नई दिल्ली
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर और फैक्ट चैकर मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यूपी के सीतापुर में दर्ज केस में गिरफ्तारी पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में जुबैर ने खुद को सोशल मीडिया में नफरत और फर्जी खबरों का पर्दाफाश करने वाला फोरेंसिक एक्सपर्ट बताया। जुबैर ने कहा कि उसके खिलाफ यह केस मुसलमानों के खिलाफ भाषण और फर्जी पोस्ट को लेकर हिंदू हेट स्पीच का खुलासा करने से रोकने के लिए यह केस दर्ज किया गया है। जुबैर पहले ही 2018 में हिंदू देवता के खिलाफ कथित आपत्तिजनक ट्वीट के संबंध में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
अपराध हुआ ही नहीं, जान को खतरा
जुबैर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कोलिन गोन्जाल्विस ने सुनवाई के दौरान कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि जुबैर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक हैं और उनका काम समाचारों के फैक्ट की जांच करना है। सीनियर एडवोकेट के अनुसार और वह नफरत भरे भाषणों की पहचान करने के लिए अपनी भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने पीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा, “प्राथमिकी पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि कोई अपराध नहीं हुआ है, लेकिन उनकी जान को खतरा है क्योंकि वहां के लोग उन्हें धमकी दे रहे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आज सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया।
नोबेल पीस प्राइज का किया जिक्र
191 पन्नों की याचिका में जुबैर ने कहा कि 1 जून को खैराबाद प्राथमिकी में उनके खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के संरक्षक महंत बजरंग मुनि और हिंदू धार्मिक नेताओं यती नरसिम्हा नर सरस्वती और स्वामी आनंद स्वरूप के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द ‘घृणा फैलाने वाले’ शब्द का ट्वीट में इस्तेमाल किया। अपनी प्रतिष्ठा का उदाहरण देते हुए जुबैर ने कहा कि हाल ही में, नॉर्वे के ओस्लो में शांति अनुसंधान संस्थान ने उन्हें और ऑल्ट न्यूज़ के अन्य सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा को नोबेल शांति के लिए नामित करने की सिफारिश की थी। दोनों को भारत में मुसलमानों को बदनाम करने के उद्देश्य से गलत सूचना का खुलासा करने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए नामित किया गया था।
यूपी सरकार को दें निर्देश, ना गिरफ्तार करें, ना मुकदमा चलाएं
इलाहाबाद हाईकोर्ट के 10 जून के आदेश के खिलाफ जुबैर की अपील की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह अपराधियों के साथ ही घृणा अपराधों की निगरानी व विरोध करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक नई पुलिस रणनीति है। जुबैर ने सीतापुर में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसके लिए एक उपयुक्त आधार है। याचिका में सीतापुर प्राथमिकी में जांच पर रोक लगाने और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वह याचिकाकर्ता पर मुकदमा नहीं चलाए और न ही गिरफ्तार करे। जुबैर का कहना है कि दिल्ली में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर आपत्तिजनक सामग्री डाली थी। इसी तरह की प्राथमिकी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भी दर्ज की गई थी।