ठाणे भी गया उद्धव के हाथ से, 67 में से 66 पार्षदों ने एकनाथ शिंदे का थामा दामन

मुंबई

उद्धव ठाकरे के हाथ से महाराष्ट्र की सत्ता गई, फिर सामने आई पार्टी बचाने की चुनौती। अब उनके लिए अपना गढ़ भी बचाना नामुमकिन हो गया है। एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र की सत्ता संभालने के दो दिन के अंदर ही ठाणे भी उद्धव ठाकरे के हाथ से निकल गया है। महानगरपालिका के 66 पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ खुलकर आ गए हैं। इन पार्षदों ने शिंदे से मुलाकात की और इसके बाद ऐलान किया कि वो शिवसेना के शिंदे खेमे का समर्थन कर रहे हैं। पार्षदों के साथ सीएम शिंदे की कई तस्वीरें भी सामने आई हैं।

ठाणे को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। यहीं से उन्होंने आनंद दिघे के संपर्क में रहकर सियासत सीखी और पहली बार 1997 में शिवसेना के पार्षद बने। अब शिवसेना के उद्धव ठाकरे खेमे का ठाणे पर से भी कब्जा छूट गया है। महानगरपालिका में 67 पार्षद हैं। अब 66 के शिंदे कैंप में जाने के बाद सिर्फ एक पार्षद ही उद्धव खेमे में बचा है। बुधवार शाम को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करने के बाद ये सभी पार्षद शिंदे कैंप में आ गए हैं। उद्धव को पहले ही 40 विधायक झटका दे चुके हैं। इन विधायकों ने फ्लोर टेस्ट में एकनाथ शिंदे का साथ दिया था।

महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव के नतीजे 20 जून की रात में आए। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने 21 जून को पार्टी से खुली बगावत की थी। एक दर्जन से ज्यादा विधायकों के साथ वह सूरत के होटल चले गए थे। यहां से वह गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल पहुंच गए। इसके बाद विधायकों की बगावत का सिलसिला चलता रहा। ये नौबत आ गई कि शिवसेना के 39 विधायकों ने शिंदे को समर्थन दे दिया। अब उनके साथ शिवसेना के दो तिहाई से ज्यादा विधायक हैं।

4 जुलाई को जब महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो उद्धव खेमे के एक और विधायक संतोष बांगर भी शिंदे के साथ चले गए। विधानसभा में बीजेपी के 106, निर्दलीय और अन्य दलों के 18 विधायकों की मदद से शिंदे ने बहुमत हासिल किया था। शिंदे के समर्थन में 164 विधायकों ने वोटिंग की थी। वहीं 99 ने विपक्ष में वोट दिया था। वोटिंग में कांग्रेस के 11 विधायक गैरहाजिर रहे थे। इस बीच शिवसेना ने भावना गवली की जगह राजन विचारे को लोकसभा में चीफ विप बनाया है।

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