हर फिर 2018 में पहुंच गए… गुरुग्राम स्कूल मर्डर पर SC के फैसले से सदमे में परिजन

नई दिल्ली

गुरुग्राम के रेयान इंटरनैशनल स्कूल में 7 वर्ष के एक बच्चे की हत्या के आरोपी की फिर से जांच होगी कि उसे नाबालिग माना जाए या बालिग। अभी उसकी उम्र 21 वर्ष है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसकी मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया जाए ताकि तय हो सके कि उस पर बालिग मानकर मुकदमा चलाया जाए या नाबालिग मानकर। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दिसंबर 2015 के अपने आदेश में आरोपी को बालिग माना था, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट के पास चला गया। सर्वोच्च न्यायालय ने अब आरोपी के दोबारा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण का आदेश दिया। मृतक बच्चे के पिता बरूण चंद्र ठाकुर ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि उनका परिवार 2018 की स्थिति में ही लौट आया है।

अपराध करते वक्त 16 वर्ष 5 महीने की थी उम्र
रेयान स्कूल के बच्चे की हत्या का आरोपी अपराध के वक्त 16 वर्ष 5 महीने का था। उसने 8 सितंबर, 2017 को दूसरी कक्षा के एक बच्चे का कथित तौर पर गला रेत दिया था। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि उसने बच्चे को सिर्फ इसलिए मार दिया ताकि परीक्षाएं और पैरंट-टीचर मीटिंग टल जाएं। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने बुधवार को कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के 2017 के आदेश में गड़बड़ियां थीं। तब बोर्ड को सिर्फ बच्चे को आईक्यू लेवल के 95 होने की रिपोर्ट मिली थी, लेकिन काम के अंजाम का अंदाजा लगा पाने की उसकी मानसिक क्षमता के बारे में कुछ नहीं कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मृतक बच्चे के पिता मायूस
मृतक बच्चे के पिता बरूण चंद्र ठाकुर ने कहा कि परिवार उसी स्थिति में लौट आया है जिसमें वह 2018 में था। ठाकुर ने कहा,’एक मध्य वर्गीय परिवार के लिए यह बहुत मुश्किल है कि उन्हें इंसाफ के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़े। आज हम उसी स्थिति में आ गए हैं जहां हम 2018 के शुरुआती महीनों में थे। सात साल के मासूम बच्चे और समाज को त्वरित न्याय मिलना मुश्किल नजर आ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘अब हमें पता चला है कि हमारा न्याय देने वाला तंत्र बहुत पेचीदा है।’

जुवेनाइल बोर्ड ने कहा था- बालिग है आरोपी
दिसंबर 2017 में बोर्ड ने कहा था कि आरोपी को बालिग माना जाए क्योंकि वह अपराध करने में मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोर्ड का यह आकलन तो सही है लेकिन उसने यह नहीं सोचा कि बच्चे के पास इतनी बुद्धी नहीं थी कि वह हत्या के वास्तविक अंजाम की कल्पना कर पाए। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को चिल्ड्रेंस कोर्ट ने भी मंजूरी दे दी। तब आरोपी के पिता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी। हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2018 में आरोपी के फिर से मनोवैज्ञानिक विश्लेषण का आदेश दिया। मृतक बच्चे के पिता और सीबीआई ने इसका विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी की समझ के स्तर की जांच तो होनी चाहिए।

जुवेनाइल बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
2015 के कानून में इस बात की व्याख्या नहीं है कि किसी किशोर आरोपी का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कैसे किया जाएगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब से हरेक जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को बाल मनोविज्ञान या मनोचिकित्सा के एक विशेषज्ञ की अनिवार्य रूप से मदद लेनी होगी। अगर बोर्ड का कोई एक सदस्य खुद बाल मनोविज्ञान या मनोचिकित्सा के क्षेत्र का प्रफेशनल है तब बाहरी मदद की जरूरत नहीं है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार और बाल अधिकार संरक्षण आयोग को निर्देश दिया कि वो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को आरोपी किशोर के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के लिए अनिवार्य सहायता मुहैया करवाएं।

कानून के तहत नाबालिग की सजा
2015 के जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अगर कोई नाबालिग अपराध के लिए दोषी पाया जाता है तो उसे सजा के तौर पर अधिकतम तीन साल के लिए सुधार गृह में रखा जा सकता है। लेकिन अगर अपराध के वक्त उसकी उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच है तो उसे ज्यादा अवधि की जेल की सजा भी हो सकती है, लेकिन उम्रकैद या फांसी की सजा नहीं होगी। 21 वर्ष की उम्र होने तक आरोपी को सुधार गृह में रखा जाता है, फिर उसे नियमित कारागार में डाल दिया जाता है।

पांच साल पहले मासूम के मर्डर से दहल गया था देश
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने रेयान स्कूल केस में कहा कि 2015 के कानून के मुताबिक आरोपी का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ही करेगा। उसने कहा कि अब बोर्ड पर ही निर्भर है कि वह 21 वर्ष के हो चुके आरोपी से कैसे पांच वर्ष पहले की मनोदशा का पता लगा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोर्ड ने आरोपी और उसके परिवार को जांच रिपोर्ट की कॉपी नहीं देकर ठीक नहीं किया। 8 सितंबर, 2017 को गुरुग्राम के भोंडसी इलाके में स्थित स्कूल के शौचालय में छात्र का शव मिला था, जिसका गला कटा हुआ था। इस हत्याकांड के शक की सुई स्कूल के कंडक्टर पर थी। बाद में पता चला कि बच्चे को स्कूल के स्टूडेंट ने ही गला रेत कर मार दिया। सीबीआई ने रेयान स्कूल हत्याकांड का मामला हाथ में लिया और तुरंत बाद नवंबर 2017 आरोपी को हिरासत में ले लिया गया था।

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