क्यों बर्बाद हुआ श्रीलंका? गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफे में दुनिया को बताया, काबिलियत का अलापा राग

कोलंबो

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका की बर्बादी को लेकर नई दलील पेश की है। उन्होंने अपने इस्तीफे में दावा किया है कि श्रीलंका के बर्बादी का कारण कोरोना महामारी और लॉकडाउन है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पूरी क़ाबिलियत के साथ अपनी मातृभूमि की सेवा की और भविष्य में भी मैं ऐसा करता रहूंगा। श्रीलंका से फरार होने के बाद गोटबाया राजपक्षे इस समय सिंगापुर में मौजूद हैं। उन्होंने वहीं से ई-मेल के जरिए अपना इस्तीफा श्रीलंकाई संसद के अध्यक्ष को भेजा था। उनके इस्तीफे को अगले दिन स्वीकार कर लिया गया था।

महामारी और लॉकडाउन को बताया कारण
गोटबाया राजपक्षे का इस्तीफा शनिवार को श्रीलंका के संसद में पढ़ा गया। इसमें उन्होंने लिखा कि मैंने अपनी पूरी काबिलियत के साथ अपनी मातृभूमि की सेवा की और भविष्य में भी ऐसा करता रहूंगा। गोटबाया ने दावा किया कि महामारी और लॉकडाउन ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का काम किया। उन्होंने दावा किया कि श्रीलंका के हालात को संभालने के लिए उनकी तरफ से सबसे बेहतरीन उपाय किए गए। अंत में उन्होंने लिखा कि पार्टी नेताओं की इच्छा पर मैं अपना इस्तीफा दे रहा हूं

संसद में 13 मिनट तक पढ़ा गया इस्तीफा
गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे को श्रीलंकाई संसद में करीब 13 मिनट तक पढ़ा गया। इस दौरान श्रीलंका के लगभग सभी पार्टियों के सांसद मौजूद थे। उनमें से कई सांसदों ने तुरंत राष्ट्रपति चुनाव करवाने की मांग की। हालांकि, स्पीकर की तरफ से बताया गया कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति का चुनाव 20 जुलाई को ही होगा। इस चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन ने अभी तक अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है। हालांकि, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका जरूर निभा रहे हैं।

1978 के बाद पहली बार सांसद करेंगे राष्ट्रपति का चुनाव
गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के मद्देनजर 1978 के बाद पहली बार श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति का चुनाव जनता के वोट के माध्यम से नहीं, बल्कि सांसदों के गुप्त मतदान से होगा। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने शुक्रवार को कहा कि 225 सदस्यीय संसद 20 जुलाई को गुप्त मतदान से नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। श्रीलंका में 1978 के बाद से कभी भी संसद ने राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान नहीं किया। वर्ष 1982, 1988, 1994, 1999, 2005, 2010, 2015 और 2019 में जनता के वोट से राष्ट्रपति का चुनाव हुआ था। केवल एक बार 1993 में राष्ट्रपति पद मध्यावधि में खाली हुआ था, जब राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गई थी। प्रेमदासा के बचे कार्यकाल के लिए संसद द्वारा डी बी विजेतुंगा को सर्वसम्मति से चुना गया था।

गोटबाया के बचे कार्यकाल तक पद पर रहेंगे
नए राष्ट्रपति नवंबर 2024 तक गोटबाया राजपक्षे के शेष कार्यकाल तक पद पर रहेंगे। अगले हफ्ते के मुकाबले में रानिल विक्रमसिंघे (73) दौड़ में सबसे आगे होंगे। देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच विक्रमसिंघे मई में प्रधानमंत्री बने। विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) 2020 के संसदीय चुनाव में हार गई थी। विक्रमसिंघे 1977 के बाद पहली बार कोई सीट जीतने में असफल रहे। उन्होंने एकीकृत राष्ट्रीय वोट के आधार पर आवंटित पार्टी की एकमात्र सीट के जरिए 2021 के अंत में संसद में प्रवेश किया।

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