नई दिल्ली
बांग्लादेश में 48 साल बाद साल बाद फिर तख्ता पलट हो गया है। शेख हसीना फिर अपने ही वतन से बेदखल हो चुकी हैं। उन्हें छात्र आंदोलन की आड़ में अराजकता फैला रहे कट्टरपंथी तबकों के आगे झुकना पड़ा। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की सह पर विरोधी दलों ने छात्रों के कंधों पर बंदूक रखकर शेख हसीना सरकार को निशाना बनाया और वो अपने मकसद में सफल रहे। अब शेख हसीना भारत में हैं और बांग्लादेश अराजकता के आगोश में है। सेना ने बांग्लादेश की जनता से अपील की है कि वो किसी तरह की हिंसा और अराजकता से बचें। सैन्य प्रमुख ने ऐलान किया है कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। हालांकि, इसका क्या तरीका होगा, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। इन सारी घटनाओं के बीच भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता है कि वहां 13 लाख के करीब हिंदुओं का क्या होगा?

हसीना के बिना बांग्लादेश में कट्टरपंथ को बढ़ावा?
शेख हसीना पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के निशाने पर इसलिए रहीं कि उन्होंने बांग्लादेश में कट्टरपंथ पर लगाम लगाए रखा था। हसीना की सरकार में बांग्लादेश में उदारवादी विचारों को संरक्षण मिला था जिस कारण देश लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता चला गया। एक मुस्लिम देश होते हुए भी महिलाओं को वर्कफोर्स का हिस्सा बनने की न केवल अनुमति दी गई बल्कि बढ़ावा दिया गया। इस्लाम का स्वघोषित ठेकेदार पाकिस्तान को दुनिया के किसी भी कोने में इस्लाम में उदारता से बहुत चिढ़ होती है। यही वजह है कि वह खुद वैश्विक आतंक का गढ़ तो है ही, उसने तरक्की करते बांग्लादेश को भी कट्टरता की आग में झोंकने की ठान ली।
13 लाख हिंदुओं का क्या होगा?
यही वजह है कि सुरक्षा विशेषज्ञ शेष पॉल वैद ने ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स के जरिए भारत सरकार से गुहार लगाई है कि वो बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वहां की सेना से बात करे। वैद ने लिखा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है। भारत सरकार को चाहिए कि वो बांग्लादेश में 13 लाख हिंदुओं की सुरक्षा के लिए बांग्लादेशी आर्मी चीफ से बात करे क्योंकि वहां हिंदू दंगाइयों के निशाने पर हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर आफत आने की आशंका
बांग्लादेश में हिंदुओं पर खतरे की एक बड़ी वजह यह भी है कि भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार है। पाकिस्तान हो या बांग्लादेश, वहां का कट्टरपंथी तबका मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी मानता है और अपनी खीझ निकालने के लिए हिंदुओं को निशाना बनाता है। अब जब शेख हसीना बांग्लादेश में नहीं हैं तो इस कट्टरपंथी तबके पर नियंत्रण ढीला पड़ने की आशंका है जिस कारण हिंदुओं पर आफत आ सकती है। वैसे भी आईएसआई बांग्लादेश में हिंदुओं को प्रताड़ित करने के पीछे अपना दम लगा देगा।
शेख हसीना भारत समर्थक रही हैं। अब भी वो ढाका से निकलीं तो उन्होंने भारत का ही रुख किया। ऐसे में आईएसआई को बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को हिंदुओं के खिलाफ उकसाना और भी आसान हो जाएगा। कुल मिलाकर देखें तो बांग्लादेश में हिंदुओं की जान आफत में है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। पाकिस्तान ने अपने यहां हिंदुओं की जो दुर्दशा की है, वो किसी से छिपी नहीं है। उसे बांग्लादेश में भी हिंदू विरोधी अभियान चलाने का मौका मिला है तो वह कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि भारत सरकार त्वरित कदम उठाते हुए बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।