नई दिल्ली
भारत और एशिया के दो सबसे बड़े रईसों गौतम अडानी और मुकेश अंबानी के बीच अब टेलिकॉम सेक्टर में टक्कर होने जा रही है। अडानी ग्रुप ने 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में हिस्सा लेने के लिए कमर कस ली है। यह नीलामी 26 जुलाई से शुरू होने जा रही है। अडानी ग्रुप का कहना है कि उसका इरादा कंज्यूमर मोबिलिटी स्पेस में जाने का नहीं है और कंपनी अपने इस्तेमाल के लिए स्पेक्ट्रम यूज करेगी। लेकिन जानकारों का कहना है कि गौतम अडानी टेलिकम्युनिकेशन सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। वह मुकेश अंबानी की तर्ज पर ही इस सेक्टर में आगे बढ़ रहे हैं। यानी आने वाले दिनों में दोनों के बीच इस सेक्टर में सीधी टक्कर हो सकती है और इसका फायदा ग्राहकों को मिल सकता है।
अडानी अब टेलिकॉम सेक्टर में तहलका मचाने को तैयार हैं। अडानी ग्रुप अपनी सहयोगी कंपनी अडानी डेटा नेटवर्क्स के जरिये 5जी की नीलामी में हिस्सा लेगा। इस कंपनी की नेटवर्थ 248.35 करोड़ रुपये है। यह कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशंस (DoT) ने अडानी डेटा नेटवर्क्स को गुजरात सर्किल में आईएलडी, एनएलडी और आईएसपी-बी ऑथराइजेशन के साथ यूनिफाइड लाइसेंस के लिए लेटर ऑफ इंटेट जारी किया है।
अंबानी के रास्ते पर अडानी
यूनिफाइड लाइसेंस से अडानी ग्रुप गुजरात सर्किल में लॉन्ग डिस्टेंस कॉल और इंटरनेट फैसिलिटीज मुहैया करने का मौका मिलेगा। हालांकि अडानी ग्रुप का कहना है कि उसकी कंज्यूमर मोबिलिटी सर्विस में उतरने की कोई योजना नहीं है और वह अपने प्राइवेट नेटवर्क्स के लिए स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करेगा। दूसरे सर्किल्स में सेवाएं देने के लिए उसे अलग से लाइसेंस लेना होगा। लेकिन जानकारों की मानें तो अडानी ग्रुप देर-सवेर कंज्यूमर मोबिलिटी में उतर सकता है।
Jefferies Financial Group Inc. के एनालिस्ट्स का कहना है कि अडानी टेलिकम्युनिकेशंस सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। मुकेश अंबानी ने भी 2010 में इसी तरह टेलिकॉम सेक्टर में एंट्री मारी थी और आज उनकी कंपनी जियो देश की सबसे बड़ी वायरलेस ऑपरेटर है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फुल कनेक्टिविटी सर्विसेज देने के लिए 2013 में यूनिफाइड लाइसेंस हासिल किया था। इसके तीन साल बाद रिलायंस ने 2016 में अपना नेटवर्क लॉन्च किया था।
बड़ा दांव खेलने की तैयारी
अगर अडानी ग्रुप यूनिफाइड लाइसेंस के लिए अप्लाई करती है तो वह भविष्य में कमर्शियल सर्विसेज दे सकती है। रिलायंस ने 2010 में इन्फोटेल ब्रॉडबैंड को खरीदकर टेलिकॉम सेक्टर में एंट्री मारी थी। उसके बाद आईएसपी लाइसेंस था और उसने 2010 की नीलामी में 2300MHz स्पेक्ट्रम खरीदा था। 2013 में सरकार ने यूनिफाइड लाइसेंस के लिए आवेदन मंगाए और रिलांयस को लाइसेंस मिल गया। इससे रिलायंस जियो को किसी भी स्पेक्ट्रम पर इंटरकनेक्टेड वॉयस सर्विसेज देने का मौका मिल गया। रिलायंस ने 2016 में जियो को लॉन्च करके भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में तहलका मचा दिया।
माना जा रहा है कि अडानी ग्रुप भी आने वाले दिनों में टेलिकॉम सेक्टर में जियो जैसा तहलका मचा सकता है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम का कहना है कि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए उसे चार कंपनियों से आवेदन मिले हैं। इसमें अडानी डेटा नेटवर्क्स लिमिटेड, रिलायंस जियो इन्फोकॉम, वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल लिमिटेड शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि अगर अडानी अपने यूज के लिए स्पेक्ट्रम खरीदना चाहते थे तो वह कैप्टिव नॉन-पब्लिक नेटवर्क परमिट ले सकते थे लेकिन उन्होंने महंगी नीलामी का रास्ता चुना। इससे साफ है कि अडानी की भविष्य में टेलिकॉम सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी है।