है, जबकि भारत का हिस्सा 25 डॉलर से भी कम है। लेकिन, व्यापार के आंकड़ों में पूरी कीमत को भारत का निर्यात माना जाता है। इससे अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ जाता है।

जीटीआरआई के संस्थापक के अनुसार, अमेरिकी दबाव में भारतीय अधिकारियों ने कंपनियों से चीन से आयात कम करने और अमेरिका से ज्‍यादा खरीदने को कहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय अधिकारी अमेरिकी बातों का विरोध करने के बजाय कंपनियों से चीन से आयात कम करने और अमेरिका से ज्‍यादा खरीदने के लिए कह रहे हैं।

भारत को सावधानी से आगे बढ़ने की सलाह
अजय श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों में व्यापक एफटीए के लिए प्रतिबद्ध होना राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत के लिए एक सीमित इंडस्ट्रियल गुड्स-ओनली पैक्‍ट ज्‍यादा सुरक्षित और बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से रियायतें देने और चुप रहने की वजह से वाशिंगटन हावी हो रहा है। इससे उन्हें एफटीए की बातचीत में भारत से और रियायतें मांगने में मदद मिलेगी।

2024-25 में भारत का निर्यात 11.6 फीसदी बढ़कर 86.5 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 7.4 फीसदी बढ़कर 45.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे ट्रेड सरप्‍लस 41 अरब डॉलर हो गया। अमेरिकी प्रशासन उन देशों पर जवाबी टैरिफ लगा रहा है जिनके साथ उसका बड़ा व्यापार घाटा है।

फरवरी 2025 के मध्य में हुई अपनी बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापार और निवेश का विस्तार करके अपने नागरिकों को ज्‍यादा समृद्ध, राष्ट्रों को मजबूत, अर्थव्यवस्थाओं को ज्‍यादा नवीन और सप्‍लाई चेन को ज्‍यादा फ्लेक्सिबल बनाने का संकल्प लिया था।

उन्होंने विकास को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों को गहरा करने का संकल्प लिया था जो निष्पक्षता, राष्ट्रीय सुरक्षा और रोजगार सृजन सुनिश्चित करता है। इस उद्देश्य के लिए नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक नया लक्ष्य ‘मिशन 500’ निर्धारित किया था। इसके तहत कुल द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक दोगुना से ज्‍यादा करके 500 अरब डॉलर करना है।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल हाल ही में अमेरिका में थे। यह ट्रंप-मोदी की 2025 के अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की पहली किश्त पर बातचीत करने की योजनाओं के बाद हुआ। दोनों नेताओं ने इन वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ प्रतिनिधियों को नामित करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

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