भेल क्षेत्र में नगर निगम चुनाव में मतदान आज,कहीं कांग्रेस-भाजपा में सीधी टक्कर तो कुछ में निर्दलीय कर रहे परेशान

भोपाल

भेल क्षेत्र में नगर निगम चुनाव का प्रचार थम गया है । पार्षद प्रत्याशी मंगलवार को घर-घर जाकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रह हैं । वहीं बैठकों का दौर भी देर रात तक चलता रहा । बुधवार को मतदान होना है ऐसे में बूथों पर अपने सिपाही तैनात करने के लिये भी तैयारी चलती रही । इस क्षेत्र के करीब 18 में से कुछ वार्ड गोविन्दपुरा विधान सभा क्षेत्र और कुछ हुजूर विधान सभा क्षेत्र में आते हैं । इस बार भाजपा-कांग्रेस ने नये चेहरे उतार कर किस्मत आजमाने की कोशिश की है । दो बार पार्षद रहे उम्मीदवारों को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया ।

कुछ नये चेहरे आने से हार-जीत के समीकरण बदल से गये हैं । मतदाताओं का रूझान भी समझ से बाहर है । इसलिये मतदान का प्रतिशत भी कम ही रहने की उम्मीद है । कुछ वार्डों को भाजपा ने तो कुछ में कांगे्रस ने परोस कर दे दिये हैं । इस चुनाव में मुकाबला दिलचस्प है । कौन जीतेगा कौन हारेगा यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल पायेगा । इस क्षेत्र वार्ड 66 में कांग्रेस ने युवा नेता जीत राजपूत को प्रत्याशी बनाकर भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश की है ।

यूं तो इस वार्ड से भाजपा नेता गिरीश शर्मा और चन्द्रभान तिवारी को टिकट मिलना लगभग तय था लेकिन ऐन वक्त पर इनके टिकट काट कार एडवोकेट संतोष शर्मा को प्रत्याशी बना डाला । इसके चलते श्री तिवारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं वह पूरी दमखम के साथ भाजपा-कांगे्रस को चुनौती दे रहे हैं। वार्ड 67 में कांग्रेस ने भाजपा को वॉकओवर दे डाला । यहां से अंजान चेहरा सीता विश्वकर्मा को मैदान में उतारा जबकि आप पार्टी से हुसना परवीन चुनाव लड़ रही हैं । इन दोनों की लड़ाई में भाजपा के प्रत्याशी ममता मनोज विश्वकर्मा को फायदा साफ दिखाई दे रहा है ।

वार्ड 68 की कांग्रेस प्रत्याशी साक्षी नीरज सिंह और भाजपा की उर्मिला मौर्या के बीच सीधा मुकाबला है । करीब 15 वर्र्षों से इस वार्ड से भाजपा जीतती आई है । भाजपा का गढ़ रहा वार्ड 61 से इस बार मधु शिवनानी को प्रत्याशी बनाया है वहीं स्थानीय रहवासी उर्मिला अजीत को कांग्रेस से टिकट देकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है । श्रीमती उर्मिला के ससुर केपी द्विवेदी भेल कर्मचारी नेता रहे हैं और इस वार्ड कर्मचारियों की भरमार है । वहीं भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ भाजपा के ही कुछ नेता सेंध मारी का काम कर रह हैं ।

वार्ड 54 में भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है । यहां से भाजपा ने विधायक श्रीमती कृष्णा गौर के कट्टर समर्थक युवा नेता व साकेत मंडल के अध्यक्ष जितेन्द्र शुक्ला को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने पूर्व पार्षद महेन्द्र परमार को टिकट देकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है । इस वार्ड में आरएसएस समर्थक कुछ ज्यादा ही हैं इस कारण महेन्द्र परमार को काफी जोर आजमाइस करनी पड़ रही है ।

वार्ड 62 में कांग्रेस के मनीष यादव और भाजपा के राजेश चौकसे, वार्ड 64 में कांग्रेस-भाजपा,वार्ड 63 में कांग्रेस के रामपाल धौंसले और भाजपा के शिवलाल माकोरिया,वार्ड 57 में भाजपा के सुरेन्द्र वाडिका और कांग्रेस के परितोष नन्दी,वार्ड 53 में कांग्रेस के आकाश खरे और भाजपा के प्रताप वारे के बीच सीधा मुकाबला है । भाजपा को राम का सहारा है तो कांग्रेस मंहगाई का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है । स्थानीय मुद्दों पर कुछ खास दिखाई नहीं दे रहा है फिर भी इस चुनाव को भी राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है । भाजपा के गढ़ में कांग्रेस कितने वार्ड पर कब्जा कर पायेगी यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा ।

दस साल से वार्ड 60 से निर्विरोध जीती भाजपा के लिये इस बार निर्दलीय बनें चुनौती
एसटी सीट वार्ड 60 में दस साल से किशन चुरेन्द्र और उनकी पत्नी श्रीमती ऊषा चुरेन्द्र निर्विरोध चुनाव जीती हैं लेकिन इस बार मुकाबला दिलचस्प दिखाई दे रहा है । इस बार कांग्रेस के अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार जयपाल सिसोदिया दम मारते दिखाई दे रहे हैं इसके पीछे की कहानी यह है कि भाजपा-कांग्रेस ने इस वार्ड में कोई दमदार प्रत्याशी ही नहीं उतारा इसके चलते दोनों दलो के बागी भीतर घात कर रहे हैं । जबकि निर्दलीय प्रत्याशी को अवधपुरी परिक्षेत्र जन कल्याण महासमिति को पूरा समर्थन मिला हुआ है । बड़ी बात यह है कि इस महासमिति के पास 70 कॉलोनियों का समर्थन मिला है । ऐसे में निर्दलीय जयपाल सिसोदिया भाजपा-कांग्रेस से आगे दिखाई दे रहे है । बड़ी बात यह है कि श्री सिसोदिया भेल कर्मचारी हैं ऐसे में उन्हें कर्मचारियों का समर्थन मिला हुआ है । भाजपा से बी शक्ति राव और कांग्रेस से चंदा सरवटे चुनाव मैदान में डटे हैं ऐसे में यह दोनों बाजी मारते हैं या निर्दलीय यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा ।

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