7 फीट ऊंचा है ओरिजिनल अशोक स्तंभ, जानिए क्या है इसकी पूरी हिस्ट्री

नई दिल्ली,

देश में अब अशोक स्तंभ को लेकर विवाद शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर स्थापित किए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ का अनावरण किया था. इसके बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर अशोक स्तंभ से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने सरकार पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का अपमान करने का आरोप लगाया है.कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा, ‘सारनाथ में अशोक स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का अपमान है.’

उन्होंने इस ट्वीट में सारनाथ में रखे अशोक स्तंभ और नए संसद भवन की छत पर स्थापित अशोक स्तंभ की तस्वीर भी साझा की है. विपक्ष का आरोप है कि सारनाथ संग्रहालय में जो ओरिजिनल अशोक स्तंभ रखा है, उसमें शेर शांत हैं, जबकि नए संसद भवन की छत पर जो अशोक स्तंभ स्थापित किया गया है, उसमें शेरों को आक्रामक दिखाया गया है.

इन आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी के प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि ऐसे आरोप इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत खुद का संसद भवन बना रहा है, जो 150 साल पहले अंग्रेजों के बनाए संसद भवन की जगह लेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोगों को गुमराह कर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.

ओरिजिनल अशोक स्तंभ कैसा है?
ओरिजिनल अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ के म्यूजियम में रखा है. माना जाता है कि इसे 250 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था. 1900 में जर्मनी के सिविल इंजीनियर फ्रेडरिक ऑस्कर ओएर्टेल ने सारनाथ के आसपास खुदाई शुरू की थी. खुदाई करते समय 1905 में ये अशोक स्तंभ मिला था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के एक दस्तावेज के मुताबिक, इस समय अशोक स्तंभ की ऊंचाई 7 फीट 6 इंच है. लेकिन माना जाता है कि इसकी ऊंचाई 55 फीट रही होगी और समय के साथ इसमें टूट-फूट हुई होगी.

खुदाई करने पर पता चला था कि इस अशोक स्तंभ को 8 फीट चौड़े और 6 फीट लंबे पत्थर के एक बड़े से आकार के चबूतरे पर स्थापित किया गया था. इस स्तंभ के पिछले हिस्से में तत्कालीन पाली भाषा और ब्राह्मी लिपि में अशोक के लेख छपे हुए हैं.इस स्तंभ पर एक लेख में लिखा है, ‘देवताओं के प्रिय, प्रियदर्शी राजा ऐसा कहते हैं कि पाटलिपुत्र और प्रांतों में कोई संघ में फूट न डाले. जो कोई चाहे वो भिक्षु हो या भिक्षुणी, संघ में फूट डालेगा, उसे सफेद कपड़े पहनाकर उस स्थान में भेज दिया जाएगा, जो भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए सही नहीं है.’

इस स्तंभ पर अशोक के लेख के अलावा दो और लेख छपे हैं. इनमें से एक अश्वघोष नाम के किसी राजा के शासनकाल का है. जबकि, दूसरा लेख चौथी शताब्दी में लिखा हुआ माना जाता है. इसे वात्सीपुत्रीक संप्रदाय की सम्मीतिया शाखाओं के आचार्यों ने लिखा था.सम्राट अशोक को दुनिया के सबसे महान राजाओं में गिना जाता है. 270 ईसा पूर्व में वो राजा बन गए थे. लेकिन, कलिंग के युद्ध ने उन्हें बदल दिया था. इस युद्ध के बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और जगह-जगह स्तंभ गड़वा दिए.

संसद भवन में लगा अशोक स्तंभ कैसा है?
नए संसद भवन की छत पर जो अशोक स्तंभ स्थापित किया गया है, उसकी ऊंचाई 6.5 मीटर यानी करीब 21 फीट है. ये जमीन से 33 मीटर यानी 108 फीट ऊपर है.इसका कुल वजन 16 हजार किलोग्राम है. इसमें अशोक स्तंभ का वजन 9,500 किलो है. जबकि, इसके चारों ओर स्टील का सपोर्टिंग स्ट्रक्चर लगा है, जिसका वजन 6,500 किलो है.

इस अशोक स्तंभ के देश के 100 से ज्यादा कलाकारों ने बनाया है. इसे बनाने में 9 महीने का समय लगा है. इसे ब्रॉन्ज यानी कांसे से बनाया गया है.अशोक स्तंभ 26 जनवरी 1950 से भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न है. इसे सारनाथ स्थित ‘लॉयन कैपिटल ऑफ अशोक’ से लिया गया है

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