श्रीलंका के पीएम रानिल विक्रमसिंघे का इस्तीफा, राष्ट्रपति गोटबाया भी छोड़ेंगे पद

कोलंबो

श्रीलंका में ताजा राजनीतिक हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि एक सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए वे पार्टी नेताओं की सबसे अच्छी सिफारिश को स्वीकार करते हैं। रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने नागरिकों की सुरक्षा और सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भी इस्तीफा दे सकते हैं। फिलहाल वे राष्ट्रपति भवन पर हुए प्रदर्शनकारियों के हमले के बाद फरार हैं। विक्रमसिंघे को भी सुरक्षा कारणों से अज्ञात स्थान पर लेकर जाया गया है। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक भी की

पार्टी की बैठक में चार प्रमुख फैसले लिए गए
इस बैठक में सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धना ने भी हिस्सा लिया। समागी जन बालवेगया पार्टी के सांसद डॉ. हर्षा डी सिल्वा ने पार्टी नेताओं की बैठक के दौरान लिए गए चार प्रमुख फैसलों का खुलासा किया।
1- राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे तुरंत इस्तीफा देंगे।
2- स्पीकर अधिकतम 30 दिनों के लिए राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे।
3- संसद शेष कार्यकाल के लिए नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी।
4- अंतरिम सर्वदलीय सरकार की शीघ्र नियुक्ति होगी और चुनाव भी जल्द करवाए जाएंगे।

नई सरकार के गठन और चुनाव पर बनी सहमति
इस बीच, न्याय मंत्री विजेदासा राजपक्षे ने कहा कि पार्टी के अधिकांश नेताओं में इस बात पर सहमति बन गई है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। मंत्री ने कहा कि पार्टी के नेताओं ने भी सहमति व्यक्त की थी कि स्पीकर को एक सप्ताह के लिए राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने आगे फैसला किया है कि संसद को बुलाकर सर्वदलीय सरकार बनानी चाहिए जिसके बाद उन्हें एक अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त करना चाहिए। न्याय मंत्री ने कहा कि, हालांकि, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे प्रस्तावों से असहमत हैं।

गंभीर मानवीय संकट में घिरा है श्रीलंका
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, श्रीलंका गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है। लोग एक दिन के भोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि जरूरी सर्जरी और कैंसर के इलाज को रोक दिया जा रहा है। स्कूल बंद हो गए हैं और किल्लत के कारण पेट्रोल की बिक्री बंद हो गई है। नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने हाल ही में संसद को बताया था कि हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। यह 1948 के बाद श्रीलंका में आया सबसे बड़ा आर्थिक संकट है। देश का खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका है। इस घटनाक्रम ने श्रीलंका में अभूतपूर्व राजनीतिक संकट को जन्म दिया, जिसके निशाने पर राजपक्षे परिवार है। जनता के दबाव के कारण पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अपने दूसरे रिश्तेदारों के साथ पहले ही पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन राष्ट्रपति गोटबाया ने अभी तक अपना पद नहीं छोड़ा है।

About bheldn

Check Also

‘मर्जी से दुकान के बाहर नाम लिखने से नहीं रोका, बस किसी को मजबूर नहीं कर सकते’ नेमप्लेट विवाद पर SC ने कहा

नई दिल्ली, कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों और भोजनालयों के लिए नेमप्लेट विवाद पर शुक्रवार …