पासाडेना,
धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन साल 2030 तक बेकार हो जाएगा. लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने नए ग्रह के चारों तरफ घूमने वाले स्पेस स्टेशन की योजना बना ली है. इसकी जांच के लिए उसने माइक्रोवेव के आकार का सैटेलाइट भी रवाना कर दिया है. यह सैटेलाइट धरती की कक्षा के बाहर भी जा चुका है. जल्द ही यह बताएगा कि स्पेस स्टेशन कहां और कैसे बनेगा.
इस स्पेस स्टेशन का फायदा ये होगा कि इंसान चांद की यात्रा आसानी से कर सकेगा. इतना ही नहीं इंसान मंगल की यात्रा या किसी और ग्रह की यात्रा के लिए इस स्पेस स्टेशन पर रुककर आराम कर सकेगा. नासा ने स्पेस स्टेशन बनाने से पहले जो सैटेलाइट छोड़ा है, उसका नाम कैपस्टोन .
कुछ ही सालों में नासा का नया स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में बनेगा. यह धरती की कक्षा के चारों तरफ चक्कर नहीं लगाएगा. बल्कि, चंद्रमा के चारों तरफ घूमेगा. इसे चंद्रमा का दरवाजा बुलाया जाएगा. धरती के बाद यह दूसरी बार होगा जब किसी प्राकृतिक ग्रह के चारों तरफ स्पेस स्टेशन चक्कर लगाएगा. यह जिस कक्षा में घूमेगा उसे नीयर-रेक्टीलीनियर हैलो ऑर्बिट (NRHO) कहते हैं.
कैपस्टोन सैटेलाइट को चांद तक जाने में अभी चार महीने और लगेंगे. इसके बाद वह चांद के चारों तरफ करीब छह महीने तक चक्कर लगाएगा. डेटा कलेक्ट करेगा. ताकि नासा यह पता कर सके कि लूनर गेटवे के लिए सही ऑर्बिट है या नहीं. कैपस्टोन चांद के उत्तरी ध्रुव से 1600 किलोमीटर और दक्षिणी ध्रुव से 70 हजार किलोमीटर दूर की कक्षा में चक्कर लगाएगा. एक बार चक्कर लगाने में उसे सात दिन का समय लग सकता है.