29 महीने बाद एक बार फिर सियासी बनवास पर गए नीतीश के ‘राम’, अब क्या करेंगे RCP?

पटना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी सबसे खास रहे आरसीपी यानी रामचंद्र सिंह एक बार फिर सियासी बनवास पर चले गए हैं। यूं कहें तो उनको भेज दिया गया है। कल तक जेडीयू में नीतीश-ललन के बाद तीसरे नंबर पर रहने वाले आरसीपी इससे पहले भी सियासी बनवास पर गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने मजबूती के साथ पार्टी में वापसी भी की थी, लेकिन इस बार ‘वो वाला माहौल’ नहीं है। नीतीश कुमार के साथ जेडीयू में एक गुट ऐसा है, जो आरसीपी से नाराज है। इस गुट को ललन सिंह गुट बताया जा रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आरसीपी अब जेडीयू में क्या करेंगे और उनके पास विकल्प क्या है?

दरअसल, आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में मंत्री थे। 6 जुलाई को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 7 जुलाई को वे दिल्ली से पटना वापस लौट आए। पटना लौटते ही सियासी गलियारों में एक ही सवाल तैर रहा है कि अब आरसीपी क्या करेंगे? पार्टी में उनका ओहदा क्या होगा? क्या पार्टी ने एक बार फिर से उन्हें सियासी बनवास पर भेज दिया है? ये ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब सभी जानना चाहते है, हालांकि इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

पहले भी गए थे सियासी बनवास पर
ऐसा नहीं है कि आरसीपी सिंह पहली बार सियासी बनवास पर जा रहे हैं। इससे पहले भी वे सियासी बनवास पर गए थे। वो साल था 2018, जब पीके यानी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की एंट्री जेडीयू में हुई थी। उस वक्त भी आरसीपी नीतीश के बाद दूसरा स्थान रखते थे। दरअसल, पीके 16 सितंबर 2018 को जेडीयू में शामिल हुए थे। लगभग एक महीने के बाद 11 अक्टूबर को उन्हें राज्य परिषद का सदस्य बना दिया गया और पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष। पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनते ही पीके नीतीश के बाद दूसरे स्थान पर आ गए थे। ऐसे में आरसीपी पार्टी में ‘साइड’ हो गए थे।

संयम के साथ समय का किया इंतजार
कहा जाता है कि संयम का फल मिठा होता है। आरसीपी के साथ भी ऐसा ही हुआ है। पीके के पार्टी में आने के बाद भले ही आरसीपी का रूतबा थोड़ा कम हुआ था, लेकिन उन्होंने संयम को नहीं खोया। समय का इंतजार करते रहे और पार्टी के लिए काम करते रहे। इसी बीच लगभग 15 महीने बाद 29 जनवरी 2020 को नीतीश कुमार ने पीके को पार्टी से निकाल दिया। पीके पार्टी से गए आरसीपी का रूतबा वापस लौट गया। नीतीश के बाद वे पार्टी के सेकंड मैन हो गए। बाद में नीतीश कुमार ने पार्टी का अध्यक्ष भी बना दिया।

बाद में केन्द्र में बने मंत्री
आरसीपी जेडीयू के अध्यक्ष बनने के कुछ महीने बाद केन्द्र में मंत्री बन गए। ऐसे में उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। आरसीपी के बाद नीतीश के दोस्त ललन सिंह पार्टी के अध्यक्ष बने। बताया जाता है कि केन्द्र में मंत्री बनने के बाद से ही नीतीश और आरसीपी के रिश्तों में खटास आ गई थी, जिसका नतीजा ये हुआ कि आरसीपी को लगभग एक साल बाद ही मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। साथ ही सांसदी भी चली गई।

अब क्या करेंगे आरसीपी?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि आरसीपी के पास फिलहाल विकल्प क्या है? जानकार कहते हैं कि आरसीपी के पास फिलहाल दो ही विकल्प है। पहला जेडीयू में रहकर पार्टी नेतृत्व का भरोसा जीतें या राह जुदा करें। जानकार कहते हैं कि इस वक्त आरसीपी के लिए पहला विकल्प सही रहेगा, क्योंकि पहले भी वे इस तरह की परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं। जहां तक दूसरा विकल्प की बात है तो वह पीएम मोदी की हरी झंडी के बगैर खुलता नजर नहीं आ रहा है, जो फिलहाल संभव नहीं है। ऐसे में रामचंद्र सिंह का सियासी बनवास इस बार कब तक चलेगा , ये कहना कठिन है। बस उन्हें इंताजर ही करना होगा।

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