गृह मंत्रालय के अधिकारियों, एनजीओ प्रतिनिधियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर, सीबीआई का बड़ा एक्शन

नई दिल्ली

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों, एनजीओ प्रतिनिधियों और अन्य के खिलाफ एक आरोपपत्र दायर किया है। इन लोगों को गैर सरकारी संगठनों (NGO) को देश के विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन करते हुए विदेशी चंदों को मंजूरी दिलाने में कथित रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी। अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने आरोपपत्र शनिवार को एक विशेष अदालत के समक्ष दायर किया। उन्होंने बताया कि यह आरोप पत्र 11 मई को गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर दायर किया गया है।

गिरफ्तार आरोपियों का यह जुर्म है
अधिकारियों ने कहा कि यदि सीबीआई 60 दिन की समयसीमा से चूक जाती तो गिरफ्तार आरोपी एक विशेष अदालत से वैधानिक जमानत के लिए पात्र हो जाते। आरोप लगाया गया था कि कई अधिकारी विदेशी चंदा (विनियमन) कानून (एफसीआरए) नियमों के कथित उल्लंघन में गैर सरकारी संगठनों को विदेशी चंदा की मंजूरी दिलाने में रिश्वतखोरी में शामिल थे। उन्होंने कहा कि एजेंसी ने आरोपपत्र में गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों के नाम शामिल नहीं किए हैं, क्योंकि जांच अभी जारी है।

एजेंसी ने गृह मंत्रालय की एक शिकायत पर 10 मई को 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन लोगों में गृह मंत्रालय के विदेशी चंदा (विनियमन) कानून (FCRA) डिवीजन के सात अधिकारियों के साथ ही एनजीओ के प्रतिनिधि और कुछ बिचौलिए शामिल हैं। अगले दिन, एजेंसी ने देशव्यापी कार्रवाई में 40 स्थानों पर छापेमारी के बाद मंत्रालय के छह सेवारत अधिकारियों सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया था।

गिरफ्तार किए गए लोगों को जानिए
गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में गृह मंत्रालय के अधिकारी वरिष्ठ लेखाकार प्रमोद कुमार भसीन, लेखा अधिकारी आलोक रंजन, लेखाकार राज कुमार, सहायक निदेशक शाहिद खान, गृह मंत्रालय के अधिकारी मोहम्मद गजनफर अली और तुषार कांति रॉय शामिल हैं। इनमें से कुछ मंत्रालय के एफसीआरए डिवीजन में काम कर रहे थे, जबकि कुछ ने पहले काम किया था। उन्होंने बताया कि कार्रवाई के दौरान एनजीओ के प्रतिनिधियों सहित आठ व्यक्तियों को भी हिरासत में लिया गया था।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सीबीआई को लिखा था पत्र
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 29 मार्च को सीबीआई को भेजे पत्र में कहा था कि कम से कम तीन एफसीआरए मंजूरी नेटवर्क कुछ सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत में काम कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के साथ संबंध रखने वाले तीन नेटवर्क एफसीआरए मंजूरी में तेजी लाने और नए पंजीकरण और नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रक्रिया से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए कथित तौर पर “स्पीड मनी” और “समस्या समाधान शुल्क” लेते थे।

भल्ला ने सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल को भी कथित धोखाधड़ी की गहन जांच के लिए सरकार की मंजूरी से अवगत कराया था और उनसे आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। गृह मंत्री अमित शाह को घटनाक्रम के बारे में जानकारी दिए जाने के बाद गृह सचिव ने सीबीआई प्रमुख को पत्र भेजा था और उन्होंने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था।

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