अशोक स्तंभ पर विवाद: विपक्ष बोला- राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न में शेर बदले गए, इन्हें आक्रामक और क्रूर दिखाया गया

नई दिल्ली

PM नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को नए संसद भवन की छत पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का उद्घाटन किया था। अब विपक्ष ने स्तंभ की संरचना में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कई विपक्षी नेताओं का आरोप है कि राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के चार शेरों की संरचना में फेरबदल कर संविधान का उल्लंघन किया गया है।

विपक्ष का आरोप है कि अशोक स्तंभ के शेरों को क्रूर और आक्रामक बनाया गया है। इसके लिए शेरों के मुख को और खुला दिखाया गया है, जबकि सारनाथ म्यूजियम में रखे मूल स्वरूप वाले अशोक स्तंभ में शेरों का मुंह उतना खुला नहीं है। हालांकि केंद्र सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

वहीं, इस स्तंभ को बनाने की प्रक्रिया में शामिल सुनील देवरे ने इंडिया टुडे ग्रुप को बताया है कि हमने किसी के कहने पर कोई बदलाव नहीं किया है। यह सारनाथ में मौजूद स्तंभ का ही कॉपी है। सुनील ने स्तंभ के लिए क्ले और थर्मोकोल मॉडल तैयार किया था।

जयराम रमेश बोले- राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान हुआ
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का एक बेशर्म अपमान है। वहीं कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि संसद और राष्ट्रीय प्रतीक भारत के लोगों का है, एक व्यक्ति का नहीं।

TMC सांसदों ने कहा- शेर आक्रामक और बेडौल
तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार और महुआ मोइत्रा ने अशोक स्तंभ के शेरों को उचित ढंग से नहीं दिखाने का आरोप लगाया है। सरकार और मोइत्रा का आरोप है कि इस अशोक स्तंभ के शेरों को ‘आक्रामक’ और ‘बेडौल’ तरीके से दिखाया गया है।मोइत्रा ने अपने ट्वीट में कहा कि सत्यमेव जयते से सिंघमेव जयते में परिवर्तन का प्रयास किया गया है।

राज्यसभा सांसद सरकार ने ट्विटर पर लिखा- हमारे राष्ट्रीय प्रतीक, राजसी अशोक शेरों का अपमान। असली बाईं ओर है, सुंदर, वास्तविक रूप से आत्मविश्वासी। दाईं ओर वाला मोदी का वर्जन है, जिसे नए संसद भवन के ऊपर लगाया गया है – झुंझलाहट, अनावश्यक रूप से आक्रामक और बेडौल। शर्म करो! इसे तुरंत बदलो!

राजद ने कहा- नए प्रतीक चिह्न में आदमखोर प्रवृत्ति
राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि राष्ट्रीय प्रतीक में शेरों के चेहरे पर सौम्यता का भाव दिखाई देता है, जबकि नए प्रतीक चिह्न में आदमखोर प्रवृत्ति दिखाई देती है। RJD ने कहा कि अमृत काल में बने नकल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने का भाव दिखाई दे रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा- सुंदरता देखने के नजरिए पर निर्भर करता है
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है। सारनाथ का मूल प्रतीक चिन्ह 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि नए संसद भवन के शीर्ष पर मौजूद प्रतीक की उंचाई 6.5 मीटर है। अगर मूल स्तंभ की सटीक प्रतिकृति नई बिल्डिंग पर रखी जाती, तो यह मुश्किल से ही दिखाई देती।

एक्सपर्ट्स को यह भी पता होना चाहिए कि सारनाथ में रखी गई मूल प्रतिमा ग्राउंड लेवल पर है, जबकि नया प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है। दोनों संरचनाओं की तुलना करते समय कोण, ऊंचाई और स्केल के प्रभाव को भी देखना चाहिए। यदि कोई नीचे से सारनाथ के प्रतीक को देखता है तो वह उतना ही शांत या क्रोधित लगेगा जितना कि चर्चा की जा रही है।

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