35 लाख के केले, 10 लाख में टीम का टिकट, टोका तो खल्लास करने की धमकी, उत्तराखंड में ये क्या हो रहा है

देहरादून

उत्तराखंड क्रिकेट में भ्रष्टाचार के बड़े मामले सामने आ रहे हैं। केले के 35 लाख रुपये के बिल के बाद अब एक खिलाड़ी के पिता का आरोप है कि टीम में लेने के लिए पैसे की मांग की गई और जान से मारने की धमकी भी दी गई। केले का बिल 35 लाख, जबकि खाने और पानी पर कुल 1.74 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए। दैनिक भत्तों में 49.5 लाख रुपये, कोविड लॉकडाउन के दौरान खर्च किए गए 11 करोड़ रुपये, खिलाड़ियों के बकाया का भुगतान नहीं किया और सिलेक्शन में भी अनियमितता। यही नहीं, जबरन वसूली और खिलाड़ियों को मौत की धमकी के आरोप… ये आखिर क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) में चल क्या रहा है।

इन सभी मुद्दों पर उत्तराखंड पुलिस ने सीएयू सचिव माहिम वर्मा, टीम के मुख्य कोच मनीष झा और प्रवक्ता संजय गुसाईं से पूछताछ की थी। इस बारे में एसएसपी देहरादून जनमेजय खंडूरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले तीन दिनों में हमने माहिम वर्मा, मनीष झा और संजय गुसाईं को अलग-अलग बुलाया है। हमने उनसे पूछताछ की है। सभी के बयान दर्ज किए गए हैं और जरूरत हुई तो फिर से सभी को बुलाया जाएगा।

क्रिकेटर के पिता की शिकायत, बेटे को मिली थी जान से मारने की धमकी
देहरादून के वसंत विहार पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश (120 बी), स्वेच्छा से चोट पहुंचाने (323), जबरन वसूली (384), जानबूझकर अपमान (504) और आपराधिक धमकी (506) के लिए शिकायत दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता वीरेंद्र सेठी, जो पूर्व अंडर-19 खिलाड़ी आर्य सेठी के पिता हैं, ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे को पिछले साल विजय हजारे टूर्नामेंट के दौरान झा, टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा और वीडियो विश्लेषक पीयूष रघुवंशी ने जान से मारने की धमकी दी थी।

डीए के मिलते हैं 100 रुपये, जबकि मिलने चाहिए 1500 रुपये
खिलाड़ियों को डीए कम दिए जाने का मामला भी सामने आया है। 100 रुपये का डीए के रूप में भुगतान किया जाता है, जबकि अनिवार्य राशि 1,500 रुपये है और टूर्नामेंट और प्रशिक्षण शिविरों के दौरान भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इस तरह स्टेट बोर्ड पेपर पर खर्चे दिखा रहा है और पैसे से जेब भरी जा रही है। सीएयू की 31 मार्च, 2020 की ऑडिट रिपोर्ट में भोजन और खानपान के लिए 1,74,07,346 रुपये और दैनिक भत्ते के लिए 49,58,750 रुपये खर्च दिखाए गए हैं। इसमें केले के लिए 35 लाख रुपये और पानी की बोतलों के लिए 22 लाख रुपये शामिल हैं।

खाना स्विगी से मंगवा लो या भूखे रहो
उत्तराखंड टीम के एक बाहरी पेशेवर रॉबिन बिष्ट ने सेठी के आरोपों की पुष्टि की और मुंबई के खिलाफ हाल ही में रणजी ट्रॉफी क्वॉर्टर फाइनल से पहले की एक घटना को याद किया। उन्होंने बताया कि हम टीम होटल लौट आए और पूल में हमारे रिकवरी सत्र के बाद दोपहर के भोजन के लिए गए। होटल के कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें हमें खाना नहीं परोसने के लिए कहा गया है। जब हमने टीम मैनेजर को फोन किया तो उन्होंने जवाब दिया- स्विगी या जोमैटो से कुछ ऑर्डर कर लो या भूखे रहो। एक दिन खाना नहीं खाओगे तो मर नहीं जाआगे।

बस के लिए पूछा तो मिला ऐसा जवाब
उत्तराखंड ने मुंबई से 725 रनों से मैच गंवा दिया, जो कि हार का विश्व रिकॉर्ड है। उन्होंने आगे बताया, ‘अगले दिन हमारी दिल्ली के लिए उड़ान थी। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद हमने फिर से अपने टीम मैनेजर को फोन करके कहा कि हमें देहरादून जाना है। हमारी बस कहां है? तो जवाब आया- कैब, बस या ट्रेन बुक करो। हमारा काम आप लोगों को दिल्ली पहुंचाना था, आपके घर नहीं।’

विधायक ने लगाए गंभीर आरोप, बोले- BCCI देखे भ्रष्टाचार
उत्तराखंड विधानसभा में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की ओर से भी सीएयू के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘कोविड के दौरान सीएयू ने पेशेवर शुल्क के रूप में 6.5 करोड़ रुपये वितरित किए। मैं जानना चाहता हूं कि उन्होंने यह पैसा किसे दिया? मार्च 2020 से पहले पेशेवर शुल्क लगभग 2.75 करोड़ रुपये था। कोविड के दौरान 1.27 करोड़ रुपये का लंच और डिनर किसने किया? उन्होंने क्रिकेटिंग कोच कैसे हायर किए? मैंने इसे उत्तराखंड सदन में भी उठाया था। मुझे लगता है कि बीसीसीआई को हस्तक्षेप करना चाहिए, यहां बहुत बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है।

टीम में शामिल करने के लिए मांगे 10 लाख रुपये
सेठी ने अपनी पुलिस शिकायत में आरोप लगाया कि वर्मा ने अपने बेटे को राज्य की टीम में शामिल करने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की। ये आरोप भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर के ड्रेसिंग रूम को “सांप्रदायिक” रूप देने के आरोपों के बाद मुख्य कोच पद छोड़ने के बाद आए। सीएयू सचिव माहिम वर्मा और अध्यक्ष जोत सिंह गांसोला को भी अपने ही संघ के उपाध्यक्ष संजय रावत और संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा की ओर से राज्य क्रिकेट निकाय के लोकपाल और नैतिकता अधिकारी के समक्ष वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक शिकायत का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘हमने बीसीसीआई को भी एक पत्र भेजा है। आचार अधिकारी ने माहिम वर्मा और जोत सिंह गांसोला को अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा है।

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