जुहू बीच पर परिवार संग घूमने गया था, अजनबी बच्चे को बचाने की कोशिश में खुद बहा

मुंबई

कुरियर कंपनी में काम करने वाले आशीष के बड़े सपने नहीं थे। वह इतना कमा लेते कि अपने दो बच्चों को खुशियां दे सके। हफ्ते भर कड़ी मेहनत करने के बाद रविवार का दिन वह अपने बच्चों को देते थे। उन्हें घुमाने ले जाते। 8 साल की बेटी और 6 साल के बेटे के साथ आशीष रविवार का दिन खूब एंजॉय करते। दोनों बच्चे हफ्ते में बिताया गया यह एक दिन पूरा हफ्ता याद रखते। खूब बातें करते। वे इन यादों को कभी भी अपनी यादों से भुलाना नहीं चाहते लेकिन बीते रविवार को उनके जीवन में वह भूचाल आया जिसे वह याद ही नहीं करना चाहते। उन्हें ये खुशियां देने वाले उनके पिता ही उन्हें छोड़कर चले गए। वह भयानक मंजर जब उनकी आंखों के सामने ही उनके पिता समुद्र में समा गए। पिता के अंतिम शब्द ‘तुम कहीं जाना मत, यहीं खड़े रहना, मैं अभी आता हूं’ लेकिन अब वह कभी नहीं लौटेंगे। वही आशीष जिसने किसी और के बच्चे को बचाने के लिए अपनी जान दे दी।

सांताक्रूज के गजदार बंद में रहने वाले आशीष धूसर कूरियर कंपनी में काम करते थे। रविवार को अपने दोनों बच्चों के साथ जुहू बीच पर आउटिंग पर गए थे। 10 साल का लड़का जुहू कोलीवाड़ा में केकड़े पकड़ रहा था, जहां से करीब 500 मीटर दूर लाइफगार्ड तैनात था। अचानक लड़का फिसल कर पानी में गिर गया। अपनी आठ साल की बेटी और छह साल के बेटे के साथ पास में खड़े आशीष की नजर बच्चे पर पड़ी।

तैरना जानता था आशीष
आशीष ने अपने दोनों बच्चों को किनारे पर छोड़ा और कहा कहीं मत जाना, यहीं खड़े रहना। इतना बोलकर वह तेजी से समुद्र की ओर दौड़ा और पानी में छलांग लगा दी। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आशीष एक अच्छा तैराक था, लेकिन लड़के तक पहुंचने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ा।

लहरों से नहीं लड़ पाया
अन्य स्थानीय लोग भी आशीष को देखर उसकी मदद के लिए पानी में उतर गए। लड़के को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन आशीष समुद्र की तेज लहरों से नहीं लड़ पाया और लापता हो गया।

अगले दिन मिला आशीष का शव
पुलिस अधिकारी ने कहा कि बच्चों ने अपने पिता को आखिरी बार देखा जब उन्होंने उन्हें किनारे पर खड़े होने के लिए कहा और वह पानी में कूद गए। देर रात तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया। सोमवार को मोरा गांव के मछुआरों का एक समूह अपनी नावों को खोलने के लिए मैंग्रोव पर गया, जब उन्होंने शव देखा और जुहू पुलिस को सूचित किया।

कभी आउटिंग पर नहीं जाना चाहते बच्चे
बच्चे समझ गए हैं कि पिता ने कहा था कि अभी आता हूं लेकिन वह अब कभी नहीं लौटेंगे। उन्हें अब कोई भी रविवार को घुमाने नहीं ले जाएगा। वे इतना सदमे में हैं कि अब रविवार के दिन का नाम सुनकर ही कांप जाते हैं। वह अब कभी आउटिंग पर नहीं जाना चाहते।

35 से ज्यादा घटनाएं
इस साल अब तक जुहू बीच पर लोगों के पानी में उतरने और तेज धाराओं की चपेट में आने की 35 घटनाएं हो चुकी हैं। लाइफगार्ड्स ने उनमें से कई को बचाने में कामयाबी हासिल की है। लेकिन कई डूब गए।

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