वंशवादियों पर तो खूब गरजती है बीजेपी, क्या ‘दक्षिण के दोस्त’ पर खामोश रह जाएगी?

नई दिल्‍ली

परिवारवाद की राजनीति से जनता का मोहभंग हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ सालों से लगातार वंशवादी राजनीति पर तीखा हमला करते आए हैं। वह कह चुके हैं कि परिवारवादी पार्टियों ने धांधली, भ्रष्‍टाचार और भाई-भतीजावाद को आधार बनाकर देश का बहुत नुकसान किया है। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी और क्षेत्रीय दलों को वह इस मुद्दे पर आड़े हाथों लेते रहे हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश में शनिवार को वाई एस जगनमोहन रेड्डी को युवाजन श्रमि‍क रायथु कांग्रेस पार्टी का आजीवन अध्यक्ष चुना गया है। रेड्डी दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर राजनीतिक कदम बढ़ाना चाहते हैं। अब यह देखना होगा कि बीजेपी उनकी इस रणनीति का हिस्‍सा बनेगी या फिर वह वंशवादी राजनीति पर अपने स्‍टैंड पर कायम रहते हुए रेड्डी से दूर रहती है।

जगन को पार्टी ने चुना है आजीवन अध्‍यक्ष
जगन ने कांग्रेस छोड़ने के बाद 2011 में वाईएसआरसी का गठन किया था। तभी से वह पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनकी मां विजयम्मा मानद अध्यक्ष रही हैं। जगनमोहन रेड्डी को पार्टी का आजीवन अध्यक्ष चुन लिया गया है। पार्टी के दो दिवसीय सम्मेलन के समापन दिवस पर यह प्रक्रिया पूरी की गई। इससे पहले पार्टी के संविधान को संशोधित किया गया। इसका मकसद था कि जगन को आजीवन अध्यक्ष निर्वाचित किया जा सके। जगन को पिछली बार 2017 में पार्टी के सम्मेलन में वाईएसआरसी का अध्यक्ष चुना गया था। जगन को आजीवन पार्टी का अध्यक्ष बनाए रखने के लिए वाईएसआरसी को अब निर्वाचन आयोग की मंजूरी लेनी होगी। इससे हर दो साल पर इस पद के लिए पार्टी को चुनाव कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

परिवार में मतभेद के चलते विजयम्मा ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दिया था। यह और बात है कि विजयम्मा ने कहा था कि वह अपनी बेटी शर्मिला का साथ देने के लिए वाईएसआरसी छोड़ रही हैं। शर्मिला पड़ोसी राज्य में वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की अध्यक्ष हैं।

दक्ष‍िण में बीजेपी हो रही आक्रामक
कर्नाटक को छोड़ बीजेपी की दक्षिण के राज्‍यों में कुछ खास पैठ नहीं है। इनमें आंध्र प्रदेश भी शामिल है। जगनमोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश में बीजेपी के लिए रास्‍ता खोल सकते हैं। वह राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं। बताया जाता है कि वह खुद भी दक्षिण भारत में बीजेपी के साथ राजनीतिक साठगांठ चाहते हैं। यह दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन है। तेलंगाना और केरल पर बीजेपी का लगातार फोकस है। बीजेपी जगनमोहन रेड्डी के सहारे दक्षिण भारत में सारे समीकरण ध्‍वस्‍त कर सकती है। वह चाहेगी कि रेड्डी आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं रहें। वह रेड्डी के बूते तेलंगाना में केसीआर और डीएमके के स्‍टालिन को हिला सकती है।

कई मौकों पर वाईएसआरसी ने बीजेपी का समर्थन किया है। राष्‍ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्‍मीदवार द्रौपदी मुर्मू के मामले में भी ऐसा ही हुआ। हालांकि, बीजेपी जिस तरह से क्षेत्रीय दलों पर हमलावर है, उसमें जगनमोहन रेड्डी की प्रोफाइल रुकावट डालती है। जगन वाईएस राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) के बेटे हैं। वाईएसआर दो बार आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं। सितंबर 2009 में पिता के निधन के बाद जब कांग्रेस ने जगन को ठेंगा दिखाया तो उन्‍होंने अपने रास्‍ते अलग कर लिए। पिछले विधानसभा चुनाव में वाईएसआरसी ने शानदार प्रदर्शन किया और जगनमोहन रेड्डी सीएम बने।

दक्षिण भारत में बीजेपी का प्‍लान समझिए
बीजेपी का दक्षिण भारत में कुछ खास दबदबा नहीं है। कर्नाटक को छोड़ दें तो आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में अब तक उसका जनाधार बहुत सीमित है। इन राज्‍यों में क्षेत्रीय दलों के हाथों में सत्‍ता की चाबी रहती है। बीजेपी अब इस पूरे गणित को बदलना चाहती है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी में आंध्र प्रदेश में बीजेपी का वोट प्रतिशत 0.96 फीसदी, केरल में 12.93 फीसदी, तमिलनाडु में 3.66 फीसदी और तेलंगाना में 19.45 फीसदी रहा था। वह इस जनाधार को बढ़ाना चाहती है। इस मंशा को पूरा करने में उसे मजबूत सहयोगी की जरूरत है। जगनमोहन रेड्डी से उसे इस भरोसे का संकेत मिला है। बीजेपी से वाईएसआरसीपी का कोई गठबंधन नहीं है। जगन की पार्टी की लाइन इस मामले में काफी साफ है। वह बीजेपी को मुद्दों के आधार पर समर्थन देती है। ऐसे में यह भी एक सवाल है कि क्‍या बीजेपी आगे भी उसे यही करने की इजाजत देगी। खासतौर से तब जब वह दक्षिण भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए बेहद आक्रामक है।

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