रोम,
पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन से होने वाले बदलाव दिखाई दे रहे हैं. एक तरफ भारत के कुछ हिस्से बाढ़ से जूझ रहे हैं, वहीं यूरोपीय देश सूखे के सबसे बुरे दौर का सामना कर रहे हैं. इटली (Italy) भी इस साल कम बारिश की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां की सबसे लंबी नदी पो (Po) अब सूखने लगी है. पानी का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि दूसरे विश्वयुद्ध के समय डूबे जहाज भी पानी से बाहर आ चुके हैं.
2020-22 के बीच तेजी से सिकुड़ी नदी
पो नदी, इटली की सबसे लंबी नदी है, जो फिलहाल जल संकट का सामना कर रही है, इसके दुष्परिणाम सूखे के रूप में दिखाई दे रहे हैं. हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने अपने कॉपरनिकस सेंटिनल -2 सैटेलाइट का उपयोग करके, पो नदी की तस्वीरें साझा की हैं, जिसमें पानी के गिरते स्तर को दिखाया गया है. तस्वीरों में दिखता है कि नदी 2020-22 तक काफी सिकुड़ गई है.
70 सालों में सबसे बुरे सूखे की मार झेल रहा है इटली
नदी मीठे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है, और किसान इसका काफी हिस्सा खेती-बाड़ी के लिए इस्तेमाल करते हैं. पो नदी पश्चिम से पूर्व की ओर पूरी पो घाटी में फैली हुई है और यह 652 किलोमीटर लंबी है. यह 71,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है और इटली में यह सबसे बड़ा रिवर बेसिन है. पो रिवर ऑब्ज़र्वेटरी की रिपोर्ट के मुताबिक, नदी 70 सालों में सबसे भयंकर सूखे की चपेट में है.
किसान सबसे ज्यादा प्रभावित
पो नदी के सूखने की वजह से नदी में रेत के बड़े-बड़े टीले बन गए हैं. घाटी, गेहूं, चावल और टमाटर सहित इटली का करीब 40 प्रतिशत भोजन उपलब्ध कराती है. यह देश का सबसे महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है. अब सूखे की वजह से किसान फसल की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. गेहूं का उत्पादन 20-50 प्रतिशत तक घट गया है.
सिर्फ कृषि ही नहीं हाइड्रो पॉवर पर भी असर पड़ा है. यहां 40 प्रतिशत से ज्यादा नवीकरणीय ऊर्जा , हाइड्रो पॉवर से ही आती है. इतना ही नहीं, पीने के पानी में भी राशनिंग शुरू हो गई है. कुछ दिनों पहले, मिलान में, सूखे की वजह से सभी फव्वारे बंद करने के आदेश दिए गए थे. इटली में ऐसा क्यों हो रहा है, इसके कुछ कारण वैज्ञानिकों ने बताए हैं. उनका कहना है कि कम बारिश, कम बर्फ और लगातार बढ़ता तापमान इसकी अहम वजह हैं. तापमान सामान्य से 2 डिग्री ऊपर है