नई दिल्ली
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की एक चाल उनके देश के लिए भारी पड़ी और लोगों के सामने खाने के लाने पड़ गए हैं। जून में देश में महंगाई करीब 80 फीसदी पर पहुंच गई है जो दो दशक में सबसे अधिक है। तुर्की में जून 2021 की तुलना में इस बार जून में कंज्यूमर प्राइजेज 78.6 फीसदी तेजी से बढ़ी। खासकर खानेपीने की चीजों और ट्रांसपोर्टेशन की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है। पिछले एक साल में देश में खानेपीने की चीजों की कीमत दोगुनी हो गई है। Turkish Statistical Institute के मुताबिक पिछले एक साल में ट्रांसपोर्टेशन की कॉस्ट में 123 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। हाल के महीनों में देश में महंगाई में बहुत तेजी आई है। इस साल डॉलर की तुलना में तुर्की की करेंसी लीरा की कीमत में 20 फीसदी से अधिक गिरावट आई है।
दुनिया के दूसरे कई देशों में भी महंगाई चरम पर है लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति के एक कदम ने देश में स्थिति बदतर कर दी। दुनियाभर के सेंट्रल बैंक महंगाई को काबू में करने के लिए नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति ने इसके उलट फैसला किया। सितंबर में उन्होंने रूल बुक से हटकर काम करने का फैसला किया। उन्होंने महंगाई कम करने के लिए नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करने के बजाय इसमें कमी का फैसला किया। इसके बाद तुर्की के सेंट्रल बैंक ने दरों को घटाना शुरू कर दिया। इससे देश में महंगाई की स्थिति बद से बदतर हो गई। बाकी कसर लीरा में गिरावट ने पूरी कर दी। लीरा में गिरावट के कारण आयात करना महंगा हो गया।
राष्ट्रपति ने किया फैसले का बचाव
तुर्की के राष्ट्रपति ने अपनी मॉनीटरी पॉलिसी का बचाव किया है। उनका तर्क है कि नीतिगत दरों में कमी से महंगाई में कमी आएगी। इससे उत्पादन और निर्यात में तेजी आएगी। उन्होंने देश की आर्थिक बदहाली के लिए विदेशी हस्तक्षेप को जिम्मेदार बताया है। देश के वित्त मंत्री नूरेद्दीन नेबाती (Nureddin Nebati) ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा कि दुनियाभर में कमोडिटी की कीमतों में तेजी से जून में महंगाई में तेजी आई। उन्होंने कहा कि लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। इनमें सेल्स टैक्स में कमी और सब्सिडी शामिल है।