UNSC में भारत को रोकने को लेकर पाकिस्तान ने बोला झूठ?

नई दिल्ली,

पाकिस्तान ने गुरुवार को दावा किया कि उसने कुछ अरब देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थाई सीट के लिए भारत की दावेदारी पर एक बार फिर पानी फेर दिया है. पाकिस्तान हमेशा की तरह एक बार फिर अपनी कूटनीतिक जीत का झूठा दावा कर रहा है.पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुरुवार को ट्वीट कर बताया कि पाकिस्तान ने यूएनएससी में स्थाई सीट के लिए भारत की दावेदारी को रोक दिया. इस ट्वीट के साथ बिलावल ने ‘द नेशन’ की एक रिपोर्ट भी शेयर की.

द नेशन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने यूएनएससी की स्थाई सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को विफल कर दिया. रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता को लेकर पाकिस्तान के रुख को तरजीह दी गई. अरब लीग और अफ्रीकी यूनियन ने भी इसमें पाकिस्तान का समर्थन किया. रिपोर्ट में कहा गया कि सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है लेकिन भारत के पास यूएनएससी के स्थाई सदस्य बनने के लिए आधे सदस्यों का भी समर्थन नहीं है.

पाकिस्तान के एक और वेबसाइट ARY News ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि धर्मनिरपेक्ष और मजबूत अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत यूएनएससी का स्थाई सदस्य बनने के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाया.हालांकि, बिलावल के इस दावे पर अंतरराष्ट्रीय मामलों को कवर करने वाले विश्लेषकों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र की इंटर गवर्मेंटल बातचीत एक अनौपचारिक बैठक में हुई थी, जहां सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता को लेकर ना तो कोई दावेदारी पेश की गई और ना ही किसी तरह की वोटिंग हुई. इस तरह भारत की दावेदारी पर पाकिस्तान के पानी फेरने का सवाल ही नहीं उठता.

बिलावल भुट्टो के इस दावे भरे ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में उन्हें ट्रोल भी किया जा रहा है.विक्रम सिंह नाम के एक शख्स ने ट्वीट कर कहा, ये हैं पाकिस्तान के विदेश मंत्री, यूएन में कोई वोटिंग या बहस नहीं हुई लेकिन ये अपना काम कर आए. वाह भई वाह, जैसा मुल्क वैसा विदेश मंत्री. पाकिस्तान दुनिया का मनोरंजन में कोई मौका नहीं छोड़ता.प्रशांत भारती नाम के एक शख्स ने ट्वीट कर कहा, ये अभी भी मुगलिया ख्यालातों में जी रहे हैं. नान-रोटी को पैसा नहीं, बिजली, ट्रेन के ठिकाने नहीं. बस जुमलेबाजी.वहीं, एक पाकिस्तानी यूजर ने कहा कि भारत की यूएनएससी की सदस्यता रोकने के बजाय पाकिस्तान को भी ये मुकाम हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए.

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