गेहूं पर केंद्र की मोदी सरकार को बीजेपी के तीन मुख्यमंत्रियों ने ही मुश्किल में डाला

नई दिल्ली

संघीय ढांचे का लोकतंत्र कमाल का होता है। राजनीतिक दल भले एक ही हो, लेकिन जब बात केंद्र और राज्य की हो या फिर राज्यों के बीच की तो फिर सब अपने-अपने हित के लिए एक-दूसरे के सामने सीना तानकर खड़ा हो जाता है। बीजेपी भी अभी इसी दौर से गुजर रही है। उसकी केंद्र में सरकार है और कई राज्यों में भी। इनमें गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं। इन तीनों राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत गेहूं आपूर्ति फिर से बहाल करे। इन तीनों बीजेपी शासित राज्यों ने उस वक्त गेहूं की मांग की है जब केंद्र सरकार 1 अक्टूबर और मार्च 2023 के लिए तय अनिवार्य भंडारण स्तर तक पहुंचने के संघर्ष में जुटी है।

एफसीआई में भंडार नहीं कि मानी जा सके मांग
केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद में रिकॉर्ड गिरावट के मद्देनजर 14 मई को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 10 राज्यों कों गेहूं आवंटन में करीब 40 प्रतिशत तक की कटौती कर दी। इनमें गुजरात, यूपी और एमपी भी शामिल हैं। तब केंद्र ने कहा कि इन राज्य सरकारों से सहमति के आधार पर फैसला लिया गया ताकि भंडारण की कमी पूरी हो सके। केंद्र सरकार के लिए राज्यों की मांग पूरी कर पाना लगभग असंभव है क्योंकि 1 अक्टूबर को भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास बफर स्टॉक से सिर्फ 12 लाख टन गेहूं ज्यादा था। 1 अप्रैल 2023 को भी यही स्थिति बनने की गुंजाइश है।

एमपी, यूपी, गुजरात से कहा- बढ़ाएं आवंटन
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पिछले महीने केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर गेहूं का पूरा कोटा फिर से देने की मांग की। चिट्ठी में दलील दी गई है कि प्रदेश के मुख्य आहार के लिए यह महत्वपूर्ण है। यूपी और गुजरात की सरकारों ने भी मंगलवार को केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल की अध्यक्षता में आयोजित खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में इसी तरह की मांग उठाई। गुजरात के खाद्य मंत्री नरेशभाई पटेल ने कहा, ‘सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात जैसे इलाकों में लोग चावल से ज्यादा गेहूं पसंद करते हैं। हम सरकार से गेहूं आवंटन बढ़ाने का आग्रह करते हैं।’ वहीं, यूपी के खाद्य मंत्री सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि पश्चिमी यूपी से चावल के ज्यादा आवंटन की शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘केंद्र अगर हमारी मांग मान ले तब बहुत मदद हो जाएगी।’ लेकिन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने संबोधन में इस बात की चर्चा भी नहीं की।

चावल ज्यादा दिए जाने की शिकायत
14 मई से पहले गुजरात में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लाभुकों को 3.5 किलो गेहूं और 1.5 किलो चावल दिया जाता था। अब उन्हें 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल दिया जाता है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने आग्रह किया है कि 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल दिया जाए। उम्मीद है कि सरकार हमारी बात मान लेगी।’ इसी तरह, यूपी में अभी खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभुकों को 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल मिलता है, पहले 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल मिला करता था। राज्य सरकार ने पुरानी व्यवस्था लागू करने की मांग की है। हालांकि, खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक राज्यों की मांगें मानने की गुंजाइश नहीं के बराबर है। उन्होंने कहा, ‘जब राज्य गेहूं नहीं खरीद सकते हैं तो वो हमसे आवंटन की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?’

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