जिस देश में पानी से सस्ता था पेट्रोल-डीजल, वहां अब क्यों भड़के लोग?

ई दिल्ली,

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कुछ साल पहले तक पेट्रोल, डीजल बोतलबंद पानी से ज्यादा सस्ता मिलता था लेकिन जुलाई में ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. अधिकतर पेट्रोलियम निर्यातक देशों में पेट्रोल, डीजल की कीमतें यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से 70 फीसदी से अधिक बढ़ी हैं. पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से यूएई के लोग परेशान हैं और इसे लेकर सरकार से शिकायतें कर रहे हैं.

हालांकि, जुलाई में ईंधन की कीमतें बढ़ने के बाद भी यूएई में पेट्रोल, डीजल की कीमतें अमेरिका और ब्रिटेन से कम हैं लेकिन यूएई में लोग सस्ते ईंधन को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं.यूएई में पेशे से इंजीनियर सुहैल अल बसताकी कहते हैं, पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की हर कोई शिकायत कर रहा है. यह हद से ज्यादा महंगा हो गया है.

यूएई में अन्य खाड़ी देशों की तुलना में ईंधन की कीमत ज्यादा
यूएई में ईंधन की कीमतें जुलाई में अब तक के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से ऐसा हुआ है लेकिन यूएई में अब भी ईंधन 117 देशों की तुलना में सस्ता मिल रहा है.यूएई में खुदरा ईंधन की कीमतें जुलाई में रिकॉर्ड 4.63 दिरहम प्रति लीटर (करीब 100 रुपये प्रति लीटर) तक पहुंच गई है. जनवरी 2022 के बाद से ईंधन की कीमतों में लगभग 75 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल की शुरुआत में सुपर 98 पेट्रोल की कीमत 2.65 दिरहम प्रति लीटर (57 रुपये प्रति लीटर) थी, जो जुलाई में बढ़कर 4.63 दिरहम प्रति लीटर (100 रुपये प्रति लीटर) हो गई.

यूएई ने अगस्त 2015 में ईंधन की कीमत को डीरेगुलेट कर दिया था. इसके बाद जून में पहली बार ईंधन की कीमत 4 दिरहम प्रति लीटर को पार कर गई. ग्लोबल पेट्रोल प्राइसेज (Global Petrol Prices) के आंकड़ों के मुताबिक, यूएई में ईंधन 117 देशों की तुलना में सस्ता है जबकि खाड़ी देशों सहित 50 देशों की तुलना में महंगा है.

दुनिया भर में पेट्रोल की औसत कीमत 5.39 दिरहम प्रति लीटर (116 रुपये प्रति लीटर) है. हालांकि, कई देशों में इन कीमतों में काफी अंतर है.सामान्यत: अमीर देशों में ईंधन की कीमतें अधिक होती हैं जबकि गरीब देशों और तेल का उत्पादन और निर्यात करने वाले देशों में इसकी कीमतें कम होती हैं.

हालांकि, अमेरिका इसका अपवाद है, जो आर्थिक तौर पर तो संपन्न है लेकिन वहां गैस की कीमतें कम हैं. अलग-अलग तरह के टैक्स और सब्सिडी की वजह से ईंधन की कीमतों में अंतर होता है.सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पेट्रोल समान कीमतों पर मिलता है लेकिन इन पर अलग-अलग तरह के टैक्स लगाए जाते हैं, जिससे पेट्रोल की खुदरा कीमतें अलग-अलग देशों में अलग होती हैं.

यूएई में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से लोग नाराज
यूएई और सऊदी अरब ने महंगाई से राहत देने के लिए कम आय वाले नागरिकों के लिए 13 अरब डॉलर आवंटित किए हैं. यूएई में प्रवासी लोगों की संख्या अधिक है. अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के कामगारों के लिए ईंधन की कीमतें अधिक हैं. महंगाई की वजह से पहले से ही मजदूरों का मेहनताना घटा है.

अन्य खाड़ी अरब देशों ने भी हाल के सालों में अपने बजट को संतुलित करने के लिए सरकारी सब्सिडी और अन्य लाभ हटाए हैं. लेकिन लोगों के गुस्से को ध्यान में रखते हुए किसी भी देश ने यूएई जैसे कदम नहीं उठाए. यूएई में अन्य खाड़ी अरब देशों की तुलना में ईंधन की कीमतें लगभग दोगुनी है.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यूएई इस स्थिति से बाहर निकल सकता है क्योंकि यह भार यहां के स्थानीय लोगों पर नहीं बल्कि देश के 90 लाख प्रवासी लोगों पर है.दुबई के एक अर्थशास्त्री नासीर सैदी का भी कहना है कि इसका बहुत प्रभाव यूएई की स्थानीय आबादी पर नहीं पड़ेगा.

वहीं, देश की स्थानीय आबादी को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से लाभ हो रहा है, जिसमें नि:शुल्क शिक्षा, हेल्थकेयर, आवास, शादी के लिए ग्रांट, विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप और अच्छी तनख्वाह वाली सरकारी नौकरियों जैसी सुविधाएं हैं.

‘सबके पास नहीं है तेल का कुआं’
रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद से ब्रेंट क्रूड की कीमत लगभग पचास फीसदी तक बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई. यूएई को तेल के कारोबार से बहुत लाभ हो रहा है लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ने से स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर गुस्सा भी जाहिर कर रहे हैं.

यूएई के एक सोशल मीडिया स्टार हसन अल अमीरी ने कहा, लोगों पर असर पड़ रहा है. अमूमन बाहरी सोचते हैं कि यूएई के लोग अमीर होते हैं लेकिन मेरे पास तेल का कुंआ नहीं है. हमारी जरूरतें भी समय के साथ बढ़ रही हैं. पिछले हफ्ते यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने कम आय वाले परिवारों की आर्थिक मदद को दोगुना करते हुए योजनाओं का ऐलान किया था. यह योजनाएं ऐसे परिवारों के लिए हैं, जिनकी आय 6,800 डॉलर प्रति महीने से कम है.

रूस, यूक्रेन युद्ध के बाद तेल की कीमतें बढ़ीं
रूस, यूक्रेन युद्ध के बाद से ईंधन की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहने के बाद वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें पिछले महीने 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गिर गईं.वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी से जुड़ी चिंताओं की वजह से कच्चे तेल की मांग कम होने से ऐसा हुआ. लेकिन बाद में कीमतों में फिर उछाल आया.

यूएई में ईंधन की कीमतें अधिकतर विकसित देशों की तुलना में कम है. जापान, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, सिंगापुर जैसे इन विकसित देशों ने तेल पर भारी टैक्स लगाए हुए हैं.आंकड़ों के मुताबिक, हांगकांग, आइसलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क में दुनिया में ईंधन की कीमतें सबसे अधिक हैं लेकिन इन देशों में प्रति व्यक्ति आय अधिक होने की वजह से बड़े पैमाने पर ईंधन किफायती दामों पर उपलब्ध है.आंकड़ों के मुताबिक, इन देशों में पेट्रोल की कीमत 9 दिरहम प्रति लीटर (190 रुपये प्रति लीटर) से अधिक है.

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