क्या हैदराबाद कभी भाग्यनगर हुआ करता था? जानिए दोनों नामों से जुड़ीं सदियों पुरानी मान्यताएं

नई दिल्ली

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद को भाग्यनगर संबोधित किया। कई शहरों के नाम बदल चुके यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी तेलंगाना की राजधानी को इसी नाम से संबोधित किया। बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों की माने तो हैदराबाद का असली नाम भाग्यनगर ही था लेकिन विरोधियों का दावा है कि ये काल्पनिक बातें हैं।

बीजेपी इस्लामिक नाम वाले शहरों को बदलने के लिए जानी जाती है। भाग्यनगर नाम भी उसके उसी प्रयासों का हिस्सा है। बीजेपी को उम्मीद है कि हैदराबाद को भाग्यनगर की पहचान की उसकी कोशिशों से तेलंगाना में उसके काडर उत्साहित होंगे। पार्टी कर्नाटक के बाद तेलंगाना को दक्षिण में अपना दूसरा मजबूत गढ़ बनाने के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई है।

आखिर हैदराबाद का भाग्यनगर कनेक्शन क्या है? आखिर ये नाम कहां से आया? क्या हैदराबाद को किसी दौर में भाग्यनगर के नाम से जाना जाता था? इसे लेकर कौन-कौन सी मुख्य थिअरी हैं, आइए समझते हैं।

मुहम्मद कुली कुतुबशाह की प्रेमिका भागमती से कनेक्शन
एक थिअरी ये है कि भाग्यनगर नाम गोलकोंडा वंश (1565-1612 इसवी) सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुबशाह की बहुत ही खूबसूरत प्रेमिका भागमती के नाम पर पड़ा था। इसके मुताबिक, अपने पिता की मौत के बाद कुतुबशाह सुल्तान बना और अपनी प्रेमिका से शादी की। उसने उसके गांव में एक नया शहर बसाया जिसे भागनगर नाम दिया गया। इसी थिअरी के तहत ये कहा जाता है कि भागमती ने शादी के बाद इस्लाम कबूल कर लिया और अपना नाम बदलकर हैदर बेगम रख लिया। लिहाजा उसी के नाम पर नए शहर का नाम हैदराबाद पड़ा हालांकि, इतिहासकार इस थिअरी को खारिज करते हैं।

बागों का शहर
एक और थिअरी कहती है कि गोलकोंडा के अमीर लोग पुराने शहर की गंदगी से तंग होकर मुसी नदी के किनारे अपने लिए विशाल घर बनवाएं और बगीचे उगाए। कालांतर में वह इलाका बागनगर (बागों का शहर) नाम से जाना जाने लगा। जब सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने नया शहर बसाने का फैसला किया तो उसने बागनगर को चुना और उसका नाम हैदराबाद (हैदर का शहर) कर दिया। हैदर पहले शिया इमाम अली का ही एक नाम है। कई इतिहासकार और सिटी प्लानर इस थिअरी से इत्तेफाक रखते हैं।

भाग्यलक्ष्मी मंदिर के नाम पर
भाग्यनगर नाम के पक्ष में एक थिअरी ये है कि शहर का नाम भाग्यलक्ष्मी मंदिर के नाम पर पड़ा था। 1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली तो हैदराबाद के निजाम ने अपनी रियासत को हिंदुस्तान से अलग एक इस्लामी देश के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की थी। रियासत में हिंदू बहुसंख्यक थे और मुस्लिमों की तादाद थोड़ी थी लेकिन वे शासक थे। हैदराबाद को इस्लामी मुल्क बनाने की निजाम की कोशिशों से हिंदुओं में काफी आक्रोश दिखा। इस वजह से वे हैदराबाद को उसके ‘पुराने नाम’ भाग्यनगर से संबोधित करना शुरू कर दिया। इलाहाबाद को प्रयागराज, फैजाबाद को अयोध्या की तर्ज पर हिंदूवादी संगठन हैदराबाद को भी भाग्यनगर करने की मांग कर रहे हैं।

भाग्यलक्ष्मी मंदिर ऐतिहासिक चारमीनार के पास स्थित है। यहां पिछले करीब 5 सदियों से पूजा-पाठ जारी है। पहले यहां बहुत पुराने 2 पत्थर हुआ करते थे जो अब टूट चुके हैं। पत्थरों की जगह पर अब मंदिर में मूर्ति स्थापित है। भाग्यलक्ष्मी मंदिर भी भूमि विवाद का केंद्र रहा है।

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