ओमीक्रोन ‘BA.5’ ने दुनिया में ढाया कहर, पर कैसे बचा भारत, एक्‍सपर्ट्स ने सुलझाई पहेली

नई दिल्‍ली

कोरोना से दुनिया अब तक उबर नहीं पाई है। यह रूप बदल-बदलकर सामने आया है। इसे लेकर लगातार वैज्ञानिक अध्‍ययन जारी हैं। हाल में ओमीक्रोन का सब-वेरिएंट BA.5 मिला है। पुर्तगाल सहित कुछ देशों में इसने कहर बरपाया है। इसके कारण बड़ी संख्‍या में लोग अस्‍पताल में भर्ती हुए। तमाम की मौत हुई। यह और बात है कि भारत इससे बच गया। ऐसा कैसे हुआ, इस सवाल का अब एक्‍सपर्ट्स के पास ठोस जवाब है। गंभीर कोविड करने वाले BA.5 से अगर भारत बचा रह गया तो उसका कारण ओमीक्रोन के ही दूसरे सब-वेरिएंट हैं। आइए, यहां इस पूरी पहली को समझते हैं।

अब तक ओमीक्रोन के कई सब-वेरिएंट सामने आए हैं। इन वेरिएंट में BA.2 के अलावा BA.2.38, BA.2.74, BA.2.75 और BA.2.76 शामिल हैं। ओमीक्रोन वायरस के ये सब-वेरिएंट बहुत तेजी से फैलते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनके तेजी से फैलने के कारण ज्‍यादा गंभीर संक्रमण करने वाला BA.5 दौड़ में पीछे रह गया। इसका नतीजा यह हुआ कि कम संख्‍या में लोग बीमार पड़े।

अस्‍पताल में भर्ती होने की नहीं पड़ी जरूरत
ओमीक्रोन का BA.5 सब-वेरिएंट काफी खतरनाक है। पुर्तगाल सहित कुछ देशों में इसने कहर बरपाया है। इन देशों में अस्‍पतालों में मरीजों के भर्ती होने की दर बढ़ी है। मौत के मामलों में भी इजाफा हुआ है। महाराष्‍ट्र में BA.5 के सबसे ज्‍यादा मामले सामने आए। हालांकि, संक्रमित लोगों को अस्‍पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है। यह आंकड़ा जनवरी के मुकाबले अब भी निचले लेवल पर बना हुआ है। यह वही समय था जब कोरोना की तीसरी लहर आई थी। राज्‍य में BA.2.74, BA.2.75 और BA.2.76 के मामले भी मिले हैं। आशंका तो यहां तक जताई गई है कि ओमीक्रोन के बीए.2 के तीन सब-वेरिएंट्स यानी बीए.2.74 और बीए.2.75 और बीए.2.76 मिलकर कोरोना की चौथी लहर ला सकते हैं।

नए वेरिएंट ने लगाकर रखा अंकुश
BA.4 और BA.5 पर लैब में कई अध्‍ययन हो चुके हैं। इनसे पता चलता है कि ये सब-वेरिएंट फेफड़ों पर हमला करते हैं। एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि कुछ देशों में अस्‍पताल में भर्ती होने के मामलों में बढ़ोतरी का यही बड़ा कारण है। महाराष्‍ट्र की जीनोम सीक्‍वेंसिंग पहल की अगुआई करने वाले डॉ. राजेश कार्यकर्ते इस बारे में और गहराई से बताते हैं।

राजेश ने बताया कि राज्‍य में BA.4 सब-वेरिएंट लुप्‍त होने की कगार पर है। BA.2.38 के मामले BA.2 के बाकी वेरिएंट जितने हैं। BA.2.74, BA.2.75 और BA.2.76 का हाल ही में पता लगा है। उन्‍हें लगता है कि ओमीक्रोन के इन नए सब-वेरिएंट ने BA.4 और BA.5 पर अंकुश लगाकर रखा।

बहुत कम मिले हैं BA.5 के मामले
देश में BA.5 के 3 फीसदी से कुछ ज्‍यादा सैंपल मिले हैं। INSCOG की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। नेशनल कोविड टास्‍क फोर्स के सदस्‍य डॉ. संजय पुजारी ने कहा कि BA.2.74 और BA.2.75 सेकेंड जेनरेशन के वेरिएंट हैं। ये ज्‍यादा म्‍यूटेट करने की क्षमता रखते हैं। इनमें BA.5 के मुकाबले इम्‍यून सिस्‍टम को चकमा देने की क्षमता भी अध‍िक है। यही कारण है कि BA.2.74 और BA.2.75 जैसे वेरिएंट ने BA.5 को पीछे रखा।

INSCOG के एक्‍सपर्ट्स ने बताया कि ज्‍यादातर मामलों में BA.5 इंटरनेशनल ट्रैवलर्स के मामले में मिला है। जब तक ऐसे ट्रैवलर भारत पहुंचते हैं, वो इंफेक्‍शियस पीरियड पार कर लेते हैं। यही वह अवधि होती है जिसमें कोई शख्‍स दूसरे को संक्रमित करता है। एक एक्‍सपर्ट ने यह भी बताया कि BA.5 को क्‍लस्‍टर में भी नहीं देखा जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर परिवार के एक सदस्‍य को इस सब-वेरिएंट से इंफेक्‍शन होता है तो जरूरी नहीं है क‍ि दूसरे भी इसकी चपेट में आएं।

क्‍या हैं BA.4 और BA.5 वेरिएंट?
ये ओमीक्रोन से ही विकसित हुए सब-वेरिएंट हैं। दक्षिण अफ्रीका में पहली बार इनकी पहचान हुई। यूरोप और अमेरिका में ये दोनों वेरिएंट तेजी से फैले। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍लूएचओ) ने इन दोनों वेरिएंट को चिंता वाला स्‍वरूप घोषित किया। ओमीक्रोन के बाकी सब-वेरिएंट की तुलना में यह एंटीबॉडीज के खिलाफ ज्‍यादा खतरनाक है।

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