अडानी-अंबानी के बीच पहली बार इस नीलामी में होगा मुकाबला, सरकार को फायदा!

नई दिल्ली,

उद्योगपति गौतम अडानी की एंट्री से 5G स्पेक्ट्रम नीलामी काफी दिलचस्प रहने वाला है. स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों में केवल अडानी ग्रुप ही अकेली ऐसी कंपनी है को सीधे तौर पर टेलिकॉम सर्विसेज से नहीं जुड़ी है. लेकिन स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने से अब सरकार को ज्यादा रेवेन्यू मिलने का अनुमान है.

सरकार को बेहतर रेवेन्यू मिलने का अनुमान
टेलिकॉम सेक्टर को नई तकनीक यानी 5G से लैस करने के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी 26 जुलाई से शुरू होगी और इसमें कुछ फ्रीक्वेंसी बैंड के लिए आक्रामक बोली लगाई जा सकती है. इस बार स्पेक्ट्रम की नीलामी अडानी डेटा नेटवर्क के रेस में शामिल होने से ज्यादा दिलचस्प हो गई है. अडाणी समेत कुल 4 कंपनियां स्पेक्ट्रम की नीलामी में शामिल होने जा रही हैं. इनमें रिलायंस जियो 55 से 60 हजार करोड़ रुपये की कीमत के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने का अनुमान है.

वहीं भारती एयरटेल 45 से 50 हजार करोड़ और अडाणी 13 से 15 हजार करोड़ कीमत के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकता है. इस रेस में चौथी कंपनी वोडाफोन है. माना जा रहा है कि 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में जियो, एयरटेल और अडाणी ग्रुप के बीच जोरदार मुकाबला होने की उम्मीद है.

19 जुलाई तक आवेदन वापस लेने की तारीख
आवेदन करने वाली कंपनियों के पास अपना आवेदन वापस लेने के लिए 19 जुलाई तक का समय है. लेकिन लगता नहीं है कि कोई भी कंपनी इस मुकाबले से पीछे हटेगी. 5जी के आने के बाद इंटरनेट की स्पीड में जबरदस्त बढ़ोतरी होने का अनुमान है.

इस नीलामी का सबसे हैरान करने वाला खिलाड़ी अडानी डेटा नेटवर्क सीधे तौर पर टेलीकॉम सेवाएं देने की योजना तो नहीं बना रहा है. लेकिन 5जी स्पेक्ट्रम हासिल करके कंपनी एयरपोर्ट्स से लेकर अपने कारोबार तक के लिए इसका इस्तेमाल निजी नेटवर्क के तौर पर करेगा अडानी की नीलामी में सरप्राइज एंट्री पर दिग्गज रिसर्च एजेंसियों ने भी दिलचस्प अनुमान जाहिर किए हैं.

– बोफा सिक्युरिटीज के मुताबिक इससे नीलामी के साथ-साथ लंबी अवधि में टेलीकॉम सेक्टर में मुकाबला कड़ा होगा.
– ब्रोकरेज कंपनी सीएलसी ने अडानी समूह के स्पेक्ट्रम की नीलामी में शामिल होने से स्पेक्ट्रम के मूल्य को लेकर अनिश्चितता पैदा होने का अनुमान जताया है.
– इसके अलावा क्रेडिट सुइस ने कहा है कि जब सरकार निजी कंपनियों को बिना किसी लाइसेंस शुल्क के बेहतर और कम लागत पर स्पेक्ट्रम लेकर खुद के इस्तेमाल के लिए गैर-सार्वजनिक नेटवर्क स्थापित करने की मंजूरी दे चुकी है तो फिर अडानी ग्रुप स्पेक्ट्रम नीलामी में क्यों शामिल हो रहा है.
– गोल्डमैन सैक्स ने अडानी समूह के स्पेक्ट्रम खरीदने में सफल होने पर 5जी में मुकाबला बढ़ने के साथ ही ग्रुप के मोबाइल सेवा कारोबार में उतरने का रास्ता खुलने की बात कही है.

यानी साफ है कि फिलहाल तो अडाणी के कदम से सरकार को ज्यादा रेवेन्यू मिल सकता है और आगे चलकर अडाणी के इस सेक्टर में उतरने से ग्राहकों को कम कीमत और बेहतर क्वालिटी का फायदा मिल सकता है.

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